आज शिक्षा के बढ़ते प्रसार वाले समय में वैसे तो अधिकतर युवाओं की रूचि पढ़ाई के प्रति होती है। परंतु आज के इस बदलते समय में कई युवा पढ़ाई के अलावा अन्य क्षेत्रों को भी महत्त्व देते हैं और अपना करियर उसमें बनाते हैं। खेती-बाड़ी का क्षेत्र उन्हीं में से एक है जिसे आज के युवा अपनाने में गुरेज नहीं करते। उसी संदर्भ में आज हम एक ऐसे हीं व्यक्ति के बारे में बात करेंगे जिन्होंने अच्छी शिक्षा प्राप्त करने बाद नौकरी ना की और खेती का मार्ग चुना। अपनी सफल खेती से आज उन्होंने कई युवाओं के लिए प्रेरणा कायम किया है। आईए जानते हैं उनके बारे में…
बुद्ध प्रिय (Buddh Priy)
बुद्ध प्रिय सरसवा के विकास खंड से सटे शिवरा गांव के रहने वाले हैं। उनके पिता कामता प्रसाद (Kamta Prasad) सेक्रेटरी के पद से रिटायर्ड हो चुके हैं। बुद्ध ने एमए की पढ़ाई पूरी करने के बाद साल 2012 में बीटीसी की पढ़ाई पूरी की और नौकरी के लिए अप्लाई भी कर दिया। बुद्ध के डिग्री पर उन्हें शिक्षक का काम मिल रहा था,परंतु बुद्ध के दिमाग में तो कुछ और हीं चल रहा था। जब बुद्ध के पिता ने उनसे पूछा कि तुम क्या करना चाहते हो तो बुद्ध ने अपनी मर्जी बताते हुए कहा कि खेती करना चाहता हूँ। कामता ने अपने बेटे की बात मानते हुए मशरूम, स्ट्रॉबेरी सहित अन्य की खेती करने की योजना बताई।
मशरूम के प्रशिक्षण हेतु उत्तराखंड गए
बुद्ध को मशरूम की खेती की ज्यादा जानकारी नहीं थी जिसके लिए उन्होंने पहले इसकी जानकारी प्राप्त करने का फैसला किया। एक दिन वह रेडियो पर खेती-बाड़ी के बारे में सुन रहे थे तो अचानक से मशरूम की खेती करने की विधि भी बताई जाने लगी। साथ हीं उसका प्रशिक्षण कहां होता है ये भी बताया जा रहा था। उस कार्यक्रम के माध्यम से बुद्ध को पता चला कि उत्तराखंड में मशरूम की खेती का प्रशिक्षण दिया जा रहा है जिसके बाद बुद्ध प्रशिक्षण के लिए उत्तराखंड चले गए। जब वह अपने घर वापस आए तो बैंक से 5 लाख रुपए निकाले और 6 बीघा में खेती करने के लिए मशरूम फार्म की शुरूआत कर दी।
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मशरूम की खेती की विधि
बुद्ध बताते हैं कि मशरूम की खेती करने के लिए कुछ समान एकत्रित करना जरूरी है जैसे कि भूसा, बाजार से प्लास्टिक की पॉलीथिन, सड़ी गोबर की खाद, राख, लाइट की व्यवस्था, समय-समय पर पानी देने के लिए नलकूप होना चाहिए अगर वह माजूद ना हो तो छोटा सबमर्सिबल भी काम कर सकता है। इसके लिए बेड बनाना जरूरी है, 5-10 फिट में कम से कम एक दूसरे के ऊपर 5 बेड बनाया जाता है।
मशरूम की खेती के लिए 20 डिग्री तापमान है जरूरी
बुद्ध ने बताया कि मशरूम का बीज 120 से 250 रुपए प्रति किलो के हिसाब से मिलता है। उसे लगाने के 1 महीने बाद उसका फल निकलने लगता है। इसकी खेती बारहों महीने की जा सकती परंतु यह खेती ठंडी के मौसम में अच्छी होती क्यूंकि यह 20 डिग्री सेंटीग्रेड के तापमान पर होता है। गर्मी में दिक्कतें बढ़ जाती हैं क्यूंकि उस समय में खेती के लिए एयर कंडीशनर फार्म होना चाहिए ताकि तापमान को नियंत्रित किया जा सके। ठंड़ी के मौसम में खेती करने का सबसे अच्छा समय सितंबर-अक्टूबर से लेकर मार्च तक होता है। बुद्ध को देखकर जिले के अन्य बेरोजगार युवक भी अब मशरूम की खेती करने लगे हैं।
The Logically बुद्ध प्रिय की पहल की खूब तारीफ करता है और उन्हें उनकी कामयाबी के लिए बधाईयां देता है।