Sunday, December 10, 2023

पति के देहांत के बाद खुद बनी आत्मनिर्भर, 10 हज़ार से आचार का बिज़नेस शुरू कर कमा रही है लाखों रुपये

हम बचपन से ही महिलाओं के साहसिक कार्यों की अनेकों कहानियां पढ़ते और सुनते आए हैं। जिससे यह समझते है कि बीते जमाने से ही महिलाएं हर क्षेत्र में अपना पूरा योगदान देते आईं है। घर गृहस्थी से लेकर देश सेवा, शिक्षा, व्यवसाय हर क्षेत्र में पुरुषों के साथ-साथ महिलाएं भी नज़र आती हैं। एक ऐसी ही शक्तिशाली महिला है ‘दीपाली भट्टाचार्य’ जो विषम परिस्थितियों से लड़ते हुए ख़ुद के बलबूते पर एक सफल कारोबारी बन चुकी हैं।

कौन है दीपाली भट्टाचार्य?

दीपाली भट्टाचार्य (Deepali Bhattacharya) गुवाहाटी से 300 किलोमीटर दूर जोरहाट में रहती थी। उनकी स्कूलिंग भी वही से हुई। आगे देवीचरण बरूआ कॉलेज से वह बैचलर डिग्री प्राप्त की। पढ़ाई पूरी करने के बाद उनकी शादी 1990 में असम (Assam) हुईं। वहां अच्छी खासी ज़िन्दगी व्यतीत हो रही थी।

कभी सामान्य सी जिंदगी जीने वाली दीपाली भट्टाचार्य अब (Deepali Bhattacharya) असम (Assam) में रहती है। दीपाली भी कभी ऐश-ओ-आराम की ज़िंदगी व्यतीत कर रही थी। बुरे समय ने उन्हें सामान्य से असमान्य ज़िन्दगी जीने पर मजबुर कर दिया। लेकिन दीपाली ने हार नहीं मानी। अपने हौसले और कठिन परिश्रम के दम पर “प्रकृति” संस्था की स्थापना कर एक सफल व्यवसाई बनी।

“प्रकृति” संस्था की स्थापना

दीपाली के पति की मात्र 40 वर्ष के उम्र में दिल का दौरा पड़ने से 2003 में मृत्यु हो गई। वे पेशे से एक बहुत ही गुणवान शिक्षक थे और थिएटर भी किए थे। पति की मृत्यु के बाद दीपाली अपनी बेटी और सास के साथ रहती हैं। आगे दीपाली के उपर ही घर की सारी जिम्मेवारी आ गई। पति के रहते टाइम से ही दोनों अपने व्यवसाय की शुरुआत करने का प्लान करते थे। उनके पति ने ही संस्था का नाम प्रकृति रखने का सुझाव दिया था। पति के सपने और घर की जरूरतें पूरा करने के लिए दीपाली ने “प्रकृति” नाम की एक संस्था की स्थापना मात्र 10,000 रूपए की लागत खर्च से की और आज एक सफल कारोबारी बन चुकी हैं।


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‘प्रकृति’ (Prakrity) संस्था में अचार और नमकीन बनाया जाता है। दीपाली के यहां 30 किस्मों का अचार बनाया जाता है जिनमें कुछ किस्म बिल्कुल ही अलग है, जैसे- मशरूम, नारियल, हल्दी…। उनके यहां बने अचार को लोग ख़ूब पसंद भी करते है। इतना ही नहीं वह ‘पीठा टोस्ट‘ भी बनाती है जिसका असम के परम्परा में एक खास जगह है। आइए जानते है पीठा टोस्ट बनाने की विधि- इसे बनाने में गुड़, आटा, नारियल, और इलायची की आवश्यकता पड़ती है। दीपाली उसे तलने की जगह बेक करके बनाती हैं क्योंकि ज्यादा तैलीय चीज स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। दीपाली के पड़ोस में एक मिठाई की दुकान है जो इनसे हर रोज़ 60 पीठे खरीदते हैं। इन सभी चीजों को दीपाली और उनकी बेटी सुदित्री ख़ुद अपने हाथों से बनाती हैं।

दीपाली द्वारा बनाए अचार लोगों ने ख़ूब पसंद किया

हर महीने दीपाली लगभग 250 डब्बे अचार बनाकर बेच भी लेती हैं। उनके यहां बने अचार गुवाहाटी के अलावा देश के अन्य हिस्से- दिल्ली, राजस्थान, बैंगलुरू में भी बिकते हैं। दीपाली की हर साल लगभग 5,00,000 रुपये की कमाई होती है।

दीपाली की सास भी अच्छी कुक है, उनसे वह खाने की बारीकियों को सीखकर आज अच्छा मुनाफा कमा रही हैं। प्रकृति की शुरुआत से पहले दीपाली होम फूड डिलीवरी शुरू की थी जिसमें वह इडली, आलू चप, दही बड़े आदि बनाया करती थी। वह अनेकों प्रतियोगिता में भी हिस्सा ले चुकी थी जो उनके बहुत काम आया। एक बार नारियल विकास बोर्ड ने उनके डिश की सराहना करते हुए उन्हें 2005 में कोच्चि में 10 दिन की ट्रेनिंग लेने का मौका दिया। वहां दीपाली ने नारियल का केक, मिठाई, आइस क्रीम, अचार बनना सीखी। वहां से लौटकर वह अपने गुर और भी औरतों को सिखाई जिससे उनके साथ और लोगों को भी फायदा हुआ। साल 2012 तक उन्होंने अपने अनेकों रेसिपीज को कई पत्रिकाओं में छपवाया, जिससे लोग उनके डिश को पढ़कर बनाना सीखते थे। साथ ही वह प्रकृति को ब्रांड बनाने की भी ठान ली थी जो अंततः 2015 में एक पंजीकृत संस्था बना गई (एफएसएसएआई)।

दीपाली की बेटी सुदित्री

दीपाली की बेटी सुदित्री 2015 में इलेक्ट्रॉनिक इंजिनियरिंग की पढ़ाई पूरी कर कुछ समय तक दूर संचार कंपनियों में काम की। आगे नौकरी छोड़ तकनीकी ज्ञान का उपयोग कर अपने मां का बिजनेस आगे बढ़ाने का काम करने लगी। ट्विटर, वॉट्सएप, और फेसबुक जैसी सोशल प्लेटफॉर्म का उपयोग वह ज्यादा से ज्यादा लोगों तक प्रकृति को पहुंचाने का काम करती है।

दीपाली ने जिस तरह से कठिन परिस्थितियों का सामना कर एक सफल उद्यमी बनी वह प्रेरणादायक है। जिस परेशानी से लोग टूटकर घर में दूसरों से आस लगाए बैठ जाते है, उस समय में भी दीपाली ने हार नहीं मानी। The Logically, Deepali Bhattacharya द्वारा किए गए कार्यों की प्रशंसा करता है जो महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत हैं।