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पिता ने किराने की दुकान पर काम कर बेटी को पढ़ाया, IAS अधिकारी बन बेटी ने नाम रौशन किया: IAS Sweta Agrawal

अपने लक्ष्य के प्राप्ति के लिए की गई मेहनत कभी बेकार नहीं जाती। बहुत सारे छात्र और छात्राओं को हमलोगों ने देश के सबसे कठिन परीक्षा यूपीएससी की तैयारी करते देखा है लेकिन कुछ ही होते है जिनको इनमे सफलता हासिल होती है। आज हम बात करेंगे, आईएएस बन चुकी पश्चिम बंगाल (West Bengal) की मारवाड़ी समाज के मध्यम परिवार से ताल्लुक रखने वाली श्वेता अग्रवाल ( IAS Shweta Agrawal) की। जो कि एक संयुक्त परिवार की सदस्य है। उनके पिता किराने की दुकान पर काम करके अपने परिवार का खर्च उठाते हुए अपने बाल बच्चों को पढ़ाने का काम करते थे। अंततः उनके खून पसीने से कमाई हुई पैसे की समझ उनके बाल बच्चे को हुई और उनकी बेटी श्वेता अग्रवाल ने IAS बन कर अपने समाज का नाम रौशन किया है।

IAS Shweta Agrawal

पिता किराना दुकान पर करते थे काम

IAS श्वेता अग्रवाल ( IAS Shweta Agrawal) का जन्म पश्चिम बंगाल के हुगली जिले में एक मारवाड़ी परिवार में हुआ था। उनके परिवार में कुल 28 लोग थे और पिता एक किराने की दुकान में काम करते थे। श्वेता के पैदा होते ही उन्हें भेदभाव झेलना पड़ा क्योंकि उनके दादा-दादी को बेटे की आस थी। लेकिन अच्छी बात ये थी कि श्वेता के माता-पिता को इस बात से फर्क नहीं पड़ता था और वे अपनी बेटी की परवरिश को लेकर भरोसेमंद थे। श्वेता के माता-पिता की आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं थी कि वे उन्हें किसी अच्छे स्कूल में पढ़ा सकें। लेकिन उनके पिता का सपना था कि अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दें। यही सोचकर उन्होंने श्वेता का दाखिला कोलकाता के सेंट जोसेफ स्कूल में करा दिया।

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हमेशा से पढ़ने में टाॅप रहीं है श्वेता

शुरू से ही इंग्लिश स्कुल में पढ़ी श्वेता अग्रवाल पढ़ने लिखने में काफी तेजतर्रार थी। वे हमेशा अपने क्लास में अव्वल ही रहती थी। श्वेता ने 12वीं क्लास में अपने स्कूल में टॉप किया। इसके बाद उन्होंने सेंट ज़ेवियर्स कॉलेज से इकोनॉमिक्स में ग्रेजुएशन किया और वहां की भी टॉपर बनीं। इसके बाद श्वेता ने एमबीए किया और एमबीए पास करने के बाद एक एमएनसी में अच्छे पद पर जॉब करने लगीं। इस प्रकार श्वेता अपने परिवार के करीब 15 बच्चों में से पहली ग्रेजुएट थी। श्वेता अग्रवाल ने इसके बाद यूपीएससी की तैयारी शुरू की। पहली बार में उनकी 497 रैंक आई थी। दूसरी बार में 14 और तीसरी बार यानी साल 2016 में उन्होंने 19वीं रैंक हासिल कर यह परीक्षा पास कर ली। इसके बाद वो आईएएस अफसर बन गई।

शादी के लिए बनाया गया दबाव

श्वेता अग्रवाल ने अपनी आपबीती बताते हुए कहा कि, मेरे सारे चचेरे भाई बहनों की शादी हो गई थी जो कि उम्र में मुझसे काफी छोटे थे। इस वजह से मुझ पर भी दबाव बनाया जाता था, लेकिन मैं अपने करियर को लेकर एकदम क्लियर थी कि मुझे आईएएस बनना है। श्वेता ने 2013 में यूपीएससी का एग्जाम दिया और अंतिम लिस्ट में जगह भी बनाई। लेकिन 497वीं रैंक होने की वजह से उन्हें इंडियन रेवेन्यू सर्विस मिली। जबकि वे आईएएस बनना चाहती थीं। इस ख्वाब को पूरा करने के लिए उन्होंने फिर से एग्जाम दिया लेकिन दुर्भाग्यवश वे प्रीलिम्स भी क्वॉलिफाई नहीं कर पाईं। असफलता के बाद भी श्वेता ने हार नहीं मानी और तैयारी में लगी रहीं। उसके बाद वर्ष 2015 में फिर उन्होंने परीक्षा दी और इसमें 141वी रैंक लाकर सफलता हासिल की। लेकिन इस बार भी उनको IAS के बजाय IPS का पदभार संभालने का मौका मिला। बाद में वो अपने सपने को पूरा करने में कामयाब हुई।

UPSC क्वॉलिफाई कर बनीं IAS अफसर

श्वेता ने IPS के पद को स्वीकार तो लिया था परन्तु मन में बचपन से IAS बनने का जो सपना था वो अभी भी जीवित था। श्वेता ने 2016 में अपने एक आखिरी एटेम्पट को देने का फैसला किया और इस बार 19वीं रैंक हासिल कर IAS बन गई।

निधि बिहार की रहने वाली हैं, जो अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद अभी बतौर शिक्षिका काम करती हैं। शिक्षा के क्षेत्र में कार्य करने के साथ ही निधि को लिखने का शौक है, और वह समाजिक मुद्दों पर अपनी विचार लिखती हैं।

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