भारतीय पत्रकार दानिश सिद्दीकी को कौन नहीं जानता है वह हमेशा अपने साहस और खींची गई तस्वीरों के माध्यम से लोगों के बीच चर्चा का केंद्र बने रहे थे। अपने साहसिक पत्रकारिता से उन्होंने दुनिया का वह सच लोगों के सामने लाया जिससे लोग अनजान थे। खासकर अफगानिस्तान के गहरे और जंग के हालातों का सच दुनिया के सामने लाते रहे।
उनकी खींची हुई तस्वीरें मानों बोलती थीं। बेहतरीन पत्रकारिता के लिए उन्हें कई अवॉर्ड भी मिले जिसमें अफगानिस्तान में रह रहे रोहिंग्या की समस्या को तस्वीर के माध्यम से दिखाने के लिए 2018 में उन्हें पुलित्जर अवार्ड मिला। दुनिया को सच दिखाने वाला वह बुलंद हौसले वाला पत्रकार हम सबके बीच में नहीं है।
सिद्दीकी ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय से पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की थी और उनके पिता अख्तर सिद्दीकी विश्वविद्यालय में शिक्षा संकाय के डीन थे। सिद्दीकी ने वर्ष 2005-2007 में एजेके मास कम्युनिकेशन सेंटर (एमसीआरसी) से पढ़ाई की थी। आगे चलकर वे अपनी काबिलियत से एक बड़े ओहदे वाले फोटो पत्रकार बने।
वर्ष 2018 में दानिश जब समाचार एजेंसी रॉयटर के लिए काम करते थे उस दौरान उन्हें पुलित्जर अवार्ड से सम्मानित किया गया था। 16 जुलाई को पाकिस्तान की सीमा से लगते अफगानिस्तान के कस्बे स्पीन बोल्दक में आतंकवादी संगठन तालिबान ने हत्या कर दी। जिस समय उनपर हमला किया गया उस वक्त वे अफगान में विशेष बलों के साथ थे।
दिल्ली में दंगा हो, कोरोना के दर्दनाक मंजर हो, रोहिंग्या का विस्थापन हो या फिर अफगान में युद्ध के हालात हों, उन सब हालातों को दुनिया के सामने लाए। की खींची तस्वीरें ऐसी होती थी जिसे देख कर कोई भी इंसान आसानी से उसका आशय समझ जाता था। अफगानिस्तान में आतंकवादियों के भयंकर डर के बावजूद भी अपने साहस से वहां की सच्चाईयों से लोगों को रूबरू करवाते रहे।
13 जुलाई को भी आतंकवादियों ने उनकी गाड़ी पर हमला किया था जिसमें वे बाल-बाल बच गए थे लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था 3 दिन बाद फिर से आतंकवादियों ने उन पर हमला किया और इस हमले ने बेहद साहसिक पत्रकार को हमसे जुदा कर दिया। हम इस अमर पत्रकार दानिश सिद्दीकी जी को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
हम उनकी खींची हुई कुछ तस्वीरें साधा कर रहे हैं जो देश और दुनिया में खूब सराहा गया था।