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गोबर से बना दिया एयर कंडीशन घर, अब गाय की गोबर से बने ईंट और प्लास्टर से हो रही 10 लाख रुपयों की कमाई: देसी टेक्निक

हम सभी गर्मियों से राहत पाने के लिए आधुनिकीकरण की ओर अग्रसर हो रहे हैं। जैसे- बिजली से चलने वाला पंखा, कूलर, एसी और अन्य उपकरणों का इस्तेमाल।

आधुनिकीकरण के युग में भी एक व्यक्ति ऐसा है, जिसने गोबर से बने ईंट का इस्तेमाल कर घर बनाया है। साथ ही उस घर का प्लास्टर करने के लिए भी सीमेंट की जगह गोबर का ही इस्तेमाल किया है, जिससे यह घर पर्यावरण के अनुकूल बन गया है।

कौन है वह व्यक्ति?

डॉ शिवदर्शन मलिक (Dr. Shivdarshan Malik) हरियाणा (Hariyana) के रोहतक ज़िले के मदीना गांव के रहने वाले हैं। वे शुरु से ही खेती और पशुपालन से जुड़े हुए हैं। उन्होंने केमिस्ट्री विषय से पीएचडी भी किया है और बतौर प्रोफेसर शिक्षण कार्य भी किया।

Air conditioned house by eco-friendly cow dung bricks and plaster

गोबर का घर दिलाएगा गर्मियों में राहत

शिवदर्शन मलिक ने गाय के गोबर से वैदिक घर बनाने की नई तकनीक को विकसित किया है। इसके लिए उन्होंने गोबर से ईंट और वैदिक प्लास्टर भी बनाया है।

सीमेंट की तरह काम करने वाले वैदिक प्लास्टर को बनाने के लिए गाय के गोबर में ग्वारगम, चिकनी मिट्टी, जिप्सम, नींबू पाउडर आदि मिलकर तैयार किया जाता है। इसे बहुत ही सरलता से दीवार पर लगाया जा सकता है।

घर की हवा शुद्ध रहती है

गाय के गोबर से बने ईंट और वैदिक प्लास्टर (Vedic Plaster) के इस्तेमाल से बने घर वातानुकूलित होते हैं। साथ ही घर की हवा भी शुद्ध होती है। यदि बाहर का टेम्परचर 40 डिग्री है, तो वैदिक सीमेंट से बने घर के अंदर का तापमान 28-31 डिग्री तक ही रहता है।

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कैसे आया गोबर से प्लास्टर और ईंट बनाने का ख्याल?

रिन्युएबल एनर्जी, पर्यावरण और सस्टेनेबिलिटी पर काम की चाह रखने वाले शिवदर्शन मलिक ने वर्ष 2000 में IIT दिल्ली के साथ मिलकर गोशालओं से निकलने वाले वेस्ट और एग्री वैस्ट से उर्जा बनाने के प्रोजेक्ट पर काम किया था। प्रोजेक्ट के सिलसिले में वे अमेरिका भी गए थे, जहां उन्होंने भांग के पत्तों में चुना मिलाकर हैमक्रिट बनाने और उससे घर बनते देखा। वहीं से उन्हें गाय के गोबार से प्लास्टर बनाने का ख्याल आया।

खर्च बहुत कम

शिवदर्शन बताते हैं कि गोबर से ईंट बनाने में प्रति ईंट चार रुपए खर्च आते हैं और एक ईंट का वजन लगभग 1.78 किलों तक होता है। गोबर से बनी ईंट और वैदिक प्लास्टर से बने घर को बनाने में लगभग 10 से 12 रुपये स्क्वायर फिट खर्च आता है। यह सीमेंट से बने घरों की तुलना में 6 से 7 गुना कम है।

वैदिक प्लास्टर से हुई 10 लाख की कमाई

डॉ मलिक का कारखाना राजस्थान के बीकानेर में स्थित है। यहां सालाना पांच हजार टन वैदिक प्लास्टर बनाया जा रहा है। एक रिपोर्ट के अनुसार विश्वभर में 15 से अधिल डिलर्स हैं। पिछ्ले वर्ष सिर्फ वैदिक प्लास्टर से उन्हें 10 लाख की कमाई हुई थी। वे कहते हैं कि हजारों मकानों में वैदिक प्लास्टर लगाया जा चुका है। वे गोबर से ईंट भी तैयार करते हैं और लोगों को इसका प्रशिक्षण भी दे रहे हैं।

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