सब्र एक ऐसी सवारी है जो अपने सवार को कभी गिरने नहीं देती। जब भाग्य कामयाबी के तरफ ले जाता है तो उसे कोई रोक नहीं सकता है। जी हाँ, आज हम बात करेंगे, चेन्नई (Chennai) के रहने वाले जयावेल (Jayavel) की, जिनके पिताजी बचपन में हीं गुजर गए थे। पिता के गुजरने के बाद जयावेल ने जैसे-तैसे सड़कों पर भीख मांग कर अपने खर्च निर्वहन करना शुरू किया। कुछ समय बाद उनके भाग्य ने करवट ली और उनका दाखिल यूके (UK) के कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में हो गया और अब उसमें वो उतीर्ण भी हो गए है।
भीख मांगने से कैंब्रिज में पढ़ने तथा अमेरिका तक का सफर की तय
जयावेल (Jayavel) जब 3 साल के थे, तब उनके पिताजी का निधन हो गया था। वे तीन भाई बहन थे, जिसमे जयावेल सबसे बड़े थे। पिता के गुजरने के बाद जयावेल की गम में डूबी मां को शराब पीने की आदत लग गई। अब बिना आमदनी के शराब पीने की आदत से घर में इन तीनों भाईयों-बहनों के लिए खाने के भोजन तक नहीं थे। इसके बाद उन्होंने सड़कों पर भीख मांगना शुरू किया। कुछ समय तक ऐसे ही उनकी जिंदगी की नैया चलती रही। एक समय सुयंम एनजीओ के संस्थापक उमा और माथुराम का नजर भीख मांगते हुए इन तीनों बच्चों पर गया। इसके बाद उन्होंने इन तीनों बच्चों को सिरगु माॅनटेसरी स्कुल में एडमिशन कराया। वहीं से तीनों भाईयों बहनों ने 12वीं तक की पढ़ाई की। इसके बाद उन्होंने कैंब्रिज विश्वविद्यालय में एडमिशन कराया। कैंब्रिज से पास आउट होने के बाद उन्होंने Glyndwr university में एक कोर्स के लिए एडमिशन कराया। इन सब पढ़ाई के लिए जयावेल ने लोन से पैसे लिए थे। इन सभी कोर्स के बाद उन्होंने विमान मेंटीनेंस टेक्नालॉजी का कोर्स किया।
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अब हुए कामयाब, अब सड़कों पर भीख मांगने और फुटपाथ पर रहने वालो की मदद करने को ठानी
जयावेल अपनी कामयाबी के बारे में बात करते हुए बताते हैं कि “भागवान पर भरोसा रखते हुए लग्न के साथ पढ़ाई भी की, इसी का कारण है कि आज हम कामयाब हुए”। वे अपनी कामयाबी का श्रेय सुयंम एनजीओ के संस्थापक उमा और माथुराभ को देते हैं, उन्होंने ही इनकी जिंदगी संवारी। जयावेल का सपना है कि, वे अपनी पढ़ाई के ॠण को भरने के बाद अपने मां के लिए एक अच्छा सा घर बनाएंगे। इसके बाद उन्होंने अपनी कमाई सड़क और फुटपाथ पर रहने वालो की मदद के रूप मे देने को ठानी है।