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लॉकडाउन ने छीनी स्कूल की नौकरी तब उठानी पड़ी पूरे घर की जिम्मेदारी, बीएमसी में चलाने लगीं कचरा ढोने वाली गाड़ी

कोरोना लॉकडाउन के दौरान लाखों लोगों को अपना रोजगार गवाना पड़ा। ना केवल दिहाड़ी मज़दूर बल्कि कई लोग बेरोजगार हो गए, जिससे भुखमरी की स्थिति पैदा हो गई। ना केवल भारत में बल्कि दुनिया के अधिकतर देशों में कोरोना महामारी के वजह से लोगों की जिंदगी बदल गई। उन लाखों लोगों में से एक भुवनेश्वर (Bhuvaneshvar) की स्मृतिरेखा (Smrtirekha) भी हैं, जिनकी लॉकडाउन के दौरान नौकरी चली गई थी। -Smrtirekha of Bhuvaneshvar

Smrtirekha from Bhuvaneshvar becomes a driver of garbage vehicle during lockdown
पिक क्रेडिट ANI

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लॉकडाउन के दौरान छुट गई नौकरी

स्मृतिरेखा पिछले कई सालों से एक प्ले स्कूल में बच्चों को पढ़ा रही थी, लेकिन लॉकडाउन के दौरान उनका स्कूल बंद हो गया, जिससे उनकी नौकरी चली गई। स्मृतिरेखा (Smrtirekha) घर चलाने के लिए कचरा उठाने वाली गाड़ी चलाने लगी। स्मृतिरेखा के परिवार में उनके पति, दो बेटियां और परिवार के अन्य सदस्य भी शामिल हैं। – Smritirekha of Bhuvneshwar

घर की पूरी जिम्मेदारी अपने कंधों पर ले ली

कोरोना काल में स्मृतिरेखा के पति को भी अपनी निजी नौकरी से कोई वेतन नहीं मिल रहा था। ऐसे में घर की पूरी जिम्मेदारी स्मृतिरेखा (Smrtirekha) ने अपने कंधों पर ले ली। वर्तमान में वह भुवनेश्वर नगर निगम (बीएमसी)- ‘मु सफाईवाला’ के कचरा संग्रहण वाहन को चला रही हैं। इससे उन्हें कुछ पैसे मिल जाते हैं, जिससे उनके परिवार का खर्च चल जाता है। -Smrtirekha from Bhuvaneshvar becomes a driver of garbage vehicle during lockdown

बिहार के ग्रामीण परिवेश से निकलकर शहर की भागदौड़ के साथ तालमेल बनाने के साथ ही प्रियंका सकारात्मक पत्रकारिता में अपनी हाथ आजमा रही हैं। ह्यूमन स्टोरीज़, पर्यावरण, शिक्षा जैसे अनेकों मुद्दों पर लेख के माध्यम से प्रियंका अपने विचार प्रकट करती हैं !

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