आज के समय में एक तरफ जहां अधिकांश लोग सिर्फ अपने लिए जीते हैं, उन्हें सिर्फ अपनी सुख-सुविधा का ख्याल रहता है। वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो अपनी सुख-सुविधा को छोड़कर दूसरों के लिए जी रहे हैं।
लुधियाना (Ludhiana) के एक वकील अपने लाखों का कारोबार छोड़कर झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले बच्चों के हाथ से कूड़ा छिनकर उन्हें किताबें थमा रहे हैं और उनमें शिक्षा की दीप जला रहे हैं।
कौन हैं वह एडवोकेट?
कई वर्षों से अपनी शैक्षणिक ज्ञान से झुग्गी के बच्चों के चेहरे पर किताबों से मुस्कान लाने वाले वकील का नाम हरिओम जिंदल (Hariom Jindal) है। वे कई सालों से इस काम में जुटे हैं। – Hariom Jindal teaching in slums
खोले हैं छह स्कूल
एडवोकेट हरिओम जिंदल (Advocate Hariom Jindal) बिजनेस परिवार से सम्बंध रखते हैं। उन्होंने 44 वर्ष की उम्र में बिजनेस छोड़कर वकालत की पढ़ाई करना शुरु कर दिया। उसके बाद उन्होंने झुग्गी के बच्चों का भविष्य बेहतर बनाने की राह पर काम करने लगे।हरिओम झुग्गियों में छह विद्यालय चला रहे हैं, जिसमें लगभग 200 बच्चों को पढ़ाते हैं। ये सभी वैसे बच्चें हैं, जो आसपास के क्षेत्रों में कूड़ा बिनते थे और कभी स्कूल का मुंह तक नहीं देखा था।
अधिकारों के प्रति करते हैं जागरुक
हरिओम (Hariom) बच्चों को उनके अधिकारों के प्रति जागरुक भी करते हैं। वे बच्चों को ‘ए फॉर एप्पल’ के बजाय ‘ए फॉर एडमिनिस्ट्रेटर’, ‘बी फॉर बैलेट’ और ‘सी फॉर कॉन्सटीट्यूशन’ पढ़ा रहे हैं। हरिओम बच्चों को पढ़ाने के साथ ही उनकी खुशियों में शामिल भी होते हैं। किसी के जन्मदिन को मनाने के साथ उन्हें अच्छे रेस्टोरेंट और होटल में लंच भी करवाते हैं। – Hariom Jindal teaching in slums
फ्री कम्प्यूटर की शिक्षा देते हैं
वे स्कूल के अलावा कम्प्यूटर सेंटर भी चला रहे हैं, जिसमें वे बच्चों को कम्प्यूटर चलाना सिखाते हैं। हरिओम के इस नेक प्रयास से झुग्गियों के सौ से अधिक बच्चे कम्प्यूटर चलाना सीख गए हैं।
झुग्गी के बच्चों का भविष्य, संसाधनों की कमी के वजह से बर्बाद न हो इसके लिए एडवोकेट हरिओम जिंदल जिस तरह प्रयास कर रहे हैं, वह बेहद प्रशंसनीय है। – Hariom Jindal teaching in slums
The Logically उन्हें इस कार्य के लिए शत-शत नमन करता है।