कभी कभी किसी के साथ ऐसी परिस्थितियां आ जाती है कि उन्हें बीच में ही पढ़ाई लिखाई छोड़ कर परिवार की जिम्मेदारियां उठानी पड़ती है। बहुत से लोग इन मजबूरियों के साथ ही साथ अपना रास्ता बना ही लेते है। उन्हें जिंदगी का असली विजेता कहा जाता है। आज हम बात करेंगे एक ऐसी ही शख्स का जिन्हें बचपन से ही आर्थिक तंगी के कारण पैसा कमाने के लिए घर से बाहर निकलना पड़ा। ताकि घर के हालातों को संभाला जा सके। लेकिन घर सम्भालने के चक्कर मे उसको जिंदगी कई बार डगमगा भी गई, लेकिन उन्होंने हार नही मानी। अंततः वह कामयाब हुए और आज के समय मे उनका कारोबार 40 करोड का है।
कौन है वह शख्स?
हम बात कर रहे हैं, आसिफ अहमद (Aasif Aahmad) की, जो कि चेन्नई (Chennai) के पल्लवरम ( Pallavaram) के रहने वाले हैं। वह एक मध्यम परिवार से ताल्लुक रखते थे। पिता के नौकरी से सस्पेंड हो जाने के बाद उन्हें 12 वर्ष की उम्र से ही जिम्मेदारी उठानी पड़ी। सबसे पहले उन्होंने शुरुआत में अखबार बेचने के साथ ही साथ किताबे बेचकर कुछ पैसे भी कमाएं।
चमड़े के जूते चप्पलों का कारोबार शुरू किया
आर्थिक तंगी से जूझ रहे आसिफ़ अहमद (Aasif Aahmad) के मन में हमेशा कुछ नया करने का विचार आता था। 12 साल की उम्र में मजबूरियों से घीरे आसिफ अहमद ने सबसे पहले अखबार बेचने का काम किया। अखबार बेचने के बाद कुछ पैसों की आमदनी होने पर आसिफ अहमद ने चमड़े के जूते चप्पल का कारोबार करना शुरू किया। चमड़े के जूते चप्पल के कारोबार से उन्होंने लगभग एक लाख रूपये तक की कमाई की। उसके बाद धीरे-धीरे उनका कारोबार मंदा पड़ते गया और उनकी आमदनी ठप हो गई तथा चमड़े के जूते चप्पल की दुकानें बंद हो गई।
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बिरयानी विशेषज्ञ के साथ खाना बनाने का भी किया काम
चमड़े के कारोबार ठप्प हो जाने के बाद आसिफ अहमद (Aasif Aahmad) ने अपने बचपन की ख्वाहिश पूरी करने के लिए एक बिरयानी विशेषज्ञ की देखरेख में उसके अंडर में काम करना शुरू की। वे बिरयानी विशेषज्ञ के साथ आसपास के शादी समारोह तथा अन्य पार्टियों में बिरयानी बनाने का काम करते थे। कुछ समय बाद उनके पास अच्छी खासी पैसे हो गई और वह एक नौकरी लगवाने के नाम पर पैसे लेने वाले गिरोह के काॅनटेक्ट में आ गए। नौकरी दिलवाने वाले गिरोह के एक युवक ने उनसे नौकरी के बदले 35000 रूपये की डिमांड की। हुआ कुछ ऐसा कि उन्होंने मुंबई आने के बाद उस युवक को जैसे ही 35000 रूपये दिये, वैसे ही उस युवक से कोई कांटेक्ट नहीं हो पाया और उन्हें बगैर नौकरी के वापस निराश होकर घर लौटना पड़ा।
बिरयानी का ठेला लगाना शुरू किया
ठगी गिरोह से ठगे जाने के बाद आसिफ अहमद (Aasif Aahmad) ने अपने घर आकर ठेले पर बिरयानी का दूकान शुरू किया। पहले से बिरयानी विशेषज्ञ के पास रहकर बिरयानी बनाना सिख चुके आसिफ अहमद की दुकानें खूब चलने लगी। कुछ ही समय बाद उनको बिरयानी ठेले से अच्छी खासी आमदनी होने लगी और लगभग 3 से 4 महीने बाद 10 से 15 किलो तक बिरयानी बिकने लगी। आसिफ अहमद घर पर ही बिरयानी बना कर ठेले के द्वारा मार्केट पर दुकान लगाकर अच्छी खासी बिक्री करने लगे तथा वे बहुत अच्छे पैसे कमाने लगे। उसके बाद उन्होंने कुछ बड़ा करने को ठानी और वे मन ही मन कुछ बड़ा करने का प्लान बना ले लगे।
कारोबार का विस्तार करते हुए ठेले वाले बिरयानी का रूप बदल कर ‘आशिफ बिरयानी’ (Aasif Biryani) रखा
ठेले पर लगे दुकान से बिरयानी बेचकर अच्छी-खासी आमदनी करने वाले आसिफ अहमद ने अपने कारोबार को बढ़ावा देते हुए ठेले लगाने वाली जगह पर एक दुकान भाड़े पर लेने का काम किया। वर्ष 2002 में उन्होंने ठेले को हटाकर दुकान लिया। उसके बाद उन्होंने लगभग 3 सालों बाद अपने दुकान में हेल्पर के रूप में तीन आदमी को रखने को रखा। दुकान जब अच्छी खासी चलने लगी तो उन्होंने दूकान के बगल में ही में 1500 वर्ग फुट में आउटलेट खोला। ऐसे ही धीरे-धीरे आसिफ अहमद ने अपने कारोबार में दिमाग से काम किया और कुछ सालों बाद उन्होंने बैंक से लोन लेकर के 8 नए रेस्टोरेंट खोलने का काम किया और आज के समय में वे करोड़ों के मालिक बन चुके हैं। उन्होंने अपने कारोबार का एक बड़े पैमाने पर बढ़ाने का काम किया। ऐसे ही उनका कारोबार खूब चलने लगा और कुछ समय बाद ऐसा देखने को मिला कि उनके परिवार में मतभेद हो गया। उसके बाद उन्होंने अपने परिवारिक मतभेद को सुलझाते हुए दो रेस्टोरेंट अपने मां के नाम तथा दो रेस्टोरेंट अपने भाई के नाम कर दिया। धीरे-धीरे समय बदलते गया और आज के समय में आसिफ अहमद करीब 40 करोड़ के कारोबार से जुड़े हैं।