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खाना बनाने के अपने हुनर को दिया व्यापार का रंग आज कई व्यंजनों को बनाकर कर रही अच्छी आमदनी: शुचि

किसी भी काम को करने के लिए अपने अंदर हौसले और जज्बे की जरूरत होती है। अगर हम किसी भी काम को करने की ठान लें तो वह कितना ही मुश्किल क्यों ना हो। अंततः उस काम में हमें सफलता जरूर हासिल होती है। आज हम आपको एक ऐसे ही कहानी के बारे में बताएंगे जिन्होंने अपना खाना को पैशन बनाकर आज अच्छी कमाई कर रही हैं।

शुचि दिल्ली में अपने परिवार के साथ रहती हैं। वह बताती है कि जब मुझे पहली बेटी हुई तो मैं काम करना छोड़ दिया क्योंकि अगर मैं काम करती तो हमें अपने परिवार का और अपने बच्चों का ध्यान नहीं रख पाती।मुझे डर था कि मेरे काम की वजह से मेरे बच्चों की परवरिश पर कोई असर ना पड़े। मैं अपने दोस्तों के साथ पार्टी कर रही थी और हर पार्टी की तरह इस बार भी मैंने अपने दोस्तों के लिए कुछ स्नैक्स बनाए थे। जब मेरे दोस्तों ने मेरे बनाए हुए स्नेक्स खाए तो उन्होंने बहुत तारीफें की और मेरे स्नैक्स को मजे लेकर खाए। यह दिन हमारे लिए काफी अच्छा रहा। फिर कुछ दिनों के बाद किसी दूसरे दोस्त के घर में पार्टी थी तो उन्होंने उस पार्टी में बुलाकर मुझे पहला अवार्ड दिया। इसके बाद मैं एक होम मेकर से बिजनेस वूमेन बन गई।

जब मुझे पहला अवार्ड मिला था तब मैं काफी सोच में पड़ी हुई थी। परंतु उस समय मुझे अपनी मां की बात याद आई और मैं अपनी मुश्किलों से निकलने में सफल रहीं। वह कहती है कि आज भी मेरी मां का 71 साल की उम्र में बच्चों को पढ़ाती हैं। वह हम लोगों को बताती हैं कि कभी भी अपना काम बंद नहीं करना चाहिए। मैंने ठान लिया कि मैं अपने किचन से ही अपना व्यवसाय करूंगी। मैंने किचन टेल्स के नाम से अपने व्यवसाय की शुरुआत की। हमने अपने किचन टेल्स के बारे में घर के आसपास के लोगों को बताया। तो उन लोगों ने हमें आर्डर देना शुरू कर दिया। जब इन लोगों ने हमारे किचन टेल्स से बना खाना खाया तो उन लोगों ने हमें काफी सराहा और धीरे-धीरे हमारा किचन टेल्स पॉपुलर होने लगा।

शुचि बताती हैं कि मैं अपने किचन टेल्स की शुरुआत अपने घर के किचन से शुरू किया। जब हमने इसकी शुरुआत की तो हमें मेरे पति और मेरी ननद दोनों ने काफी मदद की। जब हमारा बिजनेस काफी बढ़ गया तो काफी बड़े-बड़े ऑर्डर आने लगे। इसकी वजह से हमें काम में मदद करने के लिए नौकर रख लिए। परंतु जब कोविड की समस्या आई तो हमें उन नौकरों को हटाना पड़ा। कोविड की समस्या से हमें और भी और ऑर्डर आने लगे फिर हम लोगों ने इस ऑर्डर को पूरा करने में जुट गए। कई बार तो ऐसा हुआ कि कभी-कभी इतना आर्डर आने लगते थे कि सारा का सारा खाना डिलीवर करना पड़ता था और घर में खाने के लिए कुछ नहीं बचता था। इन कामों में मेरे पति और ननद दोनों मेरी काफी मदद करती थी।

वे बताती हैं कि जब हमारे कस्टमर के आर्डर आते हैं। तो मैं अपने कस्टमर से खुद बात करती हूं। और मैं अपने कस्टमर की हर जरूरत को पूरा करती हूं। जिन कस्टमर को डायबिटीज की समस्या होती है उनके लिए हम शुगर फ्री मिठाई बनाती हूं। यंग कस्टमर्स के लिए नॉर्थ इंडियन से ज्यादा कॉन्टिनेंटल और मैक्सिकन फूड के साथ-साथ कुछ नया बनाने की तलाश में रहती हूं। वे बताती हैं कि हम अपने कस्टमर को अच्छे तरीके से समझने के लिए हम अपने पति और बच्चों के साथ बाहर घूमने जाती हूं। और वहां खाने पीने की चीज को देख कर हम अपने किचन टेल्स में शामिल करती हूं। वे बताती हैं कि हमें इस व्यवसाय को करते हुए लगभग 5 साल हो गए और हमारा बिज़नेस लगातार बढ़ते रहने से मेरे खाने की रेसिपी में मेरी काफी क्रिएटिविटी है।

शुचि बताती हैं कि जब हमने किचन टेल्स की शुरुआत की थी। उस समय हम सिर्फ 25 कस्टमर के साथ अपना बिजनेस की शुरुआत की थी। परंतु आज हमें 150 कस्टमर के आर्डर आते हैं। इसी वजह से हमारा हौसला इस किचन टेल्स में काफी बढ़ गया है। वे बताती हैं कि जब हमें राजस्थान के लोग आर्डर करते हैं और उनके लिए हम घेवर बनाते थे और वह लोग मेरे बनाए हुए घेवर को खा कर के वे लोग मेरी काफी तारीफ करते थे। वे कहते थे कि आपके हाथों के घेवर खाकर हमें अपने घर की याद आने लगती है। यह सब सुनकर हमें काफी प्रोत्साहन मिलता था। मैंने अपने कस्टमर को पैकिंग के लिए कागज का इस्तेमाल करती थी। परंतु मुझे इकोफ्रेंडली जैसे पैकिंग की तलाश थी। और मेरी यह भी कोशिश पूरी हो गई। और अब मैं अपने कस्टमर को बंबू की बनी पैकिंग में आर्डर पैक करके देने लगी। और कस्टमर भी इस पैकिंग को देखकर लोग मेरे इस सकारात्मक प्रयास को सराहते हैं। इन सब की वजह से आज हमारा व्यवसाय काफी आगे निकल चुका है और लोग हमें काफी पसंद करने लगे हैं।

शुचि बताती हैं कि पहले हम अपने काम को लेकर के और अपने परिवार को लेकर हम अपने फिटनेस पर ध्यान नहीं देते थे जिसकी वजह से हमारी हेल्थ थोड़ा बहुत खराब होने लगी थी परंतु जब हमारा बिजनेस काफी आगे निकल गया तो अब हम अपने हेल्थ पर काफी ध्यान देते हैं और इसके साथ साथ हम अपने बच्चों के साथ बैडमिंटन भी खेलती हूं और अपने फैमिली के साथ अपना पूरा फिटनेस मेंटेन करती हूं वे बताती हैं कि जब महिलाएं 35 साल से पार कर लेती हैं तो वह यह सोचने लगती हैं कि अब हमसे कुछ नहीं हो सकता लेकिन महिलाओं की यह सोच काफी गलत है। वह कहती हैं कि महिलाएं सब कुछ कर सकती हैं अपने शौक को व अपने व्यवसाय में बदलकर कामयाबी की चोटी पर पहुंचा सकती हैं। उन्होंने कहा कि आज हम अपने खाना बनाने के पैशन को अपने व्यवसाय में बदल दिया जिस वजह से आज हम अपने व्यवसाय से अच्छे पैसे कमा रहे हैं और इस व्यवसाय से हमें काफी मुनाफा भी हो रहा है।

शुचि की इस मेहनत और लगन को देखकर हम सबको इनसे प्रेरणा लेनी चाहिए कि कोई भी काम को करने के लिए उम्र नहीं देखी जाती। अगर हमारे अंदर किसी काम को करने के लिए जुनून या जज्बा है तो हमें सफल होने में कोई भी नहीं रोक सकता हम सफलता की ऊंचाई तक जरूर पहुंचते हैं।

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