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जज इंदू मल्होत्रा जिन्होंने समलैंगिक विवाह, सबरीमाला जैसे कई विवादों को सुलझाया था, कोर्ट से रिटायर हुईं

सुप्रीम कोर्ट की परंपरा रही है जब कोई जज रिटायर होते हैं तो वह सीजेआई के साथ आखरी सुनवाई में बैठते हैं। 12 मार्च को SC की जस्टिस इंदू मल्होत्रा (Justice Indu Malhotra retirement) का आखरी वर्किंग डे था। उन्होंने भी परंपरा अनुसार अपने कार्यकाल के आखरी केस की सुनवाई CJI S.A Bobde के साथ की। जस्टिस इंदू मल्होत्रा वो जज जो कई प्रमुख केसों की सुनवाई में देश को अहम फैसले दे चुकीं हैं। CJI बोबड़े ने यह भी कह दिया की “उन्होंने इंदू मल्होत्रा से बेहतरीन जज नहीं देखा।“ इतिहास के पन्नों में दर्ज हो चुके उनके कई फैसले हमेंशा याद किए जाएंगे।

कौन हैं जस्टिस इंदू मल्होत्रा ?

बेंगलुरू की इंदू मल्होत्रा ने 1983 में कानून की पढ़ाई पूरी की। बार काउंसिल आफ दिल्ली में उनका एनरोलमेंट हो गया। 2007 में वह सुप्रीम कोर्ट की वकील (Supreme Court women judge) बनी। यह सब इतना आसान भी नहीं था। SC तक पहुंचने के लिए उन्होंने कई परीक्षाओं को पास किया। इसी के साथ वह सुप्रीम कोर्ट की दूसरी महिला वकील बनीं। 2018 में उनकी नियुक्ति SC के जज के तौर पर हुई। सुप्रीम कोर्ट में वकील से सीधे जज बनने वाली वह पहली महिला बनीं।

Justice Indu Malhotra retirement

जज के तौर पर अपने तीन साल के कार्यकाल में उन्होंने कई फैसले किए जिनमें से कुछ मुख्य हैं-

सबरीमाला मंदिर में महिलाओं का प्रवेश

सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर विवाद तो याद ही होगा। इल मामले की सुनवाई (Sabarimala case) सुप्रीम कोर्ट ने सितंबर 2018 में की थी। पांच जजों की बेंच ने महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की अनुमति दी थी। लेकिन इस बेंच में अकेली महिला जज इंदू मल्होत्रा भी थीं जो इस फैसले के खिलाफ थीं।

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IPC सेक्शन 497 अडल्ट्री

दूसरा अहम फैसला IPC के सेक्शन 497 यानी “अल्ट्री” से जुड़ा था। अडल्ट्री यानी विवाह के बाद किसी दूसरे व्यक्ति से प्रेम संबंध होना। पहले इसे अपराध की क्षेणी में रखा जाता था लेकिन अब ऐसा नहीं है। हां इसे तलाक का अधिकार जरूर मान सकते हैं। ये फैसला (Adultery law) सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने सितंबर 2019 में दिया था। जिसमें इंदू मल्होत्रा भी शामिल थीं।

IPC सेक्शन 377 “समलैंगिक विवाह”

सितंबर 2018 समलैंगिक समुदाय सड़कों पर उतरकर खुशियां मना रहा था क्योंकि उन पर खास फैसला सुनाया गया था। समलैंगिक संबंधों को अपराध की क्षेणी में रखा जाता था। वर्षों से इन संबंधों को समाज हीन भावना से देखता चला आ रहा था। लेकिन पांच जजों की बेंच ने इसे अपराध की क्षेणी से मुक्त कर दिया। इस बेंच में शामिल जस्टिस इंदू मल्होत्रा का कहना था कि “इतिहास को LGBTQ समुदाय और उनके परिवार के लोगों से माफी मांगनी चाहिए। इस समुदाय के लोग उत्पीड़न के डर से भरा जीवन जीने के लिए मजबूर थे।“

SCBA ने उन्हें गुडलक पार्टी दी और जताई नई उम्मीद

सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) ने उन्हें गुडलक पार्टी दी। जिसमें कई मेंमबर्स और चीफ जज मौजूद थे। SCBA के प्रेसिडेंट सीनियर वकील विकास सिंह का कहना है कि “जजस को 70 की उम्र तक रिटायर नहीं होना चाहिए क्योंकि 65 की उम्र में ऐसा प्वाइंट है जब आप पीक पर होते है।“ SCBA को उम्मीद है कि जस्टिस इंदू मल्होत्रा दोबारा वापसी करेंगी लेकिन इसको लेकर अभी कोई कंफर्मेशन नहीं है।

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