Wednesday, December 13, 2023

MBA के बाद बैंकिंग की नौकरी छोड़ शुरू किए कृषि, जीरो बजट की खेती से कमा रहे हैं 12 लाख रुपये सलाना

आजकल लोगों का रुझान खेती के प्रति बहुत ज्यादा बढ़ते दिख रहा है। लोग अपनी अच्छी खासी नौकरी यों को छोड़कर आजकल खेती और किसानों की तरफ रुख कर रहे हैं। ऐसा कहा भी गया है कि अगर हमारे देश का किसान अगर पढ़ लिख जाए और फिर किसानी करे ,तो उससे ज्यादा धनवान कोई नहीं होगा। ऐसे ही एक किसान का उदाहरण आज हम आपको देने जा रहे हैं, जिनका नाम है संकल्प शर्मा।

कौन है संकल्प

संकल्प ,मध्य प्रदेश के विदिशा के रहने वाले हैं और इन्होंने पुणे स्थित भारतीय विद्यापीठ से एमबीए की डिग्री हासिल की और फिर उसके बाद बैंकिंग सेक्टर में नौकरी करने लगे। उन्हें शुरू से ही खेती का बहुत शौक था। नौकरी तो अच्छी मिल गई थी और पैसे भी अच्छे मिल रहे थे लेकिन मन में खुशी नहीं थी। आखिरकार उन्होंने 2015 में नौकरी छोड़ने का फैसला कर लिया और वापस आकर खेती करना शुरू कर दिया।

organic farming

10 साल तक दिया था बैंकिंग सेक्टर में सेवा

संकल्प बताते हैं कि करीबन 10 वर्षों तक उन्होंने बैंकिंग सेक्टर में अपनी सेवा दी है। उन्हें यह बात तो पता थी कि वह इस क्षेत्र में काफी आगे बढ़ रहे हैं लेकिन काम एक ही कर रहे हैं। इसलिए उन्होंने फैसला किया कि उन्हें नौकरी छोड़ देनी चाहिए और खेती को अपना कैरियर बनाना चाहिए।

एक लाख की सैलरी

जब संकल्प में नौकरी छोड़ने का फैसला किया तब उनकी सैलरी ₹100000 थी। मन में कहीं ना कहीं डर भी था कि नौकरी छोड़ने के बाद कहीं बहुत ज्यादा परेशानियां ना बढ़ जाए। लेकिन उन्हें यह भी पता था कि लाभ 1 दिन में नहीं कमाया जा सकता बल्कि आपको लगातार मेहनत करनी पड़ेगी तभी जाकर आप किसी भी क्षेत्र में सफल हो पाएंगे। उन्होंने 2 वर्षों तक अपने खर्च को बहुत ही सीमित कर लिया।

12 एकड़ की पैतृक जमीन का किया उपयोग

संकल्प के पास उनके पूर्वजों की 12 एकड़ जमीन थी। तो वह इसी में प्याज ,अदरक, लहसुन, मिर्च, टमाटर आदि उगाना शुरू कर दिए। उन्होंने लोगों में स्वास्थ्य के प्रति बहुत ही जागरूकता का अभाव देखा। लोगों को नहीं पता कि केमिकल किस तरीके से उनके जीवन को तहस-नहस कर रहा है। बाजार में जो सब्जियां मिलती थी उनमें रसायन उर्वरकों का प्रयोग किया जाता था जिससे उस में पाए जाने वाले सारे पोषक तत्व मिट जाते थे। तभी जैविक खेती का विचार आया l

संकल्प में प्राकृतिक खेती को जानने और सीखने के लिए 2016 में पद्म श्री सुभाष पालेकर से मिले। उन्होंने संकल्प को वह सारी चीजें बताएं कि कैसे वह तकनीकों का सहारा लेकर अच्छी खेती कर सकते हैं और कैसे कम लागत में अच्छा से अच्छा फसल उगा सकते हैं।

Sankalp

बड़े पैमाने पर होती है शरबती गेहूं की खेती

अपने 10 एकड़ के जमीन पर संकल्प में शरबती गेहूं की खेती शुरू कर दी है। आपको बता दें कि इस गेहूं की मांग हमारे देश में सबसे ज्यादा है। इसकी खास बात यह है कि इस गेहूं को तैयार करने के लिए बस एक बार सिंचाई करनी पड़ती है वहीं अगर आप दूसरे गेहूं की बात करें तो उसमें तीन चार बार सिंचाई करनी पड़ती है।
संकल्प इस शरबती गेहूं की खेती 2016 से कर रहे हैं। इनके पास प्रति एकड़ 12 से 14 क्विंटल शरबती गेहूं का उत्पादन किया जाता है और बाजार में अगर आप जाएंगे तो आपको शरबती गेहूं 3000 से 32 सौ रुपए प्रति क्विंटल तक मिलेगी वह पूरी तरीके से प्राकृतिक तरीके से उगाते हैं। इसलिए इन्हें 5000 से 6000 का दर आराम से मिल जाता है।

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तकनीकों के साथ करते हैं खेती

संकल्प का कहना है कि प्राकृतिक खेती के मूल चार स्तंभ माने जाते हैं। बीजामृत, मल्चिंग, जीवामृत और वापसा। वह बताते हैं कि जहां पर वह अभी प्राकृतिक खेती कर रहे हैं ठीक उसी जगह पर पहले केमिकल फार्मिंग की जाती थी। ऐसे में मिट्टी को बदलना काफी ज्यादा जरूरी हो गया था इसके लिए उन्होंने पानी में खूब जीवामृत का इस्तेमाल किया और उर्वरक क्षमता पर काम किया।

संकल्प बताते हैं कि खाद के लिए आमतौर पर वो सिर्फ गाय के गोबर का इस्तेमाल करते हैं। अगर बात कीटनाशक की की जाए तो वह आम अमरूद और नीम की पत्तियों का रस और उसके साथ-साथ अदरक लहसुन और मिट्टी को मिलाकर बनाते हैं।

जैसा कि हमने बताया कि उन्होंने तकनीकों के लिए जानकारी सही ढंग से हासिल की थी उसके साथ साथ वह 5 लेयर तकनीक भी अपनाते हैं।

सॉइल टेक्निक का होता है प्रयोग

संकल्प वेंकट रेड्डी के सॉइल टेक्निक के तहत अपने खेतों में तीन से चार फीट मिट्टी को निकाल देते हैं और फिर 200 लीटर पानी में करीबन 30 किलो मिट्टी का घोल बनाते हैं। बाद में यह मिट्टी काफी चिकनी हो जाती है और कुछ पैमाने पर ऊपरी मिट्टी को भी मिला देने के बाद इसका प्रयोग फसल पर छिड़कने के लिए किया जाता है।

इस प्रक्रिया की सबसे खास बात यह है कि अगर फसल में कोई फंगस या कीट लगे होंगे तो वह खत्म हो जाते हैं। और आप अपने पौधों को बीमारियों से दूर भी रख सकते हैं। जब आप ऊपरी मिट्टी इस्तेमाल करते हैं तो आप के पौधे तेजी से बढ़ते हैं और इनमें से humus मौजूद रहता है साथ ही यह एक तरीके से उर्वरक का काम करता है।

संकल्प यह चाहते हैं कि उनके खेती के कामों में 2016 हस्तक्षेप काफी कम हो जिससे पौधों को स्वत बढ़ने में मदद मिले और इसके साथ-साथ पर्यावरण को भी लाभ मिले। इसीलिए उन्होंने 2016 से 5 लेयर तकनीक की शुरुआत की। इस तकनीक के वजह से वह अपने 2 एकड़ की जमीन पर पपीता, नींबू ,सीताफल के साथ-साथ टमाटर ,अदरक और दलहन की भी खेती कर पाते हैं। यह एक तरीके से बगीचे जैसा हो जाता है जिसमें मानवीय हस्तक्षेप कम होने पर भी इनके बढ़ने में कोई कमी नहीं होती।

क्या है लाभ प्रतिशत

संकल्प का कहना है कि उनके खेतों में काम नर्मदा नेचुरल फार्म के द्वारा किया जाता है। इसके अंतर्गत वह अपने उत्पादों को 2 तरीके से बेचते हैं। पहला तो थोक और दूसरा खुदरा। इसके साथ ही आज उनके ग्राहक रायपुर ,बेंगलुरु, मुंबई ,दिल्ली और पुणे तक फैल चुके हैं। हर साल संकल्प को उनके खेतों के द्वारा 12 से 13 लाख रुपए की बचत हो जाती है। साथ ही इन्होंने 5 लोगों को नियमित रूप से नौकरी पर रखा है।

Sankalp doing papaya farming

भविष्य में है कुछ योजनाएं

संकल्प चाहते हैं कि वह छोटे-छोटे किसानों को एक साथ जोड़ कर एक मंच पर लाएं। इससे बाजार में बेहतर ढंग से आदान-प्रदान का काम होगा जिससे बिचौलियों को खत्म किया जा सकेगा। इससे छोटे किसानों को अधिक से अधिक लाभ मिलेगा और ग्राहकों का खर्च भी कम होगा। इस तरीके से समाज में एक सकारात्मक सोच का प्रभाव पड़ेगा। कभी-कभी हमें यह सुनने को मिलता है कि प्राकृतिक उत्पाद बहुत ही महंगे मिलते हैं तो इसी बात को गलत साबित करने के लिए संकल्प ने एक सपना देखा है जहां पर कोई बिचौलियों को बाजार में हस्तक्षेप नहीं करने देगा।

जागरूकता फैलाना है

हमें लोगों को जागरूक भी करना है ताकि वह केमिकल वाली चीजों को खाने से पहले सोचें । जितना शुद्ध और स्वच्छ हम खाएंगे उतना ही हम अपने जीवन में आगे बढ़ेंगे। संकल्प में अपना यूट्यूब चैनल 2020 में शुरू किया जिसके जरिए वह लोगों को प्राकृतिक खेती के बारे में जागरूक करते हैं और उन्हें जानकारियां भी देते हैं। आपको बता दें कि कुछ ही महीनों में उन्होंने 25000 सब्सक्राइबर्स को खुद से जोड़ लिया है।

सरकार से भी की गई है अपील

संकल्प भारत सरकार से यह अपील करते हैं कि भारत में प्राकृतिक खेती की संभावनाओं को बढ़ाया जाए और लोगों को जागरूक किया जाए। इसके लिए उन्हें जिला स्तर पर किसानों के पास मॉडल पेश करने होंगे जिससे उन्हें प्राकृतिक खेती पर भरोसा हो।

The Logically संकल्प के इस जागरूकता अभियान को सलाम करता है और उम्मीद करता है कि हमारे पाठक भी इससे प्रेरित होकर प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देंगे।