अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को बेहतर करने के लिए एक महिला कुछ भी कर गुजरती है। छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) की रहने वाली तारा प्रजापति (Tara Prajapati) भी उनमें से एक हैं। वह अपने जज्बे और कठिन परिश्रम से रोज़ सड़कों पर निकलती हैं। वह अपने जीवन को संघर्ष और कठिनाई से गुज़ार रही हैं। तारा अपने परिवार का रोज़गार चलाने के लिए अपने एक साल के बच्चे को पेट पर बांध कर अम्बिकापुर शहर के सड़कों पर ऑटो रिक्शा (Auto) चलाती हैं।
आम व्यक्ति करते हैं तारा की तारीफ
तारा प्रजापति (Tara Prajapati) के जज्बे और हिम्मत के आगे कोई भी व्यक्ति कमज़ोर पड़ सकता है। वह हर एक व्यक्ति के लिए प्रेरणा की पात्र हैं। इस शहर का हर व्यक्ति तारा को जानता हैं। लोग तारा (Tara Prajapati) के बारे में यही कहते हैं कि तारा बहुत हिम्मती है। वह बहुत साहस वाली है। वह अपने बच्चे को गोद में बांध कर शहर में ऑटो चलाती हैं। किसी भी महिला के लिए सड़क पर ऑटो रिक्शा चलाना बिल्कुल भी आसान नहीं है।
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अपने परिवार को बेहतर ज़िंदगी देने के लिए तारा चलाती हैं ऑटो रिक्शा
तारा ऑटो चलाते हुए भी अपने बच्चे का पूरा ध्यान रखती हैं। वह बच्चे के लिए खाना-पानी अपने साथ ही रखती हैं। तारा प्रजापति (Tara Prajapati) 12वीं तक कॉमर्स संकाय की साथ पढ़ी हैं। उसके बाद उनका विवाह हो गया। तारा के पति ऑटो चालक (Auto Driver) का काम करते हैं। उनके परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने के कारण तारा ने अपने पति के साथ ऑटो चलाना सीख लिया और खुद भी ऑटो ड्राइवर (Auto Driver) बन गईं। तारा (Tara Prajapati) बताती हैं कि मैं बहुत ही गरीब परिवार से तालुक्क रखती हूं। उनके घर में बच्चे की देखभाल के लिए कोई भी नहीं है इसलिए वह अपने बच्चे को अपने पेट से बांध के ऑटो (Auto) चलाती हैं। तारा (Tara Prajapati) अपने पति का साथ देने के लिए ऑटो (Auto) चलाती हैं।