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स्पीति की महिलाओं ने शराब बंदी को लेकर किया अनूठा कार्य, गांव के लिए खुद पास किये शराब विरोधी बिल

कहते हैं न कि एक सुदृढ़ परिवार से लेकर स्वस्थ समाज की नींव रखने वाली महिलाएं ही होती है। ऐसा ही एक उदाहरण हिमाचल प्रदेश के जनजातीय जिला लाहुल-स्पीति की स्पीति घाटी के खुरीक गांव से सामने आया है जिसमें घाटी की सभी महिलाओं ने सामूहिक रुप से महिला मंडल के उस प्रस्ताव को पास कर दिया है जिसमें गांव में देसी शराब बनाने और बेचने से लेकर खरीदने तक की सभी प्रक्रियाओं पर पूर्णतः प्रतिबंध लगा दिया गया है।

प्रस्ताव के उल्लंघन पर होगा जुर्माना

48 परिवारों वाले इस छोटे से गांव के महिला मंडल ने यह भी कहा है कि यदि किसी भी व्यक्ति द्वारा इस प्रस्ताव का उल्लंघन होता है तो उसे 1000 रुपये का ज़ुर्माना देना होगा। साथ ही, महिला मंडल का यह भी प्रयास रहेगा कि गांव में कोई अंग्रेज़ी शराब की दुकान न खुलने पाये। लोगों को जागरुक करने के लिए जगह-जगह पर नशा बंदी के बोर्ड एवं पोस्टर लगा दिये गए हैं।

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युवा पीढ़ी को लत से बचाने के लिए की गई पहल

महिला मंडल प्रधान दोरज़ें डोलमा, उपप्रधान लुसंग जोलकर के अनुसार घरेलू शराब के प्रचार व उपयोग ने गांव के 70 प्रतिशत युवाओं को अपनी चपेट में ले लिया है। गावं पंचायत ने भी महिला मंडल के इस प्रयास की सराहना करते हुए शराब की खरीद-बेच पर रोक लगाने के इस फैसले को मंज़ूरी दे दी है।

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बच्चों के स्कूल एडमिशन में भी मिलेगी सहायता

मीडिया को मिली जानकारी के मुताबिक महिला मंडल नें गांव के जिन परिवारों में दो से अधिक बच्चे हैं, उनमें से एक को सरकारी स्कूल में दाखिला करवाना ज़रुरी कर दिया है। जिससे शिक्षा को बल मिले साथ ही सरकारी स्कूल भी बंद न हों।

वन्य प्राणियों के हित के लिए भी उठाया कदम

वन्य प्राणियों के शिकार पर रोक लगाते हुए वन की कटाई पर रोक भी महिला मंडल के इस प्रस्ताव में शामिल हैं जिसके सार्थक परिणाम सामने आने लगे हैं।

मनरेगा देगा खुरीक महिलाओं को रोजगार के अवसर

खुरीक गांव पंचायत के पूर्व उपप्रधान कलजग के मुताबिक यहां कि महिलाएं रोज़गार के अन्य साधन न होने की स्थिति में देशी शराब बेचकर कुछ पैसे कमा लिया करती थीं। लेकिन अब जब गांव के युवा इससे बुरी तरह प्रभावित होते जा रहे हैं। अब पंचायत की यह कोशिश रहेगी कि ऐसी महिलाओं को मनरेगा में प्राथमिकता देते हुए अधिक से अधिक रोजगार मुहैया कराएगी।

शुभ कार्यों में शराब चढाने की प्रथा

बता दें कि स्पीति के खुरीक गांव में किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत शराब व फूल से ही की जाने की प्रथा रही है लेकिन युवा पीढ़ी पर शराब के पड़ते दुष्प्रभाव को देख महिला मंडल का यह कदम प्रशंसनीय है।

भारत में हर साल नशाखोरी के मामलों में वृद्धि

विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation, WHO) की रिपोर्ट के मुताबिक – शराब के इस्तेमाल से देश में हर साल 2.8 लाख लोगों की मृत्यू हो रही हैं वहीं शराब पीने से 1.4 लाख से भी अधिक लोग कई तरह की बिमारियों का शिकार हो जाते हैं। इतना ही नही नशाखोरी घरेलू हिंसा एवं यौन उत्पीड़न जैसे अपराधों को भी बढ़ावा देती है।

अर्चना झा दिल्ली की रहने वाली हैं, पत्रकारिता में रुचि होने के कारण अर्चना जामिया यूनिवर्सिटी से जर्नलिज्म की पढ़ाई पूरी कर चुकी हैं और अब पत्रकारिता में अपनी हुनर आज़मा रही हैं। पत्रकारिता के अलावा अर्चना को ब्लॉगिंग और डॉक्यूमेंट्री में भी खास रुचि है, जिसके लिए वह अलग अलग प्रोजेक्ट पर काम करती रहती हैं।

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