उम्र 26 साल और पद न्यायाधीश. लखनऊ के रहने वाले आदर्श त्रिपाठी(Adarsh Tripathi Judge) अपने बैच के सबसे युवा न्यायाधीश हैं. सेकंड रैंक से परीक्षा उत्तीर्ण कर आदर्श ने यह पद हासिल किया है।
आदर्श का जन्म 18 जनवरी 1995 को लखनऊ में हुआ था। इनके पिता अनिल त्रिपाठी (Anil Tripathi) रियल स्टेट के कारोबारी और समाजसेवी हैं। इनकी माता सीमा त्रिपाठी (Seema Tripathi) एक गृहणी हैं। दो छोटे भाई शिवम त्रिपाठी और नमन त्रिपाठी हैं।
गणित में मात्र 39 अंक मगर हार नहीं माने
आदर्श त्रिपाठी (Adarsh Tripathi Judge) की प्रारंभिक शिक्षा लखनऊ के दिल्ली पब्लिक स्कूल से हुई। 12वीं में दोस्त साइंस स्ट्रीम से पढ़ाई कर रहे थे, इसलिए आदर्श ने भी साइंस ले लिया। बोर्ड परीक्षा में 63.4% मगर गणित में मात्र 39 अंक आए। लेकिन यहां आदर्श ने हार नहीं मानी। एक मित्र के समझाने पर इन्होंने क्लैट का फॉर्म भरा। 2012 में अपने पहले हीं प्रयास में इनका चयन पटना के चाणक्य राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय (Chanakya National Law University, CNLU) हो गया।
सीनियर्स से ज्यूडिशियरी एग्जाम पास करने की प्रेरणा मिली
The Logically से बात करते वक्त आदर्श त्रिपाठी(Adarsh Tripathi Judge) कहते हैं, “2012 से 17 तक विश्वविद्यालय के शिक्षकों के मार्गदर्शन में मुझे बेहतर बनने का मौक़ा मिला। वहां के कई सीनियर्स ज्यूडिशियरी एग्जाम में उत्तीर्ण हों चुके थे, उन्हें देखकर मुझे भी प्रेरणा मिली। इसलिए कॉलेज के बाद 2017 में तैयारी करने के लिए दिल्ली गया। वहां मुखर्जी नगर में Rahul’s IAS नामक कोचिंग संस्थान में दाखिला ले लिया।”
सुप्रीम कोर्ट में रिसर्च असिस्टेंट के पद पर हुआ चयन
आदर्श आगे बताते हैं, 2018 में यूपी ज्यूडिशियरी की वेकेंसी आई। इसके लिए इन्होंने आवेदन भी किया मगर थोड़े से चूक गए। इस परीक्षा में आदर्श ने प्री और मेंस दोनों पास कर लिया लेकिन इंटरव्यू में छट गए। इसके बाद आदर्श ने उत्तराखंड का भी एग्जाम दिया लेकिन उसमें भी चयन नहीं हुआ। 2019 में सुप्रीम कोर्ट लॉ क्लर्क कम रिसर्च असिस्टेंट (Supreme Court Law Clerk cum Research Assistant) की परीक्षा में आदर्श को सफ़लता हाथ लगी। सुप्रीम कोर्ट के माननीय न्यायाधीश कृष्ण मुरारी जी (Krishna Murari) के साथ लॉ रिसर्चर का काम करने का अवसर प्राप्त हुआ।
दूसरी बार में दूसरा रैंक हासिल कर सफल हुए
2020 में आदर्श ने दुबारा उत्तराखंड ज्यूडिशियरी का एग्जाम दिया और इस बार दूसरी रैंक से कामयाब हुए। वर्तमान समय में आदर्श नैनीताल के उत्तराखंड ज्यूडिशियल एंड लीगल एकेडमी (Uttarakhand Judicial And Legal Academy, UJALA) भवाली में अपनी ट्रेनिंग कर रहें हैं। आदर्श अपने बैच के सबसे युवा अधिकारी हैं।
आदर्श अपने खाली समय में प्रकृति के साथ समय बिताना पसंद करते हैं। इन्हें वॉली बाल, जॉगिंग, तैराकी में भी रुचि है। इसके अलावा उर्दू शायरी पढ़ना और लिखना भी पसंद करते हैं। इनका पेन नेम ‘अर्श लखनवी’ है। आदर्श अपनी लिखी एक शायरी सुनाते हैं:-
अगर मंज़िल यकीनन चाहिए उसे।
अर्श उससे कह दो कि सो मत।।
जो ताल्लुक़ का बोझ सह नहीं सकते,
अर्श उससे कह दो कि ढो मत।।
जो उसका है वो उसे मिलकर रहेगा,
अर्श उससे कह दो कि रो मत।।
दादाजी का सपना था कि आदर्श न्यायाधीश बनें
आदर्श अपनी सफलता का श्रेय अपने माता पिता को देते हैं। The Logically से बात करते वक्त वह कहते हैं कि माता पिता ने हर क़दम पर अपना पूरा सहयोग दिया है चाहे वह आर्थिक रूप से हो या भावनात्मक रूप से। आगे वह कहते हैं, “मेरे दादा स्व० राम नरेश त्रिपाठी जी इंटर कॉलेज में लेक्चरर थे। 2012 में जब मैं पटना में एडमिशन लिया था, तब बातों-बातों में दादाजी ने कहा था कि उनका सपना है कि मैं न्यायाधीश बनूं।”
परीक्षार्थियों के लिए सुझाव
परीक्षार्थियों के लिए आदर्श की सलाह है कि अख़बार पढ़ें, पिछले कई सालों के प्रश्न पत्र देखें, आंसर राइटिंग का अभ्यास करें, मॉक टेस्ट दें और परीक्षा के समय Bare act का रिवीजन ज़रूर करें। कभी भी असफलताओं से घबराएं नहीं, उसका डटकर सामना करें। ज़िंदगी में हमें निराश नहीं होना चाहिए। पूरे निष्ठा से अपना कर्त्तव्य करना चाहिए और अपने प्रति ईमानदारी रखनी चाहिए। फिर जीत हासिल करना नामुमकिन नहीं है। अंत में आदर्श निदा फ़ाज़ली साहब का शेर कहते हैं:-
सफ़र में धूप तो होगी जो चल सको तो चलो
सभी हैं भीड़ में तुम भी निकल सको तो चलो