“मुश्किलें इंसान के इरादे आजमाती है,
स्वप्न के परदे आंखों से हटाती है,
हौसला मत हार गिरकर ऐ मुसाफिर,
ठोकरें इंसान को चलना सिखाती हैं।”
सीख और प्रेरणा से भरी ये मशहूर लाइनें मेरी पसंदीदा है। इस लाइन को एक चपरासी की बेटी ने चरितार्थ किया है। पिता कोर्ट में चपरासी थे और बेटी ने उसी कोर्ट में जज बनकर एक मिसाल कायम किया है। उसने साबित किया है कि सर से पिता का साया छिन जाने के बाद हौसला टूटने के बजाय उसे थामे रखना चाहिए तथा अपनी मेहनत से सफलता के शिखर तक पहुंचा जा सकता है।
आइये जानते है उस बेटी के बारे में जिसने सभी के लिये बहुत ही खुबसूरत मिसाल कायम किया है।
अर्चना (Archana) मूल रूप से पटना (Patna) के धनरूआ थाना क्षेत्र के अंतर्गत मानिक बिगहा गांव की रहने वाली हैं। इनके पिता का नाम गौरीनंदन प्रसाद है तथा माता का नाम प्रतिमा देवी है। इनकी मां 7वीं कक्षा तक पढ़ी है। अर्चना अपने चार भाई-बहनों में सबसे बड़ी हैं। इनकी उम्र 34 वर्ष है। अर्चना ने वर्ष 2018 में 30वीं बिहार न्यायिक सेवक परीक्षा में कामयाबी हासिल किया है। नवंबर महीने के अन्तिम सप्ताह में जारी परिणाम में अर्चना ने सामान्य श्रेणी में 227 वां तथा OBC कैटेगरी में 10वीं रैंक हासिल की है। अर्चना का यह सफर बहुत संघर्षपूर्ण रहा है।
अर्चना की शिक्षा
अर्चना को बचपन से ही अस्थमा की बिमारी थी। इस वजह से वह बहुत बीमार रहती थी। घर में गरीबी ने भी अपनी जगह बनाए हुए थी। अर्चना ने 6 वर्ष की उम्र से ही जज बनने का सपना देखा था। इन्होंने पटना के राजकीय कन्या उच्च विद्यालय, शास्त्रीनगर से 12वीं पास किया है। उसके बाद अर्चना ने पटना यूनिवर्सिटी (Patna University) से साइकोलॉजी ऑनर्स किया है। स्नातक की पढ़ाई करते समय वर्ष 2005 में उनके पिता की अक्समात देहांत हो गई।
अर्चना ने बताया कि वो वक्त इनके लिए बहुत कठिन था क्योंकि सबसे बड़ी होने के कारण भाई-बहनों की जिम्मेदारी इन पर हीं थी। उन्होने कम्प्यूटर सीखा था। इसलिए घर खर्च में सहयता करने के लिये उन्होंने अपने स्कूल में ही कम्प्यूटर सिखाना शुरु किया। 3 बहने होने की वजह से घरवालों पर बहुत दबाव था। अर्चना की शादी 21 वर्ष के उम्र में वर्ष 2006 में कर दी गईं। शादी के बाद अर्चना ने खुद को समझाया कि अब उनके पढाई का अंत हो गया है।
यह भी पढ़ें :- माँ ने सिलाई कर अपने बेटों को पढाया, आज दोनों बेटे IAS बन चुके हैं: प्रेरणा
घर-परिवार के साथ दुबारा से हुई करियर की शुरुआत
अर्चना के पति का नाम राजीव रंजन (Rajiv Ranjan) है। अर्चना के पति ने उनके जज बनने के सपने को सच करने में पूरा साथ दिया। उनके पति ने देखा कि अर्चना के मन में पढ़ाई के प्रति बहुत अधिक ललक है। उसके बाद अर्चना का नामांकन वर्ष 2008 में पुणे विश्वविद्यालय में एलएलबी कोर्स में हो गया।
हिंदी माध्यम में पढ़ाई करने की वजह से हुई परेशानी
अर्चना ने बताया कि उनकी पूरी पढ़ाई हिंदी माध्यम में हुई थी। हिंदी माध्यम में होने की वजह से उनके रिश्तेदारों ने कहा कि वह बहुत जल्द ही पुणे विश्वविद्यालय के अंग्रेजी वातावरण से भाग आएंगी। रिश्तेदार अनेकों बार कहते थे कि गोइठा में घी सुखा रहे हैं। अर्चना के सामने अंग्रेजी माध्यम में पढाई एक चुनौती थी। इसके साथ ही वह पहली बार बिहार से बाहर निकली थी।
वर्ष 2011 में अर्चना LLB की पढाई पूरी करने के बाद वापस पटना आ गईं। उसके बाद इन्होंने एक बच्चे को जन्म दिया। बच्चे के जन्म के बाद अर्चना के सामने एक बड़ी जिम्मेदारी थी परंतु इन्होंने अपने सपने और मां होने दोनों जिम्मेदारी को बेहतर तरीके से संतुलित किया।
अर्चना आगे की पढ़ाई के लिए अपनी मां और 5 महीने के बच्चे के साथ दिल्ली चली गई। वहां उन्होंने एलएलएम (LLM) की पढ़ाई की। साथ हीं प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी भी करने लगीं। इसके साथ ही अपने जीवन को चलाने के लिए कोचिंग में कानुन के छात्रों को पढ़ाना भी शुरू की।
अर्चना की मां कहती है, “जबसे बेटी का परिणाम आया है, खाना नहीं खाया जा रहा है और नींद भी नहीं आई है। अपनी खुशी के बारे में आपको क्या बताएं, यदि अर्चना के पापा होते तो उनके हर्ष का ठिकाना नहीं होता।”
अर्चना की मां को खुद पढ़ीं लिखी नहीं होने पर बहुत अफसोस है परंतु इन्होंने अपनी तीनों बेटियों को अच्छी शिक्षा दिलाया है। अर्चना के पति पटना मेडिकल कॉलेज में एटानॉमी विभाग में क्लर्क है। बीबीसी (BBC) से बात करते हुए उन्होंने बताया, “अर्चना में पढ़ने की ललक है। मैंने उसे पढ़ाया जिसका परिणाम सभी के सामने है। मेरी हमेशा यही कोशिश रहेगी कि वह और अधिक तरक्की करें।”
अर्चना अपनी प्रेरणा के बारे में कहती हैं कि उनका परिवार एक सर्वेंट क्वार्टर में रहता था। उस क्वार्टर के सामने जज साहब की कोठी थी। अर्चना के पिता दिन भर जज साहब के पास खड़े रहते थे। वही कोठी जज को मिलने वाला सम्मान तथा उनके सर्वेंट क्वार्टर की छोटी सी जगह उनके लिए प्रेरणा बन गई।
The Logically अर्चना को उनकी सफलता के लिए बहुत बहुत बधाई देता है। इसके साथ ही उनके पति ओर परिवार के सहयोग की काफी सराहना करता है।