हम सब की ये हमेशा से जिज्ञासा रहती है कि हम जेल के अंदर की बातें जानें कि आखिर वहां कैदी किस तरह रहते हैं, क्या खाते हैं और कहां सोते हैं?? आए दिन हम पेपर एवं टीवी पर फिल्मों में ये देखते हैं कि कैदी जेल तोड़कर इतनी कड़ी मस्कत को मात देते हुए भाग जाते हैं। लेकिन ये सिर्फ फिल्मों मे ही नहीं बल्कि रियल लाइफ में भी हुआ है।
जी हां, आज हम आपको कुछ ऐसे कैदियों के विषय में बताएंगे जो जेल तोड़कर भाग गए और इतनी कड़ी सुरक्षा और जेल की दीवार को भेद दिया। आईए जानते हैं उन कैदियों के विषय में विस्तार से…
- शेर सिंह राणा
शेर सिंह राणा कोई और नहीं बल्कि वही आदमी है जिसने वर्ष 2001 में फूलन देवी को गोली मारी थी। वह पहले से ही काफी खतरनाक अपराधी था और फूलन देवी की हत्या करने के बाद और खतरनाक हो गया। जब वह तिहाड़ जेल में कैद था तब उसने अपने भाई के साथ अपने गांव रुड़की के एक साथी जिनका नाम संदीप ठाकुर की सहायता से जेल से भागने के लिए षड्यंत्र रच रहा था। ये संदीप चार बार उनसे मिलने के लिए जेल में आया था, 3 बार यह वकील बनकर यहां आया और एक बार मित्र बनकर। अब जेलर को पूरी तरह यह विश्वास दिलाने में कामयाब रहा की राणा को कोर्ट ले जाने का कार्य इसी वकील को मिला है। इस तरह वह एक झूठा अधिकारी बनकर राणा और उनके भाई दोनों को जेल से भगा ले गया।
- जगतार सिंह हवारा
हवारा बब्बर खालसा कोई और नहीं था बल्कि वह खालसा अंतराष्ट्रीय का सदस्य था। इसने खालिस्तान आंदोलन में अपनी काफी सक्रियता दिखाई थी। वह पंजाब के तत्कालीन सीएम बेंत सिंह की हत्या में भी संदिग्ध माना जाता है। जब आरोप साबित हो गया तो उसे चंडीगढ़ के बुडैल जेल में कैद कर लिया गया। अब यह जिद पर अड़ गया कि वह जेल से भागूंगा और इसके लिए उसने जेल के किचन बैरक में ने लगभग 33 फीट की सुरंग बनाई पर वह इसमें कुछ खास सफलता नहीं हासिल कर पाया। अब उस दूसरे बैरक में सेट किया गया तो उसने पुनः गुरुद्वारे के नीचे एक सुरंग खोदी लेकिन यह कार्य भी असफल हुआ। अब उसने हार नहीं मानी और अपने अन्य टीम कैदी साथियों की मदद से 8 फीट गहरी तथा 108 फुट लंबी सुरंग खोदी जो सुरंग जेल से लगभग 20 किलोमीटर दूर निकली अब वह अपने साथियों के साथ जेल से भाग निकला और आगे इन को किसी ने कभी नहीं देखा।
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बेतिया जेल के 8 कैदी हुए फरार
यह घटना वर्ष 2002 के अगस्त महीने की है जो बिहार राज्य के पश्चिम चंपारण के बेतिया जिले की है। यहां 8 ऐसे कैदी रहते थे जिन पर हत्या के अतिरिक्त बहुत से मुकदमे दर्ज थे। उनके भागने में उनकी सूझबूझ से अधिक जेल प्रशासन की ढिलाई मानी जाती है। इनकी कहानी थोड़ी गैंग्स ऑफ वासेपुर की तरह ही है। इन कैदियों ने जेल की सलाखों को आरी में ग्रीज लगाकर काटा आगे वह छिपने के लिए खाई खोदे एवं फिर उसमें कूद गए। एक कैदी दीवार पर नहीं चढ़ पाया था जिस कारण उसे पुनः कैद कर लिया गया।
- चार्ल्स शोभराज
चार्ल्स शोभराज को विश्व का सबसे बड़ा ठग माना जाता है। परंतु इसमें सिर्फ ठगी तक ही अपना कार्य जारी नहीं रखा बल्कि इसने भारत थाईलैंड नेपाल और बहुत से देशों में लगभग 12 लोगों की हत्या की थी। उसे मात्र 18 वर्ष की उम्र में ही सजा मिली और वह तिहाड़ जेल में कैद हो गया। जेल से भागने के लिए उसने शरीर में अपना खून निकाला और उसे पी लिया उसने यह इसलिए किया ताकि लोगों को लगे कि उसे अल्सर हो चुका है। अब सब उसे जब डॉक्टर के पास ले गये तो वहां से फरार हो गया। परंतु उसे कुछ दिनों के उपरांत फिर कैद कर लिए गया। हालांकि इस बार भी वह भागने में कामयाब हुआ इस बार भागने में उसकी मदद उसके मित्र डेविड ने की।
- नटरवलाल
नटवरलाल वही है जिसने लाल किला एवं ताजमहल जैसे धरोहरों को बेचने वाला शातिर ठग माना जाता है। वर्ष 1912 में नटवरलाल का जन्म बिहार राज्य के सिवान जिले में हुआ। नटवरलाल का नाम मिथिलेश कुमार श्रीवास्तव था इसकी ठगी के बहुत से किस्से मशहूर है। 1966 में जेल में कैद था एवं इतना बुड्ढा होने के बावजूद भी उसने जेल से भागने में अपनी समर्थता दिखाई। जेल से भागने के लिए उसने बीमारी का बहाना किया और कहा कि उसे हॉस्पिटल ले जाया जाए। वह बुड्ढा हो चुका था इसीलिए उसे दो अधिकारियों के साथ एम्स ले जाने के लिए बोला गया। जो कांस्टेबल उसके साथ गए थे वह दिल्ली स्टेशन पर सफाई कर्मी को बोले कि तुम इसका ध्यान रखो तब तक मैं खाना खा कर आता हूं। नटवर ने इस अवसर का फायदा उठाया और सफाई वाले को चाय के लिए बोला और वहां से रफूचक्कर हो गया।
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