Wednesday, December 13, 2023

उम्र की सीमा कभी बंधन नही हो सकती, उज्जैन की शशिकला ने 80 के उम्र में Ph. D कर मिसाल कायम किया

आपने एक कहावत सुना होगा कि, पढ़ने की कोई उम्र नही होती। यह तो किसी भी उम्र में भी की जा सकती है। लोग अपनी उम्र चालीस के पार पहुंचने के बाद भी पढ़ते हैं और साठ का उम्र पार होने के बाद भी। इस कहावत को साबित करने वाली उज्जैन (Ujjain) की रहने वाली एक महिला है, जिन्होंने 80 साल की उम्र में संस्कृत (Sanskrit) से पीएचडी की उपाधि हासिल किया। लोगो ने इस महिला के जज्बे को सलाम किया।

Shashikala gets PhD degree



‌कौन हैं वह महिला :-

‌उज्जैन (Ujjain) की रहने वाली शशिकला (Shashikala) ने 80 साल की उम्र में संस्कृत से पीएचडी (PHD) किया। शशिकला ने यह उपाधि सेवा शिक्षा विभाग से व्याख्याता पद से सेवानिवृत्त होने के बाद हासिल की। उसके बाद शशिकला ने वर्ष 2009 से 2011 में ज्योतिषी विज्ञान से एमए (MA) किया। उनको पढ़ाई में रुचि बढ़ती गई और वो संस्कृत (Sanskrit) विषय में वराहमिहिर के ज्योतिष ग्रंथ ‘वृहत संहिता’ पर पीएचडी करने का विचार किया। उन्होंने वर्ष 2019 में संस्कृत विषय से पीएचडी की डिग्री हासिल की। शशिकला ने ‘वृहत संहिता के दर्पण में सामाजिक जीवन के बिंब’ विषय पर डॉक्टर ऑफ फिलासॉफी की। डिग्री महर्षि पाणिनी विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ. मिथिला प्रसाद त्रिपाठी के मार्गदर्शन में हासिल किया।

Shashikala gets PhD degree



‌राज्यपाल ने किया तारीफ :-

‌राज्यपाल आनन्दीबेन पटेल को सुखद आश्चर्य हुआ, जब उन्होंने 80 वर्षीय महिला को डिग्री प्रदान किया। उन्होंने शशिकला की खूब तारीफ की।

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‌पहले से ही थी संस्कृत में रुचि :-

‌शशिकला ने एक न्यूज़ चैनल को दिए इंटरव्यू में बताया कि, मेरी सदैव ज्योतिष विज्ञान में रूचि रही है और इस कारण विक्रम विश्वविद्यालय द्वारा प्रारम्भ किये गये ज्योतिर्विज्ञान विषय में एमए में प्रवेश लिया। इसके बाद और पढ़ने की इच्छा हुई तो वराहमिहिर की वृहत संहिता पढ़ी और इसी पर पीएचडी करने का विचार किया।

PhD



‌शशिकला ने यह साबित करके दिखाया है कि पढ़ने के लिए कोई उम्र मायने नही रखता बस कुछ सीखने के लिए मन मे लालसा और सच्चे लगन की जरूरत होती है। वैसे इंसान जिंदगी भर कुछ न कुछ सीखता है। शशिकला जैसे लोग हमारे लिए प्रेरणा के स्रोत है क्योंकि जिस उम्र में लोग आराम करने को सोचते है, शशिकला ने अपने पढ़ाई के लिए सच्ची निष्ठा से अपनी एक अलग पहचान बनाई।