जब हमारे सड़कों के किनारे पेड़-पौधे लगे हो और हम ठंडक मिलने के साथ-साथ यात्रा कर रहे हैं, तो यात्रा के दौरान इस नज़ारे को देख, यात्रा कब पूरी हो जाए पता ही नहीं चलता। पूर्वोत्तर (Northest) के राज्य के तरह ही हमारे बिहार (Bihar) राज्य में भी अब रेलवे ट्रैक की किनारे पर हमें हरियाली दिखेगी।
लगाए गएं हैं 16 हज़ार पौधे
पर्यावरण संरक्षण को दर्शनीय और सौंदर्यकरनीय बनाए रखने के लिए अब हमारे बिहार राज्य में भी रेलवे के किनारे वृक्षारोपण का कार्य प्रारंभ है। यह कार्य किशनगंज-एनजेपी (Kishanganj NJP) रेलखंड पर अलुआबाड़ी (Aluabari) एवं मांगुरजान (Mangurjam) स्टेशन के बीच करीब 16000 पौधे लग चुके हैं।
सौंदर्यबोध जैसा प्रतीत हो
उन पौधों में शामिल है- जड़हुल, चंपा, कचनार अर्जुन, इमरती और मोहोगनी आदि पौधे लगाए गए हैं। इनका फूल वालों पौधों को इसलिए लगाया गया है ताकि, जो भी व्यक्ति नॉर्थ साइड से आए उन्हें यहां भी सौंदर्यीकरण बोध के जैसा ही दिखे।
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फूलदार वृक्षों की ऊंचाई 10 से 12 फिट होगी
यह वृक्षारोपण “जल जीवन हरियाली अभियान” के अनुसार वन विभाग से हो रहा है। इस अभियान द्वारा 24000 पौधे लग चुके हैं, जिस कारण हमारे पर्यावरण संरक्षण के साथ हमें दर्शनीय स्थल देखने को लाभ मिल रहा है। रेलवे लाइनों में जो पौधे लग रहे हैं, वह लाइन से लगभग 40 किलोमीटर की दूरी पर हटकर हैं। इसमें जो फूलदार वृक्ष लगाए जा रहे हैं, उनकी ऊंचाई लगभग 10 से 12 फीट तक होगी।
अभी भी लगेगा पेड़
हालांकि अतिक्रमण के कारण अभी कार्य रुके हुए हैं, लेकिन अभी भी 12 किलोमीटर में पौधे लगेंगे। फिलहाल अतिक्रमण को हटाने के लिए वन विभाग का हमारे रेलवे से वार्तालाप जारी है। वृक्षारोपण द्वारा रिक्त स्थानों पर हरियाली लाने का यह कार्य बहुत ही मनोरम होगा। जब 12 किलोमीटर में लगाए गए यह पौधें तैयार हो जाएंगे, तो यात्री इसका आनंद लेंगे। यात्रीगण लगभग 7 से 8 मिनट तक की यात्रा इन पौधों के बीच से करेंगे।
जिस तरह पर्यावरण संरक्षण के लिए हमारे वन विभाग कार्य कर रहें हैं वह सराहनीय है। अब इंतज़ार इस बात का है कि कब और भी पौधे लगें, ताकि यह जल्द बड़े हो।