हमारी प्राथमिक शिक्षा की शुरुआत हमारे घर से होती है। आगे हम विद्यालय मे पढ़ते हैं फिर विश्वविद्यालय में। लेकिन कभी यह नहीं सोंचते कि इन स्कूलों और कॉलेजों के पीछे का रहस्य क्या है। आखिर हमारे जैसे हीं कोई व्यक्ति ने बच्चों, युवाओं का भविष्य संवारने के लिए स्कूल और कॉलेज की स्थापना करते हैं। आज की हमारी कहानी एक ऐसे ही शख़्स की है जो कभी भिक्षा मांग कर विश्वविद्यालय की स्थापना किए और आज उनके जीवन पर आधारित 2 वर्षीय कोर्स की शुरुआत की जा रही है।
काशी हिंदू विश्वविद्यालय के संस्थापक महामना मदन मोहन मालवीय भिक्षा मांग कर इस विश्वविद्यालय की स्थापना करवाए थे। अब महामना जी के ऊपर 104 साल बाद 2 वर्षीय पीजी कोर्स की शुरुआत होगी। विश्वविद्यालय के प्रशासन ने इसके लिए कमेटी गठित कर दी है। महामना जी को उन्हीं के द्वारा स्थापित विश्वविद्यालय में अब कोर्स के रूप में पढ़ाया जाएगा। विश्वविद्यालय के प्राचार्य द्वारा पूरी तैयारी भी की जा चुकी है। नए सत्र में इस 2 वर्षीय पीजी कोर्स को शुरू करने की पूरी योजना बनाई जा चुकी है। विश्वविद्यालय के सामाजिक विज्ञान संकाय को ‘मालवीय स्टडीज’ के नाम से यह कोर्स चलाया जाएगा।
संकाय के डीन प्रोफेसर कौशल किशोर मिश्रा के अनुसार जिस विश्वविद्यालय को महामना जी द्वारा शिक्षा का मंदिर बनाया गया था उनके जीवन संघर्ष, योगदान और बलिदान से हमारी वर्तमान और आने वाली पीढ़ि भी इस कोर्स के माध्यम से रूबरू हो पाएगी। महामना जी के जीवन पर शुरू होने वाला पूरे देश में यह पहला कोर्स है। अब तक लोग किताबों में ही महामना जी के जीवन संघर्ष की कहानियां पढ़ते थे लेकिन अब इसे कोर्स के रूप में भी पढ़ सकेंगे।
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किसी भी नए कोर्स को शुरू करने से पहले उसकी रूपरेखा तैयार करना आवश्यक होता है वैसे हीं 2 वर्षीय पीजी कोर्स की रूपरेखा को भी तैयार करने के लिए संघ स्तर पर कमेटी बनाई गई है। उसकी तैयारी होने के बाद कमेटी द्वारा इसे संकाय के पब्लिक प्लानिंग कमेटी के समक्ष रखा जाएगा उसके बाद विश्वविद्यालय एकेडमिक काउंसलिंग और एग्जीक्यूटिव काउंसलिंग के अध्ययन के बाद इससे अंततः मंजूरी मिल जाएगी।
काशी हिंदू विश्वविद्यालय के सामाजिक विज्ञान संकाय में और 6 नए कोर्स शुरू किए जाने की योजना बनाई जा रही है। महामना पंडित मदन मोहन मालवीय जी के जीवन संघर्ष के ऊपर बनाए गए इस कोर्स के अलावा और पांच नए कोर्स बनाए जाने के तैयारी कमेटी द्वारा की जा रही है।
The Logically काशी हिंदू विश्वविद्यालय द्वारा उठाए गए इस कदम की सराहना करता है जिससे हमारी आने वाली पीढ़ि भी महान क्रांतिकारियों के संघर्ष और बलिदान से रूबरू हो पाएगी।