यूपीएससी को लेकर युपी और बिहार के युवाओं का एक अलग ही क्रेज देखा जाता है। यूपीएससी का हब कहे जाने वाला दिल्ली का राजेंद्र नगर और मुखर्जी नगर में देश के अन्य राज्यों के अपेक्षा यूपी-बिहार के छात्र अधिक आते हैं। इसके अलावा आमतौर पर यह देखा जाता है कि देश को सबसे अधिक IAS और IPS बिहार-यूपी राज्यों ने दिए हैं, क्योंकि वहां के छात्र अधिक मेहनती और होनहार होते हैं।
उत्तरप्रदेश (Uttar Pradesh) के जौनपुर (Jaunpur) जिले का एक छोटा-सा गांव माधोपट्टी (Madhopatti) ऐसी अनोखी मिसाल पेश कर रहा है, जो देश के सभी गांवों के लिए प्रेरणास्रोत बनता जा रहा है।
अफसरों का गांव कहा जाता है
उत्तरप्रदेश (Uttar Pradesh) की राजधानी लखनऊ से 250 किलोमीटर दूर स्थित माधोपट्टी (MadhoPatti) गांव को अफसरों का गांव भी कहा जाता है। इस गांव के लगभग प्रत्येक घर के IAS, IPS हैं। इतना ही नहीं, अपनी प्रतिभा के कारण इस गांव के कई लोग इसरो, मनाली और इंटरनेशनल बैंक में भी अच्छी पोस्ट पर हैं। (Village of Officers)
ऐसे शुरू हुआ आईएएस का सफर
रिपोर्ट के मुताबिक इस गांव के सबसे पहले IAS अधिकारी मुस्तफा हुसैन थे। मुस्तफा ने साल 1914 में UPSC की परीक्षा में सफलता हासिल करके PCS में शामिल हुए थे। इसके बाद साल 1951 में इंदु प्रकाश ने UPSC की परीक्षा में दूसरी रैंक हासिल करके IFS ऑफिसर बने। वे लगभग 16 देशों में भारत के राजदूत भी रहे। उसके बाद 1953 में उन्हीं के भाई विद्या प्रकाश सिंह का भी IAS पद के लिए चयन हुआ।
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एक ही परिवार के 4 लोग आईएएस
माधोपट्टी (Madhopatti) गांव के नाम एक और अनोखा रिकॉर्ड दर्ज है। इस गांव के एक ही परिवार के चार भाइयों ने IAS बनकर नया रिकॉर्ड कायम किया है। वर्ष 1955 में एक परिवार के बड़े बेटे विनय ने यूपीएससी में 13वां स्थान प्राप्त किया था। वर्ष 1964 में उनके दोनों भाई छत्रपाल सिंह और अजय कुमार सिंह ने इस परीक्षा में सफलता हासिल की। इसके बाद उन्हीं के छोटे भाई शशिकान्त सिंह ने भी साल 1968 में UPSC में सफलता हासिल करके नया इतिहास रच दिया था।
इंटरमीडिएट के साथ ही शुरू हो जाती है तैयारी
रिपोर्ट के अनुसार माधोपुर गांव मे और ना ही दूर-दूर तक, कोई भी कोचिंग इंस्टीटयूट नहीं है। इसके बावजूद भी यहां के युवां अपनी कड़ी मेहनत और लगन से कामयाबी के शिखर को छू रहे हैं। उस गांव के एक शिक्षक का कहना है कि इन्टरमीडिएट में पढ़ने वाले छात्र IAS, PCS के मार्गदर्शन पुस्तकों के साथ दिखाई पड़ते हैं।
यह गांव, देश के सभी युवाओं को संदेश देता है कि सुख-सुविधाओं से वंचित होने के बावजूद भी यदि मन में लगन और दृढ़ निश्चय हो, तो बुलंदियों को छुआ जा सकता है।