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बनना चाहती थी डॉक्टर मगर बन गईं नर्स, ट्रेन में मिली UPSC की जानकारी और बन गईं IAS

किसी भी व्यक्ति के जीवन में उसके पिता की बहुत अहम भूमिका होती है। एक पिता अपनी बेटी को हर संकट से दूर बहुत नाजों से पालता है। उसके लिए कई सपने देखता है। आज हम एक ऐसे ही पिता की बात करेंगे, जो केरल (Kerala)में चावल की खेती करते हैं। उस किसान पिता ने अपनी बेटी को डॉक्टर बनाने का सपना देखा। आर्थिक स्थिति खराब होने के बावजूद भी उन्होंने अपनी बेटी को खूब पढ़ाया।

ट्रेन यात्रा के दौरान मिली UPSC परीक्षा देने की सलाह

किसान की बेटी का नाम एनीस कनमनी जॉय (Ennis Kanmani Joy) है। डॉक्टर बनने के सफर में विपरीत परिस्थितियों के कारण एनीस को MBBS में एडमिशन नहीं मिल पाया, जिससे उन्हें नर्स बनना पड़ा। एनीस समाज में अपने पिता को सम्मान और प्रतिष्ठा दिलाना चाहती थीं, जो एक नर्स को नहीं मिल पाती है इसलिए एनीस डॉक्टर बनकर वह सम्मान दिलाना चाहती थी। उसके कुछ ही दिन बाद एनीस एक रेल यात्रा तय कर रही थीं, उसी दौरान एक अन्य यात्री ने उन्हें यूपीएससी (UPSC) की परीक्षा की तैयारी करने की सलाह दी। उस यात्री की दी हुई सलाह एनीस को अच्छी लगी और उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा देने का निश्चय किया।

Success story of becoming an IAS officer Ennis Kanmani Joy,

एनीस का परिवार

एनीस केरल के पिरवोम (Piravom) ज़िले के एक छोटे से गांव पंपाकुड़ा की रहने वाली हैं। इसी गांव में एनीस के पिताजी चावल की खेती का काम करते हैं। जब उनके खेत में मज़दूरों की बहुत ज़्यादा कमी होती है, तो उनकी मां मदद के लिए खेत में काम करने जाती हैं। शुरूआती पढाई एनीस ने अपने गांव के एक विद्यालय से ही की। उसके बाद एनीस हाई स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के लिए एर्नाकुलम (Ernakulam) चली गई थीं।

एनीस का सपना डॉक्टर बनने का था

एनीस का बचपन से डॉक्टर बनने का सपना था। इसकी तैयारी एनीस ने 12वीं की परीक्षा के समय से ही शुरू कर दी थी। उन्हें यह पहले से ही पता था कि डॉक्टर बनने के लिए बहुत पढ़ाना होगा। एनीस की इतनी मेहनत के बावजूद भी उनका मेडिकल एंट्रेंस टेस्ट में अच्छा रैंक नहीं आया। जिसकी वजह से उन्हें MBBS में एडमिशन नहीं मिल पाया और बचपन का सपना पूरा नहीं हुआ। उसके बाद एनीस ने त्रिवेंद्रम गवरमेंट मेडिकल कॉलेज से नर्सिंग में BSc की पढ़ाई की। एनीस बताती हैं कि MBBS में सिलेक्शन ना होने के कारण वह बहुत निराश हुईं लेकिन हिम्मत नहीं हारी और पूरे मन से नर्सिंग की पढ़ाई को जारी रखा।

ट्रेन यात्रा के दौरान मिली सलाह

एक बार एक ट्रेन यात्रा के दौरान एनीस को एक यात्री ने IAS की जानकारी दी और यूपीएससी की परीक्षा देने का सलाह दिया। एनीस बताती हैं कि उस समय वह यह भी नहीं जानती थी काम के साथ-साथ यूपीएससी की परीक्षा दे पाएंगी या नहीं। जब एनीस मैंगलोर से त्रिवेंद्रम वापस आ रहीं थीं, तब उनके साथ यात्रा कर रही एक महिला दूसरे महिला से यह बात कर रही थी कि उनकी बेटी दिल्ली (Delhi) से UPSC परीक्षा की कोचिंग कर रही हैं। यह सुन एनीस ने उस महिला से इसकी जानकारी ली और उन्होंने एनीस के मन में इस एग्जाम को लेकर जो भी दुविधा थी वह सब दूर कर दी। इसके अलावा उस महिला ने उन्हें बताया की UPSC का एग्जाम कोई भी ग्रेजुएशन डिग्री करते हुए दिया जा सकता है।

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एनीस ने शुरू की यूपीएससी की तैयारी

इस तरह दो बार ट्रेन में यात्रा करते हुए एनीस को UPSC परीक्षा की पूरी जानकारी प्राप्त हुई। उसके बाद एनीस का रुझान उस ओर गया और उन्होंने यूपीएससी परीक्षा की तैयारी करने का फैसला किया। एनीस को कही से पता चला था कि यह परीक्षा बहुत ही कठिन होती है इसलिए एनीस इसकी कोचिंग करना चाहती थी परंतु उनके परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी बुरी थी कि कोचिंग करने के लिए पैसे ही नहीं थे। उनके पिता एक साधारण से किसान थे, ऐसे में उनके लिए यूपीएससी की लाखों की कोचिंग उपलब्ध करना मुमकिन नहीं था।

एनीस अपने दूसरे प्रयास में बनी IAS

परिवार की हालत देखते हुए एनीस कोचिंग करने का विचार छोड़ खुद से सेल्फ स्टडी करने का फ़ैसला किया। एनीस बताती हैं कि इसकी तैयारी के दौरान रोज़ाना वह न्यूज़ पेपर पढ़ा करती थी, जिससे एनीस करंट अफेयर्स के बारे में अपडेट रहती थी। एनीस ने न्यूज़ पेपर से काफ़ी जानकारियां प्राप्त की और इसी तरह वह तैयारी में जुटी रही। साल 2010 में एनीस पहली बार UPSC की परीक्षा दी, जिसमें वह 580वी रैंक के साथ सफल हुई, परंतु इस रैंक से IAS पद नियुक्त नहीं हो पाया। एनीस उसके अगले साल 2011 में फिर से UPSC की परीक्षा दी और इस बार उनका 65वी रैंक आया जिससे उनका IAS बनने का सपना पूरा हुआ।

एनीस की कहानी से मिलती है प्रेरणा

एनीस के इस सफर से यह तय है कि अगर हमें सही सलाह मिले और हम उसके लिए कड़ी मेहनत करे तो सफलता जरूर मिलेगी। एनीस का डॉक्टर बनने का बचपन का सपना टूटा परंतु वह इससे निराश होने के बजाय परिवार को सम्मान दिलाने के लिए दूसरा मार्ग चुनी और सफलता प्राप्त की। IAS पद प्राप्त का एनीस अपने परिवार को सम्मान दिलाने में सफल हुई।

बिहार के ग्रामीण परिवेश से निकलकर शहर की भागदौड़ के साथ तालमेल बनाने के साथ ही प्रियंका सकारात्मक पत्रकारिता में अपनी हाथ आजमा रही हैं। ह्यूमन स्टोरीज़, पर्यावरण, शिक्षा जैसे अनेकों मुद्दों पर लेख के माध्यम से प्रियंका अपने विचार प्रकट करती हैं !

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