युवाओं के लगन और दृढ़ इच्छाशक्ति को आंकने का भला कौन बीड़ा उठा सकता है? अगर यह संगठित होकर किसी काम में जुट जाए तो उस काम का तो भला होना ही है। आज हम आपको एक ऐसे ही टीम के बारे में बताएंगे जिन्होंने मिलकर पृथ्वी को हरा रंग दिया। हम बात कर रहे हैं आंध्र प्रदेश के 8 दोस्तों के बारे में।
All is well फाउंडेशन के हैं ये सदस्य
इस संस्थान के द्वारा पर्यावरण के काफी समस्या ग्रस्त विवादों को ऊपर उठाया जाता है, और उनकी सुरक्षा के लिए मुहिम चलाया जाता है। हम सब जानते हैं कि पेड़ों की कटाई कितनी ज्यादा तेजी से बढ़ रही है, और यह हमारे पर्यावरण को कितना हानि पहुंचा रहा है। लेकिन आपको बता दें कि इन सभी दोस्तों ने मिलकर, या कहें तो इस फाउंडेशन ने अब तक लगभग 23000 पौधों को लगा दिया है।
एक किशोर के मन में आई यह योजना और शुरू हो गई पहल
पर्यावरण के प्रभाव को देखते हुए एक किशोर के मन में यह बात आई कि क्यों न हमें इस मुद्दे पर काम करना चाहिए। उसने नगर निगम और वन विभाग की सहायता से बड़े स्तर पर एक मुहीम चलाया। छोटी उम्र में जब युवाओं को प्रकृति के प्रभाव और दुष्प्रभाव के बारे में समझ आने लगे तो समझिए कि आपका देश विकास की ओर बढ़ रहा है।
2014 में शुरू हुआ था यह सफर आज 500 लोग कर रहे हैं काम
2014 में इस अभियान की शुरुआत हुई थी जिससे 8 बच्चों ने मिलकर चलाया था। इस बात के बारे में सबसे पहले सोचा था- किशोर कुमार ने। अन्य दोस्तों का नाम जिनका नाम था – राजीव, सुधीर, कमलाकर , राजकुमार ,गोवर्धन, रवि ,रेडी आदि। लेकिन आज हमें यह बताते हुए बेहद खुशी हो रही है कि इसमें अभी कुल सदस्यों की संख्या 500 है। पर्यावरण पर इतनी संख्या में जब लोग काम करेंगे तो सुधार आना ही है।
किशोर है डिप्टी कलेक्टर के बेटे-
आपको बता दें कि इस अद्भुत सोच का उद्भव करने वाले किशोर कुमार ने मार्केटिंग में एमबीए किया है। इनके पिता एक डिप्टी कलेक्टर है। उनकी इस सोच में और सफर में उनके मां और पिता दोनों ने बहुत साथ दिया और प्रोत्साहन भी देते रहें। उनके परिवार को भी प्रकृति से काफी लगाव रहा है, जिसकी वजह से उन्होंने कभी भी किशोर को इस काम से नहीं रोका।
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पार्क में देखा था कचरा, तभी आया ख्याल
एक बार किशोर एक पार्क में गए थे। उन्होंने वहां कचरे का ढेर देखा। उन्होंने सोचा कि अगर वह चाहे तो भी उसका चेहरे को अकेले नहीं साफ कर सकते हैं। इसीलिए उन्होंने अपने दोस्तों को भी इस सफाई अभियान में शामिल किया और उस कचरे वाले जगह पर पौधों को लगाना शुरू किया। तब से लेकर अब तक ना जाने कितने हजार पौधों को उन्होंने लगाया है।
गौरैया को किया याद
वह बताते हैं कि बचपन को याद करते हुए उन्हें हमेशा गौरैया की याद आती है। उनका कहना है कि हमने अपने पर्यावरण के साथ इतना खिलवाड़ किया है कि, अब पशु पक्षी हमारे आसपास दिखते भी नहीं है और धीरे-धीरे यह लुप्त होते जा रहे हैं, जो कि बहुत ही चिंतनीय विषय बना है।
किशोर सभी से अपील करते हैं कि आप भी अपने आसपास साफ-सफाई बनाए रखें और पेड़ जरूर लगाएं। आपके छोटे कदम से एक बड़ा बदलाव आ सकता है। अपने बच्चों को भी शिक्षा दें कि यहां वहां कचरे को ना फेंके ,और पर्यावरण को सुंदर और स्वच्छ बनाने में भागीदारी लें।
The Logically किशोर और उनके मित्रों के इस अद्भुत प्रयास को नमन करता है और अच्छे कामों के लिए शुभकामनाएं देता है।