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प्लास्टिक कचड़ा बढ़ाने में इन कम्पनियों का बड़ा हाथ, सरकार ने लगाया जुर्माना

यह जानते हुए भी कि प्लास्टिक वातावरण के लिए कितना हानिकारक है बड़ी-बड़ी औधौगिक कंपनियां इस क्षेत्र में सुधार करने के सार्थक प्रयासों की बजाये वातावरण को नुकसान पहुचांने में कोई कसर बाकी नही छोड़ रही हैं। इसी के मद्देनजर सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड(Central Pollution Control Board, CPCB) ने कोक (Coke), पेप्सिको (Pepsico), बिसलेरी (Bisleri) और पतंजलि(Patanjali) पर प्लास्टिक कचरे के डिस्पोसल और कलेक्शन की जानकारी सरकारी बोर्ड को न देने के चलते 72 हज़ार करोड़ रुपये का भारी ज़ुर्माना लगाया है।

क्या है पूरा मामला

केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Central Pollution Control Board, CPCB ) की एक रिपोर्ट के मुताबिक – कोक, बिसलेरी, पेप्सिको और पंतंजलि जैसी कंपनियों से उनके कारखानों द्वारा होने वाले प्लास्टिक डिस्पोसल और कलेक्शन संबंधी जानकारी कुछ माह पूर्व मांगी गई थी लेकिन इन तमाम कंपनियों द्वारा प्लास्टिक वेस्ट के बारे में कोई जानकारी बोर्ड को मुहैया न कराने की स्थिति में कंपनियों पर करीब 72 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाना तय किया गया है।

 plastic waste

किस कंपनी के हिस्से कितना जुर्माना

CPCB द्वारा निर्धारित ज़ुर्माने के आधार पर बिसलेरी (Bisleri) पर 10.75 करोड़ रुपये और हिंदुस्तान कोका-कोला बेनवरेजेस(Hindustan Coca-Cola Beverages) पर 50.66 करोड़ रुपये और पेप्सिको इंडिया(PepsiCo India) पर 8.7 करोड़ रुपये का ज़ुर्माना लगाया है। वहीं बाबा रामदेव (Baba Ramdev) की कंपनी पतंजलि पर एक करोड़ रुपये का ज़ुर्माना लगाया गया है। इन चारों कंपनियों के अलावा एक अन्य कंपनी न्यूरिश्को बेनवरेज (Nourishco Benevarges) भी है जिसपर प्लास्टिक डिसेपोज़ल की जानकारी बोर्ड को न देने के आरोप के चलते 85.9 लाख रुपये का ज़ुर्माना लगाया गया है।

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15 दिनों के भीतर करना होगा जुर्माने का भुगतान

सेंट्रस पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के अनुसार इन सभी कंपनियों के लिए जुर्माने की रकम के भुगतान की समय-सीमा 15 दिन निश्चित की गई है।

EPR के अंतर्गत लेनी होती है उत्पाद के डिस्पोसल की ज़िम्मेदारी

EPR यानि एक्सटेंडेट प्रोड्यूसर रिस्पांसबिलिटी(Extended Producer Responsibility) एक पॉलिसी मापदंड है जिसके आधार पर प्लास्टिक का निर्माण करने वाली किसी भी कंपनी को अपने उत्पाद के डिस्पोस्ल व कलेक्शन की जिम्मेदारी लेनी होती है।

कौन सी कंपनी कचरे की मात्रा बढ़ाने में रही आगे

कचरे की मात्रा के ग्राफ की बात करें तो केवल नौ महीनों यानि जनवरी से सितंबर 2020 तक बिसलेरी प्लास्टिक कचरा बढ़ाने की दौड़ में सबसे आगे रही है जिसकी मात्रा तकरीबन 21 हज़ार 500 टन रही। इसीलिए कंपनी पर 5 हज़ार रुपये प्रति टन के हिसाब से जुर्माना लगाया गया है। वहीं पेप्सिको ने 11 हज़ार 194 टन और कोका-कोला ने 4 हज़ार 417 टन कचरे की मात्रा बढ़ाई है। दरअसल, EPR का लक्ष्य 1 लाख 5 हज़ार टन कचरे का था।

CPCB के ऑर्डर पर क्या कहना है कंपनियों का

प्लास्टिक डिस्पोसज़ल को लेकर CPCB द्वारा लगाए गए ज़ुर्माने पर कोक के प्रवक्ता का कहना है कि – “कंपनी पूरे कंप्लाएंस के साथ तमाम दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए TCCC के ग्लोबल आपरेशन के अंडर अपना काम करती है, जिसमें रेग्यूलेटरी फ्रेम वर्क और कानूनों को ध्यान में रखकर ही काम किया जाता है। कंपनी इस ऑर्डर पर समीक्षा कर रही है जल्द ही हम EPR के साथ अपने तथ्य रखते हुए मामले को सुलझाने का प्रयास करेंगें”

वहीं PepsiCo India का इस संबंध में कहना है कि – “CPCB का नोटिस प्राप्त हुआ है, हम EPR के तहत ही अपना काम कर रहे हैं, फिर भी नोटिस क्यों मिला है इसकी जांच हो रही है और एक उचित प्रतिक्रिया दायर करने की दिशा में भी काम किया जा रहा है”

अर्चना झा दिल्ली की रहने वाली हैं, पत्रकारिता में रुचि होने के कारण अर्चना जामिया यूनिवर्सिटी से जर्नलिज्म की पढ़ाई पूरी कर चुकी हैं और अब पत्रकारिता में अपनी हुनर आज़मा रही हैं। पत्रकारिता के अलावा अर्चना को ब्लॉगिंग और डॉक्यूमेंट्री में भी खास रुचि है, जिसके लिए वह अलग अलग प्रोजेक्ट पर काम करती रहती हैं।

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