विकास की राह को सशक्त करने के उद्देश्य से भारत में कई बड़े प्रोजेक्ट्स पर काम चल रहा है, जिनमें से कुछ इन्टरनेशनल लेवल के हैं। विकास की राह पर तेजी से बढ़ रहे भारत में अब एशिया का पहला फ्लाइंग जंक्शन बनने जा रहा है, जिससे ट्रेनों को आने-जाने में काफी सहुलियत होगी।
कहां बनने जा रहा है एशिया का पहला फ्लाइंग जंक्शन?
एशिया के पहले “उड़ता जंक्शन” (Fly Junction) का निर्माण बिलासपुर जोन के झलवारा से कटनी-सतना रेल मार्ग पर पटवार रेलवे स्टेशन पर किया जा रहा है। इस प्रोजेक्ट से कई दिशाओं से आने-जाने वाली ट्रेनों को काफी फायदा मिलेगा। वहीं यहां पर कई ग्रेड सेपरेटर भी बनाए गए हैं, साथ ही इस परियोजना पर काफी मजबूती से काम चल रहा है। (Asia’s first flying junction to be built in India)
कटनी-सतना रेलमार्ग (Ktani-Satna Railway track) पर बनने वाला यह उड़ता जंक्शन कई मायनों में बेहद खास है। इस प्रोजेक्ट के बन जाने से बिलासपुर की तरफ से आनेवाली मालगाड़ियों को सतना-इलाहाबाद की ओर जाने में सुविधा होगी। प्राप्त जानकारी के अनुसार, कटंगी से मझगवां के बीच अप एन्ड डाउन लाइन मिलाकर ग्रेड सेपरेटर बनेगा। साथ ही कटंगी, झलवाड़ा, मझगवां और मुड़वारा स्टेशन के पास 3.5 किलोमीटर की रिटेनिंग वॉल का निर्माण किया जाएगा।
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पांच दिशाओं से दौडेंगी यात्री ट्रेनें
“उड़ता जंक्शन परियोजना” (flying junction project) के तहत 5 दिशाओं से यात्री ट्रेने दौडेंगी, जिसकी पटरियां जमीन पर ही बिछाई जानेवाली है। इसके अलावा मालगाड़ियां ऊपर के रेलवे फ्लाईओवर पर चलेगी। इस रेलवेओवर ब्रिज की कुल लम्बाई 34.09 किमी होगी। वहीं अप लाइन में लम्बाई 16.08 km और डाउन लाइन में लम्बाई 18.01km होगी। ग्रेड सेपरेटर की लम्बाई 24.5 है।
इस ब्रिज को कटनी न्यू जंक्शन के ऊपर से निकलते ही बाईपास का निर्माण किया जाएगा। ब्रिज के खम्भों पर ट्रेन का पड़ने वाले भार को मापने के लिए डिवाइस सेटअप भी लगाया जाएगा। (Asia’s first flying junction to be built in India)
इस जंक्शन को दिया गया है “फ्लाइंग जंक्शन” का नाम
इस प्रोजेक्ट को उड़ता जंक्शन नाम दिया गया है। बता दें कि, सबसे पहले ग्रेड सेपरेटर का निर्माण लंदन में किया गया था। फ्लाइंग जंक्शन प्रोजेक्ट से ट्रैफिक दबाव से भी छुटकारा मिलेगा।