एक बहुत सुंदर पंक्ति है, “इतना आसान नहीं होता सपनों का हकीकत हो जाना, परन्तु अगर ज़िद है कुछ हासिल करने की तो इतना कठीन भी नहीं सपनों का हकीकत में बदल जाना”। अपने सपने को हकीकत में तब्दील करने के लिए लोग अपने रात की नींद और दिन का सुकून गायब कर देते हैं। जिनका ध्यान सिर्फ अपने लक्ष्य पर केंद्रित होता है वह कहीं भी पढ़ाई कर सकते हैं चाहे वह सड़के के किनारे जलने वाली लाइट हो, रेलवे स्टेशन पर जलने वाली लाइट हो या फिर मिट्टी तेल के दीए तले जलने वाली लाइट।
हमारे देश के अधिकतर युवा पार्ट टाइम जॉब या मेहनत मजदूरी करके भी अपने सपने को साकार कर लेते हैं। भले ही मजदूरी के दौरान लोग उनकी निंदा करें तो भी उन्हें को फर्क नहीं पड़ता क्योंकि ध्यान सिर्फ लक्ष्य पर ही केंद्रीत रहता है।आज की हमारी यह कहानी एक ऐसी लड़की की है जिसने अपने सपने को साकार करने के लिए दूसरों के खेतों में मजदूरी की ताकि आजीविका चल सकें। वह भले हीं मजदूरी करती थी लेकिन हमेशा से ही पढ़ाई में इक्छुक थी उन्होंने अपने मेहनत के बदौलत सेना में भर्ती हुई। -success story of B.S.F officer Sandhya Bhilal
गांव में हुआ जोरदार स्वागत
यह किस्सा मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के राजगढ़ जिले की है जहां बेहद खूबसूरत नजारा देखने को मिला है। जब एक लड़की अपनी ट्रेनिंग सम्पन्न कर बदन पर वर्दी पहने अपने गांव में पहली बार आती है तो उसका भव्य स्वागत होता है। वह लड़की बेहद गरीब परिवार से ताल्लुक रखती हैं फिर भी उसने अपनी सफलता के ध्वज लहराकर ये सिद्ध कर दिया है कि अगर मेहनत शिद्दत से की जाए तो सफलता निश्चित है।
जब वह अपने गांव में आती हैं तो उन्हें माला पहनाया जाता है और फिर घोड़े पर बैठाकर जुलूस निकाला जाता है। -success story of B.S.F officer Sandhya Bhilal
पिता करते हैं मजदूरी
वह लड़की संध्या भिलाल (Sandhya Bhilal) है जो मध्यप्रदेश के पिपल्या रसोड़ा गांव से ताल्लुक रखती है। उनके पिता का नाम देवचंद भिलाल है। संध्या का चयन 2021 में सीमा सुरक्षा बल यानी बीएसएस में हुआ है। संध्या तीन बहन है और उनके पिता मेहनत मजदूरी कर अपने परिवार का आजीविका चलाया करते हैं। संध्या को अपने घर की स्थिति पता थी इसलिए वह अधिक मेहनती करती ताकि घर में थोड़ी अधिक खुशियां आ सके। -success story of B.S.F officer Sandhya Bhilal
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संध्या ने भी किया है खेतों में काम
गरीब परिवार से ताल्लुक रखने के कारण संध्या ने भी अपने पढ़ाई के लिए अन्य लोगों के खेतों में मेहनत मजदूरी की। उन्होंने अपनी दसवीं की शिक्षा सम्पन्न की और आगे 12वीं में दाखिला लिया। 12वीं करने के उपरांत उन्होंने प्राइवेट स्कूल में जॉब करना प्रारंभ किया ताकि उनकी वित्तीय स्थिति कुछ ठीक हो सके और वह आगे पढ़ाई कर सकें। जॉब करते हुए उन्होंने M.A. में दाखिला लिया और फिर फाइनल कर लिया। उनके गांव में दो लोग आर्मी में थे वह उनसे प्रेरित हुई और उन्होंने निश्चय किया कि वह भी सेना में जाएंगी। -success story of B.S.F officer Sandhya Bhilal
7 वर्ष परिश्रम के बाद मिली सफलता किया सपना साकार
अब संध्या ने आर्मी जॉइन करने का निश्चय कर लिया और इसकी तैयारी में लग गई। वह अपने काम पर भी जाया करती थी और फिर पूरी रात पढ़ाई किया करती थी। सुबह उठकर वह दौड़ भी लगाया करती थी। उन्होंने अपने प्रयास को जारी रखा और मेहनत करते रहा। हालांकि वह 2 बार असफल भी हुई थी फिर भी उन्होंने खुद का मनोबल बढ़ाया और परिश्रम करते रखा। लगातार 7 वर्ष प्रयास करने के बाद उनका चयन बीएसएफ में हुआ और उनका सेना में जाने का सपना साकार हो गया। वर्तमान में नेपाल भूटान की बॉर्डर पर ड्यूटी कर रही है। -success story of B.S.F officer Sandhya Bhilal