सफल व्यक्ति की कहानी तो सब जान जाते हैं, लेकिन उनके संघर्ष को बहुत कम ही लोग जान पाते हैं। किसी भी सफल व्यक्ति की सक्सेस स्टोरी अगर हम पढ़कर अपने जीवन में उसे उतार पाएं, तब ही यह हमारे लिए कारगर साबित हो सकती है।
इसी कड़ी में एक ऐसे टॉपर युवा की सक्सेस स्टोरी है, जिनके पिता किराना दुकान चलाकर आजीविका चलाया करते हैं। उस युवा का नाम ओम प्रकाश गुप्ता (Om Prakash Gupta) है, जो बीपीएससी (BPSC) के टॉपर बने हैं। उन्होंने बीपीएससी (BPSC) की परीक्षा में प्रथम स्थान ग्रहण कर अपने परिवार के साथ अपने फतुहा प्रखंड का नाम भी रोशन किया है।
पिता चलाते हैं किराना दुकान
ओम प्रकाश गुप्ता (Om Prakash Gupta) के पिता का नाम बिंदेश्वर साव है। वह अपने गांव सोनारू में किराना की दुकान चलाकर आजीविका चलाते हैं। सुनारू गांव बिहार (Bihar) राज्य की राजधानी पटना (Patna) से लगभग 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
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बच्चों को पढ़ाया ट्यूशन
ओम प्रकाश गुप्ता (Om Prakash Gupta) ने वर्ष 2006 में दसवीं की परीक्षा प्रास की और 2008 में उन्होंने 12वीं की शिक्षा प्राप्त की और उसके बाद बीटेक की पढ़ाई की। बीटेक करने के बाद उन्हें कंपनियों से नौकरी के ऑफर तो आए, लेकिन उन्होंने नौकरी करना सही नहीं समझा। घर की आर्थिक स्थिति को देखते हुए उन्होंने पटना में आईआईटी की तैयारी करने वाले विद्यार्थियों को ट्यूशन पढ़ाने लगे ताकि स्वयं की पढ़ाई के भी समय मिल सके। ट्यूशन पढ़ाने और अपने कार्यों को ध्यान में रखते हुए, उन्होंने प्रशासनिक सेवा की तैयारियां भी शुरू कर दी।
प्रथम प्रयास में मिली सफलता
ओम प्रकाश गुप्ता (Om Prakash Gupta) ने बीपीएससी का एग्जाम दिया और मेहनत के बदौलत प्रथम प्रयास में ही फर्स्ट रैंक हासिल करके बीपीएससी टॉपर बने।
ओम प्रकाश गुप्ता ने आपने कामयाबी का श्रेय अपने भाइयों-बहनों एवं माता-पिता के साथ सभी ग्रामीण वासियों को भी दिया। अब वह गरीबी और बेरोजगारी को लेकर आगे आना चाहते हैं।
सफल होने के लिए करते रहे परिश्रम
ओम प्रकाश गुप्ता ने बताया कि अगर किसी भी विद्यार्थी को सफल होना है और अपने मकसद को हासिल करना है, तो उसे लगातार परिश्रम करते रहना चाहिए।
आज ओम प्रकाश गुप्ता के सभी परिवार के सदस्य खुशी से फुले नहीं समा रहे और माता-पिता कह रहे हैं कि हमें उम्मीद नहीं थी कि हमें इतनी बड़ी खुशी मिलेगी।