हमारा देश एक कृषि प्रधान देश है। यहां के किसान खेतों में अनाज, फल, फूल एवं सब्जियों का उत्पादन अधिक करते हैं। आज हम आपको एक ऐसे किसान से रूबरू कराएंगे जिन्होंने खेती में सफलता हासिल कर अन्य महिला किसानों का मनोबल बढ़ाया है। अब उनके क्षेत्र के सभी किसान उनके द्वारा अपनाई गई तकनीक का उपयोग कर उनके तरह ही खेती कर रहे हैं।
हमारे देश के आंध्रप्रदेश राज्य में सबसे ज्यादा टमाटर का उत्पादन होता है। यहां से हमारे देश को 13% टमाटर प्राप्त होते हैं। इस फसल से कुछ किसानों की ज़िंदगी बदल जाती है तो कुछ असफल भी हो जाते हैं। कभी इसका मूल्य 2 रुपए हो जाता है तो कभी 90 रुपए भी, इसलिए इस फसल को लोग अधिक उगाना चाहते हैं। क्या पता किसान इससे कब अधिक आमदनी प्राप्त कर लें? अनन्तपुर एवं चित्तूर के कुछ किसानों ने अपने खेतों में बहुफसल मॉडल को अपनाया है ताकि उनकी आय इस मिश्रित फसलों की खेती करने से अधिक हो सके। उदाहरण के तौर पर भरतम्मा पोरेड्डी ने खेतों में टमाटर के स्थान पर लोबिया को उगाया क्योंकि वह पिछले वर्ष टमाटर की खेती से अधिक घाटे का सामना कर चुकी थी। -Cowpea cultivation by Bharatmma Poreddy
टमाटर की खेती में हुआ नुकसान तो किया लोबिया की खेती
43 वर्षीय भरतम्मा पोरेड्डी अनन्तपुर के बान्द्रेपल्ली से ताल्लुक रखते हैं। वह बताते हैं कि पिछले वर्ष हमारे यहां अच्छी खासी बारिश हुई थी जिस कारण हमें उम्मीद थी कि टमाटर का उत्पादन अधिक मात्रा में होगा जिससे हम अधिक आय भी प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि परंतु यह मेरे लिए एक बहुत हीं कठोर सबक था क्योंकि मैं अपने खेतों में उगाए एक फसल पर ही निर्भर थी जिससे मुझे अधिक नुकसान भी हुआ। तब मैंने यह निश्चय किया कि मैं अपने खेतों में टमाटर को ना उगाकर कोई अन्य फसल उगाऊंगी और मैंने अपने खेतों में लोबिया उगाना प्रारंभ किया। -Cowpea cultivation by Bharatmma Poreddy
2 लाख की हुई आमदनी
टमाटर से लेकर लोबिया तक की खेती में उनका सहयोग WASSAN ने किया है। ये एक संगठन है जो किसानों को खेतों में मदद करता है। उन्होंने इस वर्ष जनवरी में 3 एकड़ खेतों में से 1 एकड़ में टमाटर की जगह पर लोबिया उगाया और उन्हें इससे अच्छी खासी उम्मीद थी और उनकी उम्मीद हकीकत भी हुई। इस खेती में उन्हें 50 हजार रुपए प्रति एकड़ निवेश करने पड़े जिसमें उन्हें 2 लाख रुपए की आमदनी हुई। जानकारी के अनुसार लोबिया को लोग सुखाकर भी बेचते हैं और एक ताजे सब्जी के तौर पर भी। उन्होंने बताया कि मैंने लगभग 25 प्रति किलोग्राम के हिसाब से अपने सब्जियों को बेचा है। मैंने 35 सौ किलोग्राम ताजी सब्जी बेची है और बाकी 500 किलोग्राम सुखी बीज भी। उन्होंने बताया कि सूखे बीज की कीमत अधिक मिलती है इसीलिए मैंने उसे 60 रुपए प्रति किलोग्राम बेचा है। उन्होंने लोबिया की खेती के लिए पॉलीक्रॉप मॉडल का उपयोग किया था। -Cowpea cultivation by Bharatmma Poreddy
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उनके फैसले से नहीं थे उनके पति खुश
उनके पति का नाम चंद्रमोहन रेडी है। वह बताती हैं कि जब मैंने टमाटर के बजाय लोबिया की खेती प्रारंभ की तो मेरे पति इस फैसले से नाराज थे हालांकि मैंने उनकी मर्जी के बावजूद यह खेती की। वह चाहते थे कि वह टमाटर की खेती ना करके तरोई एवं करेले को अपने खेतों में उगाए। लेकिन उनका यह फैसला सही साबित हुआ और वह लोबिया की खेती में सफलता हासिल कर ली। उनकी सफलता को देख वहां के अन्य किसान भी अब अपने खेतों में लोबिया को उगा रहे हैं। वह बताती हैं कि अगर मैंने अपने पति की बात मानी होती और अन्य फसलों को अपने खेत में उगाए होती तो हमें उस वक्त कर्ज लेने पड़ते। क्योंकि हम टमाटर की खेती से घाटे का सामना कर चुके थे जिस कारण हमारी आर्थिक स्थिति कुछ नहीं थी।
-Cowpea cultivation by Bharatmma Poreddy
क्यों है पॉलीक्रॉप मॉडल बेहतर
WASSAN ने किसानों के बेहतर आय के लिए एक मॉडल का निर्माण किया है जो पॉलीक्रॉप है। इस मॉडल को अपनाकर आप अपने खेतों में टमाटर के साथ अन्य सब्जियों को भी उगा सकते हैं जो पत्तेदार हों जैसे धनिया, लता, लौकी, मूली, मेथी लेट्यूस एवं बैंगन आदि। इस तकनीक को अपनाकर किसान एक फसलों के साथ अन्य फसलों का भी लाभ प्राप्त कर सकते हैं। किस तरह खेतों में बहुफसली को लगाना है इसके लिए किसानों को ट्रेनिंग दी जाती है, जो ट्रेनिंग चितुर जिले के पगडालावरी पले ग्राम में होती है। भरतम्मा के साथ लगभग 14 गांवों के करीब 52 किसान इस तकनीक को अपनाकर खेती कर रहे हैं। वहां के जितने भी किसान हैं वह सभी इस खेती से बहुत प्रसन्न हैं एवं वह इसके लिए WASSAN को आभारी मानते हैं। -Cowpea cultivation by Bharatmma Poreddy
जानकारी के अनुसार यहां लॉकडाउन के कारण सभी किसान परेशान थे और वो कर्ज में डूबे हुए थे परन्तु जब से उन्होंने इस खेती को अपनाया तब से वह कर्ज मुक्त है और उनका जीनव खुशहालपूर्ण गुजर रहा है। -Cowpea cultivation by Bharatmma Poreddy