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गांव में पली-पढ़ी, गाय के तबेले से लेकर घर के सभी कार्य को करते हुए बनी जज: महिला शक्ति

इंसान की कठिनाइयां उसके सफलता के सुख को दुगुनी कर देती हैं। राजस्थान की रहने वाली सोनल की कहानी कुछ ऐसी हीं है। एक समय में अपने पिता की मदद करने के लिए वह गाय का गोबर साफ़ किया करती थीं और अब वह जज बनने वाली हैं। आम तौर पर जज बनना बहुत ही मुश्किल व गर्व की बात है। बहुत हीं मुश्किल हालातों का सामना कर वह सफलता के शिखर तक पहुंची हैं। वह गायों के काम के साथ आरजेएस परीक्षा की तैयारी कर रही थी।

Sonal Sharma becomes judge

सोनल शर्मा (Sonal Sharma)

सोनल राजस्थान (Rajasthan) के उदयपुर (Udaipur) जिला के प्रताप नगर की रहने वाली हैं। इनका जन्म 7 दिसम्बर 1993 को हुआ था। इनके पिता का नाम ख्यालीलाल शर्मा तथा मां का नाम जसबीर है। सोनल के पिता डेयरी चलाते हैं, डेयरी के काम में वह अपने पिता की मदद करती थी। सोनल वहां गायों के गोबर उठाने तक का काम करती थी। अधिकांश समय इनके चप्पल में गोबर लगे होते थे। काम के बाद वहीं गायों के बाड़े में खाली पीपों का टेबल बनाकर पढ़ाई भी किया करती। इसी तरह पढ़ाई कर वह साल 2018 के आरजेएस परीक्षा में सफल हुई। सबसे ख़ास बात यह है कि आज वह जज बन बनने वाली हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, वह राजस्थान में एक सत्र अदालत में प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट के रूप में तैनात होंगी।

सोनल साल 2018 के राजस्थान न्यायिक सेवा (Rajasthan Judicial Service) के प्रतियोगी परीक्षा में शामिल हुई थीं जिसका रिजल्ट पिछले साल दिसंबर में आ गया था, लेकिन तब वह वेटिंग लिस्ट में थी। सोनल का अंक सामान्य कट ऑफ सूची में सिर्फ एक कम था। जब चुने गए कुछ उम्मीदवारों में से कुछ शामिल नहीं हुए तो सरकार ने वेटिंग लिस्ट से उन स्थानों को भरने के लिए कहा और सोनल को यह मौक़ा मिल गया।

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सोनल प्राप्त कर चुकी हैं कई मेडल

BA, LLB और LLM की परीक्षा में प्रथम स्थान पर रही सोनल शुरू से ही पढ़ाई में बहुत अच्छी थी। वह स्कूल से लेकर आरजेएस परीक्षा तक पहुंचने के सफर में बहुत से मेडल प्राप्त कर चुकी हैं। सोनल एलएलबी में पूरे प्रदेश में टॉप कर चुकी हैं। वह महाराणा मेवाड़ चैरिटेबल भामाशाह अवार्ड से भी सम्मानित हो चुकी हैं।

सोनल चांसलर मेडल से भी हुईं हैं सम्मानित

सोनल को सुखाड़िया विवि के दीक्षांत समारोह में दो गोल्ड समेत तीन मेडल मिले। इन्हें चांसलर मेडल भी मिला। सोनल बताती हैं कि ना सिर्फ वह बल्कि उनके भाई बहन भी पढ़ने में बहुत अच्छे हैं। उनकी बड़ी बहन लीना शर्मा (Leena Sharma) कैग में बतौर हिंदी ट्रांसलेटर ज्वाइनिंग कर चुकी हैं तो वहीं उनकी छोटी बहन किरण शर्मा (Kiran Sharma) डीयू से पढ़ाई कर रही हैं। उनका एक छोटा भाई भी है, हिमांशु शर्मा (Himanshu Sharma) जो अजमेर (Ajmer) से जर्नलिज्म की पढ़ाई कर रहा है।

सोनल ने की काम के साथ आरजेएस परीक्षा की तैयारी

सोनल बताती हैं कि जब वह चौथी कक्षा में थी तब उनके पिता ने डेयरी की शुरुआत की थी। डेयरी की पूरी जिम्मदारी सोनल तथा उनके माता-पिता पर ही थी। वह गायों के काम के साथ-साथ पढ़ाई करती थी जो बहुत ही चुनौतीपूर्ण कार्य था।

The Logically सोनल शर्मा के कठिन परिश्रम की तारीफ करता हैं और उमीद करता हैं कि उनके इस कहानी से बाकी युवाओं को प्रेरणा मिलेगी।

बिहार के ग्रामीण परिवेश से निकलकर शहर की भागदौड़ के साथ तालमेल बनाने के साथ ही प्रियंका सकारात्मक पत्रकारिता में अपनी हाथ आजमा रही हैं। ह्यूमन स्टोरीज़, पर्यावरण, शिक्षा जैसे अनेकों मुद्दों पर लेख के माध्यम से प्रियंका अपने विचार प्रकट करती हैं !

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