Monday, December 11, 2023

24 लाख की मोटी रकम वाली नौकरी छोड़ गांव लौटे, जैविक खेती से सलाना 2 करोड़ का मुनाफा कमा रहे हैं

आजकल हमारा शरीर ज्यादातर रासायनिक खादों से निर्मित उत्पादों के खाने से रोग ग्रसित हो रहा है। इसके सेवन करने से हमें तरह-तरह की बीमारियों का सामना करना पड़ता है जो हमारे शरीर और स्वास्थ्य को साथ-साथ कमजोर कर रहा है। इस समस्या के निवारण हेतु हमारे देश में कुछ व्यक्ति खुद खेती कर रहे हैं ताकि वह ताजी सब्जियों और रसायन मुक्त उत्पाद का आहार लें और वह स्वस्थ रहें।

हमारे किसान भी इसका तोड़ निकाल लिए हैं और उन्होंने जैविक खेती करना शुरू किया है। वह अपने खेतों में उर्वरक के तौर पर गाय का गोबर, किचन वेस्ट का उपयोग करते हैं जिससे अनाज का उत्पादन होता हीं है साथ हीं खेतों की उर्वरा शक्ति भी बढ़ती है।

आज हम आपको ऐसे व्यक्ति के बारे में बताएंगे जो अपनी 24 लाख रुपये की मोटी रकम वाली नौकरी को छोड़ जैविक खेती को अपनाए और आज खेती से 2 करोड़ रुपये का लाभ वह हर साल कमा रहे हैं। आइए जानते हैं उनके और उनकी उन्नत कृषि के बारे में।

Organic farming

सचिन काले

सचिन काले (Sachin Kale) छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के बिलासपुर (Bilaspur) से संबंध रखते हैं। उन्होंने अपनी कॉपरेट्स की मोटी रकम वाली नौकरी को छोड़ खेती को अपनाया और उसमें सफलता भी हासिल की। प्रारंभिक दौर में लोगों ने उन्हें बहुत भला-बुरा कहा कि इतनी अच्छी नौकरी को छोड़ तुम खेती क्यों अपना रहे हो। फिर भी उन्होंने किसी की नहीं सुनी क्योंकि उन्हें एक अलग मुकाम हासिल करना था। वह जो कॉर्पोरेट्स की किया करते तो उससे मात्र 24 लाख ही कमाते लेकिन आज वह अपनी खेती से उससे कई गुना अधिक दो करोड़ रुपए का मुनाफा कमा रहे हैं।

पुणे में भी किया है कार्य

उन्होंने अपनी शिक्षा ग्रहण कर अपनी पहली नौकरी 2003 में की जो कि नागपुर में हुआ। आगे यह पुणे जॉब के लिए गए। वहां उनका सालाना आय 12 लाख रुपये हुआ। छुट्टियों में जब वह अपने घर आते तो अपने दादाजी के पास ज्यादा वक्त दिया करते। उनके दादाजी यह हमेशा कहते थे कि अपने जीवन में मिले समय का उपयोग लोंगो की भलाई के लिए करो तब देखो कैसे जिंदगी रमणीय लगती है।

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ऊब गए थे शहरी जिंदगी से

आगे यह 24 लाख रुपये कमाने लगे और ऐशो-आराम की जिंदगी जीने लगे लेकिन वह इस शहरी जिंदगी से ऊब चुके थे और अपने दादाजी की बातों को याद करते। तब उनके मन में कुछ अलग करने का ख्याल आता। उन्होंने काफी सोंचा और यह निश्चय किया कि मैं अब अपने घर जाऊंगा।

2014 में आए अपने घर

वर्ष 2014 में उन्होंने यह निश्चय किया कि घर जाऊंगा और अपनी नौकरी छोड़ घर आए। इस बात से सभी को बहुत आश्चर्य भी हुआ। उनके पिता ने यह कहा कि सचिन तुम हमारी फैमिली बिजनेस को अपनाओ और यही कार्य करो। लेकिन उनका मन तो विशेष करने का था। उन्होंने अपने गांव में खेती करने का निश्चय किया और पिता को भी हां बोला।

Sachin kale Organic farming

शुरुआत की खेती

उन्होंने अपने 20 एकड़ जमीन जो कि इनकी पुश्तैनी थी उस पर खेती करने का निश्चय किया और खुद हीं ट्रैक्टर से जुताई भी की। उन्होंने खेती के बारे में हर वह जानकारी इकट्ठा की जिससे वह अच्छी खेती कर सकें। वह अपनी पारंपरिक खेती को कॉर्पोरेट रूप देने की चाह रखते थे इसीलिए उन्होंने एक कम्पनी खोली जिसका नाम “इनोवेटिव एग्री लाइफ सॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड” है। वह किसानों की मदद हर रूप में करने लगे। किसान उनसे खेती के तरीके सीखने लगे और उन्हें इस तरीके को अपनाकर काफी फायदा मिलने लगा। बहुत हीं जल्द लगभग 70 से अधिक किसान खेती से जुड़कर इसके गुण सीख चुके थे। इस कंपनी के माध्यम से उनका जल्द हीं वार्षिक टर्न ओवर 2 करोड़ रुपये हुआ।

करते हैं ऑर्गेनिक खेती

वह अपनी पारंपरिक फसलों के अतिरिक्त सब्जी, फल और दाल जैविक उर्वरक के माध्यम से उगाते हैं। आज वह सभी व्यक्तियों के लिए सफलता का उदाहरण बने हैं। साथ ही युवाओं को इस खेती से जोड़ने में लगे हैं।

अच्छी-खासी नौकरी छोड़ जैविक खेती करने के लिए और किसानों को भी इसके तरीके सिखाने के लिए The Logically सचिन जी की खूब सराहना करता है।