पैसे बनाने के बहुत तरीके हैं, लेकिन यदि पैसा कमाते हुए कोई पर्यावरण को भी बचाने की कोशिश कर रहा हो, तो भला उससे अच्छा क्या हो सकता है। घर बनाने के लिए सीमेंट, ईंट और पेंट जैसी चीजों की जरूरत पड़ती है। भले ही घर बनाने के लिए इन सामानों का प्रयोग करना हमारी मजबूरी बन गई हो, लेकिन कहीं ना कहीं प्रकृति को इनके उत्पादन से नुकसान भी पहुंचता है। अगर हमारे घर इन आम ईंटों सीमेंट या पेंट से ना बन कर गोबर से तैयार हुए ईंट, सीमेंट से बनें तो? क्या आपको लगता है कि ऐसा नहीं हो सकता ? ऐसा सोचने से पहले आप एक बार शिव दर्शन मलिक के बारे में जान लीजिए। Gaye ke gobar se Bani eet
इस तरह इको फ्रेंडली घरों को मिला बढ़ावा
हरियाणा (Hariyana) के रोहतक (Rohtak) के रहने वाले डॉ. शिव दर्शन मलिक (Dr. Shiv Darshan Malik) पिछले 5 साल से गोबर से सीमेंट, पेंट और ईंट बना कर लोगों को इनका इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। गांव ही नहीं बल्कि शहरी लोग भी शिव दर्शन मालिक (Dr. Shiv Darshan Malik) की इस खोज का इस्तेमाल करते हुए इको फ्रेंडली घरों eco friendly houses निर्माण करवा रहे हैं। शिव दर्शन 100 से ज्यादा लोगों को ट्रेनिंग ट्रेनिंग दे चुके हैं। ऑनलाइन व ऑफलाइन द्वारा अपने प्रोडक्ट की मार्केटिंग करते हुए शिव मोहन सालाना अपने इस काम से 50 से 60 लाख रुपए टर्नओवर प्राप्त कर रहे हैं। ―Dr. Shiv Darshan Malik, a resident of Rohtak, Haryana is training people to build eco friendly houses
इस तरह हुई इस पहल की शुरुआत
किसान के बेटे शिव दर्शन (Dr. Shiv Darshan Malik) ने अपने गांव के ही स्कूल से प्रारम्भिक शिक्षा प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने रोहतक से ग्रेजुएशन, मास्टर्स और फिर पीएचडी की डिग्री ली है। कुछ सालों तक एक कॉलेज में पढ़ाया। नौकरी छोड़ने के बाद गांव की मिट्टी से जुड़े शिव दर्शन ने तय किया कि वह कुछ ऐसा करेंगे जिससे गांव के लोगों को आर्थिक रूप से मजबूती मिल सके तथा इन्हें रोजगार के लिए कहीं बाहर ना जाना पड़े। यही सोच के इन्होंने इस विषय में जानकारी जुटानी शुरू कर दी। आज के समय में वे कम लागत से लाखों की कमाई कर रहे हैं।
कैसे आया गोबर से ईंट और प्लास्टर बनाने का आइडिया
शुरू से ही शिव दर्शन मलिक (Dr. Shiv Darshan Malik) पर्यावरण, रिन्युएबल एनर्जी और सस्टेनेबिलिटी पर काम करना चाहते थे इसके लिए वे वर्ष 2000 में IIT दिल्ली के साथ मिलकर, गोशालाओं से निकलने वाले वेस्ट और एग्री-वेस्ट से ऊर्जा बनाने के प्रोजेक्ट पर काम कर चुके हैं। कुछ प्रोजेक्ट्स के सिलसिले में वे अमेरिका गए थे तो वहां उन्होंने भांग के पत्तों में चूना मिलाकर हैमक्रिट बनाने और उससे घर तैयार करते हुए देखा था। वहीं से उन्हें आइडिया आया कि वे भी गाय के गोबर का इस्तेमाल कर प्लास्टर तैयार कर सकते हैं। इसके बाद उन्होंने स्वदेश आकर अपना सपना साकार किया।
वैदिक प्लास्टर तैयार करने की विधि
वैदिक प्लास्टर तैयार करने के लिए 10 फीसद गोबर, 70 फीसद जिप्सम, 15 फीसद रेतीली मिट्टी का उपयोग करते हैं। साथ ही साथ वे 5 फीसद ग्वार का गम व नींबू के रस के पाउडर का उपयोग भी करते हैं। ग्वार के गम प्लास्टर में उपयोग करने से प्लास्टर में चिकनाई आती है। प्लास्टर में 30 रुपये प्रति वर्ग फीट तक का खर्चा आता है। इसकी खासियत यह है कि पानी डालने पर खुश्बू आती है। मजदूर का खर्चा कम होता है। सबसे अहम बात यह है कि इसमें हानिकारक धुएं को सोखने की क्षमता होती है। How to prepare vaidic plaster
महज चार रुपये प्रति ईंट का खर्च
जयपुर रहने वाले डा. मनोज दूत के साथ डा. शिव दर्शन मलिक ने घरों में उपयोग होने वाले प्राकृतिक रंगों को तैयार किया है। इसमें चूना, रंगीन मिट्टियां और ग्वार का गम मिलाते हैं। बाजार में मिलने वाले कलर से करीब 20 फीसद कम रकम खर्च होती है। वहीं, अंबाला की रहने वाली वाणी गोयल के साथ देसी गाय के गोबर से ईंट बनाना शुरू किया है। यह आग से जलती नहीं और पानी में गलेंगी नहीं। वजन भी महज एक से सवा किग्रा तक होता है। खर्चा भी महज चार रुपये प्रति ईंट आ रहा है।