आजकल जैविक खेती का प्रचलन काफी तेजी से बढ रहा है। जैविक खेती के साथ-साथ प्राकृतिक खेती को भी अपनाया जा रहा है। सभी अपने अच्छे स्वास्थ्य के प्रति जागरुक हो रहे है। इसलिए रासायनिक खेती का त्याग कर अब लोग प्राकृतिक खेती को अपना रहें हैं।
आज हम अपको एक ऐसे ही किसान के बारे में बताने जा रहें हैं जिसने प्राकृतिक खेती को अपना कर अच्छी फसल के साथ-साथ अपने लागत को भी 60 हजार से घटाकर 2-3 हजार रुपये कर ली है। आइये जानते है उस किसान के बारे में।
प्रकाशभाई पटेल सुरत के वाडिया गांव के रहनेवाले हैं। उन्होंने गौ आधारित खेती को अपनाया है। इस खेती का फायदा यह है कि इसमें अच्छी फसल के साथ-साथ उनकी फसल का खर्च 60 हजार रुपये से घटकर 2-3 हजार रुपये तक आ गया है।
प्रकाश भाई ने पूरी तरह से रासायनिक खाद और दवाइयों का त्याग कर दिया है। वह बताते हैं कि उनके पास 4 बीघा जमीन है जिसमें वह भिंडी, बैंगन, मिर्च, प्याज तथा अन्य हरी सब्जियों को उगाते हैं। उन्होंने जनवरी के महीने में भिंडी का बीज बोया था। उसमें वह पेस्टिसाइड का प्रयोग नहीं किए थे। उन्होंने सिर्फ गौ मूत्र (गाय के गोबर) का ही प्रयोग किया और देखा कि कम समय में ही अच्छी फसल तैयार हो गई। फसल का स्वाद भी पहले के अपेक्षा बहुत अच्छा था जिसकी वजह से प्रकाशभाई को अच्छी कीमत की आमदनी भी हुई।
प्रकाश भाई ने बताया कि प्रयोग के बाद रासायनिक खाद और दवाइयों का खर्च बहुत कम हो गया। पहले ₹7000 तक की लागत का खर्च आता था जबकि वहीं खर्च अब 7000 से घटकर 2-3 हजार रुपये तक आ गया है। इसी फायदे के बाद से प्रकाशभाई ने प्राकृतिक खेती करना आरंभ कर दिया अब उनका लक्ष्य जीरो बजट का है।
प्रकाश भाई पटेल ने 1 वर्ष पूर्व ही प्राकृतिक खेती अर्थात गांव आधारित खेती की शुरुआत की थी। उन्होंने इसकी खेती के लिए 1 सप्ताह की ट्रेनिंग भी ली। ट्रेनिंग के बाद उन्होंने अपने गांव के पास स्थित गौशाला से संपर्क किया तथा वहां से प्रतिदिन गाय के गोबर और गाय का मूत्र लाकर अपने फसलों पर उसका उपयोग किया।
अपनी फसलों पर अच्छा प्रभाव होते देख कर प्रकाशभाई ने गिर नस्ल की दो गायें खरीदी। उन्होंने घर पर ही जिवामृत, दशपर्णीअंक जैसी दवाए बनाकर फसलों पर छिड़काव करना आरंभ किया। उन्होंने दूसरे किसानों को भी इसके लिये प्रोत्साहित किया। किसानों को जब इसके बारे में जानकारी मिली तो वे भी प्रकाशभाई के रास्ते पर चलने लगे।
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फसलों के प्रमोशन के लिए किसानों का ग्रुप
किसानों ने अपना एक ग्रुप भी बनाया है। इस ग्रुप के जरिए वे रासायनिक खाद रोहित फसलों को शहर में ले जाकर लोगों को इसके बारे में बताता है, ताकि दूसरे किसान भी प्राकृतिक खेती को अपना सके तथा उन्हें अपने फसलों का अच्छा मूल्य भी मिल सके। इसके अलावा उस ग्रुप ने यह सुविधा उपलब्ध कराई है कि कोई भी किसान देसी दवा और खाद बनाने के प्रशिक्षण के लिये उनसे संपर्क कर सकता है।
प्राकृतिक खेती के फायदे
प्रकाशभाई पटेल ने बताया कि गौ आधारित खेती से पेस्टीसाईड का प्रयोग नहीं होने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ता है। गोबर के उपयोग से भूमि ठोस नहीं होती और हल भी आसानी से चलता है। इसके वजह से जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग की समस्या से से भी निपटा जा सकता है क्यूंकि पेस्टीसाइड के प्रयोग से धीरे-धीरे खेतों की उर्वरा शक्ति खत्म हो जाती है।
आपको बता दें कि पेस्टिसाइड के प्रयोग वाली फसलों से कैंसर डायबिटीज जैसी बीमारियों का खतरा अधिक बढ़ रहा है। यदि सभी प्राकृतिक खेती को अपनाये तो गम्भीर बिमारियों से निपटने के अलावा रासायनिक खाद और महंगी दवाओं का खर्च भी बचाया जा सकता है। जैविक खाद को तैयार करना बेहद सरल है। इसे तैयार करने के लिये सिर्फ 6-7 दिनो की ट्रेनिंग से ही किसान इसे खुद तैयार कर सकते हैं।
The Logically प्रकाश भाई पटेल को प्राकृतिक खेती को अपनाने तथा अन्य किसानों को प्राकृतिक खेती के लिये प्रोत्साहित करने के लिये शुभकामनाएं देता है।