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झारखंड के इन दीदी ने बनाया है तिरंगे के डिजाइन तथा चावल से बनी इको-फ्रेंडली राखियां, लोग कर रहे खूब पसंद

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भाई-बहन के प्यार से भरा पावन रिश्ते का त्योहार “रक्षाबंधन” हर वर्ष श्रावण मास के पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। रक्षाबंधन का इंतजार हर भाई-बहन को रहता है। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि इस वर्ष हम सभी 75वें आजादी की वर्षगांठ को मनाने वाले हैं जिस कारण मोदी जी ने ऐलान किया है कि हर घर तिरंगा लहरेगा और इसकी तैयारी जोर-शोर से है। इसी कड़ी में झारखंड की “सखी दीदी” ने चावल से इको फ्रेंडली तिरंगे की डिजाइन में राखी का निर्माण कर रही हैं जिसका मार्केट में खूब डिमांड है।

झारखंड के हजारीबाग जिले में महिलाओं के समूह द्वारा राखी का निर्माण हो रहा है। “भवानी आजीविका सखी मंडल टीम” के तहत इसका निर्माण किया जा रहा है। इन महिलाओं टीम में बहुत सी महिलाएं जुड़ी हुई हैं। कुछ राखी का निर्माण करती है तो कुछ बेचने का कार्य कर रही हैं। उनकी अध्यक्ष अंजू देवी पिछले 4 वर्षों से उनका नेतृत्व कर रहीं हैं। वह बताती हैं वैसे तो हमने 3 हजार से ज्यादा राखियां बना ली है और इनमें से सैकड़ों राखियां बिक भी चुके हैं। अगर सारी राखियां बिक गईं तो हम 60 हजार रुपए लाभ कमा सकते हैं। ऐसा नहीं है कि इस टीम द्वारा सिर्फ राखी का ही निर्माण होता है बल्कि ये चूड़ी, मंगलसूत्र तथा नमकीन आदि भी बनाती हैं। Eco-Friendly Rakhi

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ईको फ्रेंडली रखी

आपको सखी दीदी का इको फ्रेंडली राखी पलाश मार्ट में मिल जाएगा। इस इको फ्रेंडली राखी की कीमत कम है और यह काफी खूबसूरत भी है। इस वर्ष आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है जिस कारण इन राखी को तिरंगे के डिजाइन में तैयार किया गया है। जो देखने में काफी खूबसूरत एवं सुहावनी भी है। अरुणा देवी को ये राखी बिक्री का जिम्मा सौंपा गया है। वह इसकी विशेषता बताते हुए कहते हैं कि इस राखी का मूल्य मात्र 40 है और यह इको फ्रेंडली है। Eco-Friendly Rakhi

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ग्रामीण महिलाओं को मिला रोजगार

एक तो यह राखी ग्रामीण महिलाओं द्वारा हाथों से बनाई जा रही है जिस कारण ये काफी आकर्षक भी लग रही है। इसके लिए उन महिलाओं को ट्रेनिंग भी दिया गया है तब जाकर होने काम कर रही हैं। यह उनके लिए आजीविका का स्रोत भी बना हुआ है। अब तक इस टीम द्वारा 25 हजार राखियां बनकर तैयार हो चुकी है। महिलाओं को यह ट्रेनिंग दिया गया है कि वह 20 से 25 किस्म की राखियां बना सकें। उन्हें धान, सूती धागा, रेशम धागा, चावल, मौली धागा, हल्दी, अलता और बुरादा आदि के उपयोग से राखियों के डिजाइन का निर्माण कराया जा रहा है। इन राखियों की कीमत मात्र 5 से लेकर 50 रुपए तक है। लोग अपने-अपने बजट के अनुसार राखियां खरीद रहे हैं। Eco-Friendly Rakhi

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कई किस्म की राखियां उपलब्ध

वही हजारीबाग सखी मंडल की टीम में कपड़े के राखियों का निर्माण किया है। इन राखियों में आपको इमोजी राखी, स्माइली राखी, रुद्राक्ष राखी, भैया-भाभी राखी, चॉकलेट राखी आदि विशेष हैं। हाथों से निर्मित इस रखी की कीमत मात्र 10 से लेकर 280 रुपए तक है। वही इन राखियों के निर्माण में मात्र 15-20 रुपए की लागत आ रही है। महिलाएं इस निर्माण से खुश हैं और उन्हें ऐसा लगता है कि वह इससे अच्छा पैसा कमा सकती हैं। Eco-Friendly Rakhi

पलाश ब्रांड की लॉन्चिंग वर्ष 2020 को सितंबर में हुई जिसे यहां के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने की। ताकि यहां निर्मित हुए उत्पाद की बिक्री आसानी से की जा सके। अगर हम पलाश ब्रांड के प्रोडक्ट्स की बिक्री की बात करें तो ये लगभग 8 करोड़ के करीब पास पंहुच चुकी है।आगे इसका लक्ष्य है कि ये 50 करोड़ के करीब जा पंहुचे। अब ये ई कॉमर्स वेबसाइट की मदद से भी प्रोडक्ट की बिक्री कर रहे हैं। Eco-Friendly Rakhi

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