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इस किन्नर को मुम्बई लोकल ट्रेन में ‘रेखा’ के नाम से जाना जाता है, तमाम कठिनाइयों के बावजूद आज खुद की पहचान बना चुकी हैं

न नारी हूं, न मैं नर हूं…
अपराध नही मेरा कोई, जो मैं किन्नर हूं”
– अनूप कमल

‘किन्नर’ यानि स्त्री व पुरुषों के अलावा समाज का तीसरा अभिन्न अंग। भले ही समाज में किन्नरों को एक अलग दृष्टि से देखा जाता रहा हो लेकिन सच तो यह है कि समाज में किन्नरों का अस्तित्व आदिकाल से रामायण व महाभारत से लेकर हरेक धर्मग्रंथों में देखने को मिलता रहा है। आज का किन्नर-समाज धीरे-धीरे शिक्षा से लेकर राजनीति हर क्षेत्र में अपनी एक अलग पहचान बनाने में कामयाब हो रहा है। इसी श्रेणी में आज The Logically अपने लेख के माध्यम से मुबंई की एक ऐसी किन्नर पूजा शर्मा उर्फ “रेखा” (Pooja Sharma aka ‘Rekha’) के बारे में बताने जा रहा है जिसने न केवल नृत्य कला में महारथ हासिल कर रखी है बल्कि वर्तमान में वो अपनी इसी कला के माध्यम से कई प्रोडेक्शन हाउस के के साथ काम कर रही हैं।

रोज़ सुबह नज़र आती हैं मुंबई की लोकल ट्रेन में ग्रेसफुल किन्नर रेखा

मुंबई की 7:40 की लोकल ट्रेन में रोज़ नज़र आने वाली रेखा किसी सेलिब्रिटी से कम नही हैं वो ट्रेन में लोगों से केवल एक रुपये लेने की इच्छा से चढ़ती हैं। लेकिन, जैसे ही वो ट्रेन में चढ़ती हैं तो उन्हें किसी से पैसे मांगनें की ज़रुरत ही नही पड़ती। लोग न केवल उन्हें खुद पैसे देते हैं बल्कि उनके पास खड़ा होना पसंद करते हैं।

Transwoman  Pooja Sharm aka

एकदम जुदा है रेखा का अंदाज़

अपने आकर्षक व्यक्तित्व के चलते रेखा ने अपनी एक अलग ही पहचान बनाई हुई है। उनके डांस व अदाओं को लोग काफी पंसद करते हैं क्योंकि उसमें फूहड़ता व अश्लीलता न होकर एक ग्रेस व नज़ाकत नज़र आती है। लोग कहते हैं – “रेखा बेहद शांत स्वभाव की है, उसकी मुस्कान और बातों में हमें सकारात्मकता नज़र आती है”

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प्रशंसको ने ही पूजा को दिया ‘रेखा’ नाम

खूबसूरत की साड़ी में लिपटी पूजा का साड़ी व ज्वैलरी पहनने का तरीका व डांस की अदाएं सभी को इतनी प्यारी लगती हैं कि लोग उनके हर अंदाज की तुलना बॉलीवुड अभिनेत्री रेखा से करते हैं और इसी वजह से उनके प्रशंसकों ने उन्हे रेखा कहना शुरु कर दिया है। रेखा कहती हैं – “ये भगवान की कृपा है कि लोग मुझे एक किन्नर या भिखारी न समझ कर इतना प्यार देते हैं कि मुझे रेखा नाम दे दिया है”

एक रुपये वाली रेखा जी के नाम से मशहूर हैं पूजा

पूजा कहती हैं – “ जब मैं इतनी धूल-मिट्टी में ट्रेन में चढ़ती हूं तो लोग मुझे एक भिखारी न समझ कर मेरे आस-पास इकठ्ठा हो जाते हैं और मुझे एक रुपये वाली रेखा जी कहकर संबोधित करते है, जो मुझे बेहद प्यारा लगता है”

नृत्य को पूजा समझती हैं किन्नर रेखा

बचपन से ही नृत्य का शौक रखने वाली रेखा उसे एक पूजा के रुप में समझती हैं। वे कहती हैं- “मुझे बचपन से ही श्रृंगार करने का शौक है, साथ ही साड़ी पहन कर डांस करने का भी, मेरे लिए नृत्य किसी उपासना से कम नही है” मुंबई की इस ट्रेन में भी वो अक्सर अलग-अलग फिल्मी गानों पर डांस करती नज़र आती हैं।

कई प्रोडेक्शन हाउस के साथ काम कर रही हैं रेखा

वर्तमान में रेखा एक डांस परफोर्मर के रुप में काम कर रही हैं। अब वो केवल ट्रेन में ही डांस नही करतीं बल्कि सोशल मीडिया पर भी अपनी डांस की वीडियो बनाती हैं जहां लाखों की तादात में उनके फोलोअर्स देखे जा सकते हैं। अब रेखा नें कुछ प्रोडेक्शन हाउस के साथ भी अपनी वीडियोज़ बनाई हैं। यूट्यूब पर उनके डांस वीडियोंज़ आसानी से देखे जा सकते हैं।

किन्नरों के प्रति समाज के नज़रिये को बदलना चाहती हैं रेखा

ट्रेन में पैंसेजर्स से सौ-हार की मांग न कर केवल एक रुपया मांगने वाली पूजा कहती हैं – “बचपन से ही मुझे पैसों का कोई लालच नही मैं बस ये चाहती हूं कि आप प्लीज़ इस दुनिया में किन्नरों को जीने दे उन्हें भी उसी ईश्वर ने बनाया है जिसने आप सबको। इसलिए वे भी मान-सम्मान के हकदार हैं, इस दुनिया में किसी चीज़ की कमी नही है केवल किन्नरों को उनके हिस्से का सम्मान दीजिये” एक रेडियो शो के माध्यम से रेखा पूछती हैं कि – “जब बच्चे के जन्म से लेकर कोई नई दुकान खोलने या कोई बिजनैस सेटअप करनें में शुभ-अशुभ देखते हुए किन्नरों को सबसे पहले बुलाया जाता है तो फिर उन्ही को सम्मान देने में समाज इतना हिचकता क्यों है? या जिस रास्ते पर कोई किन्नर जा रहा हो वहां से आप अपना रास्ता आप क्यों बदल लेते हो? मै बस ये चाहती हूं कि किन्नरों को भी आवश्यक सम्मान दिया जाये”

अर्चना झा दिल्ली की रहने वाली हैं, पत्रकारिता में रुचि होने के कारण अर्चना जामिया यूनिवर्सिटी से जर्नलिज्म की पढ़ाई पूरी कर चुकी हैं और अब पत्रकारिता में अपनी हुनर आज़मा रही हैं। पत्रकारिता के अलावा अर्चना को ब्लॉगिंग और डॉक्यूमेंट्री में भी खास रुचि है, जिसके लिए वह अलग अलग प्रोजेक्ट पर काम करती रहती हैं।

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