Sunday, December 10, 2023

वो भारतीय डॉक्टर जिसने खोज निकाला ORS, यह घोल लोगों के लिए एक वरदान है: दिलीप महालनोबिस

अगर हमें या किसी भी बच्चे, बड़े या बुजुर्ग को लूज मोशन हो तो हम उन्हें झट से ये सजेशन देते हैं कि आप ओआरएस (ORS) का घोल पिएं तो आपके लिए ये फायदा करेगा। क्योंकि ये हमारे शरीर को पानी देता है जिससे हमें तुरंत ऊर्जा मिलती है। इसमें ऐसे कई गुण होते हैं जिसे लोग इसे “जीवन रक्षक घोल” के तौर पर जानते हैं। परन्तु क्या आप इस बात से परिचित हैं कि ये जीवन रक्षक घोल कब और किसके द्वारा बना??

डॉक्टर दिलीप महालनोबिस (Dr.Dilip Mahalnobis)

इस जीवन रक्षक ओआरएस घोल का निर्माण पश्चिम बंगाल के महान डॉक्टर दिलीप महालनोबिस (Dr.Dilip Mahalnobis) ने किया। उन्होंने मेडिकल की शिक्षा कोलकाता तथा लंदन से हासिल की। उन्होंने शिशु रोग चिकित्सा का प्रशिक्षण भी लिया। सन 1960 को उन्होंने कोलकाता की J. H यूनिवर्सिटी इंटरनेशनल सेंटर ऑफ मेडिकल रिसर्च तथा प्रशिक्षण को ज्वाइन किया। -Dr.Dilip Mahalnobis

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ऐसे हुआ ORS का निर्माण

यहां उन्होंने अन्य साथी डॉक्टर्स के साथ कई रिसर्च किये। उसमें शामिल है ORT। काफी रिर्सच के बाद ऐसा फॉर्मूला तैयार हुआ जिससे कंट्रोल्ड कंडीशन्स में डिहाइड्रेशन को रोका जा सके। परन्तु इसका उपयोग आम व्यक्तियों पर नहीं हुआ था। इस रिचर्स के टीम में डॉक्टर डेविड आर. नलिन तथा रिचर्ड ए. कैश मौजुद थे। -Dr.Dilip Mahalnobis

मिली सफलता

जब 1971 में बांग्लादेश का युद्ध हुआ तब वे बांग्लादेशी पश्चिम बंगाल की सरहद पर आ चुके थे जिस कारण यहां refugee कैंप लगने लगा। यहां के एक बोनगांव रिफ्यूजी कैम्प में हैजा फैलने लगी जिस कारण यहां लोगों की मृत्यु दर में बढ़ती होने लगी। उस दौरान डॉक्टर महालनोबिस ने यहां के रोगियो को ORS देना प्रारंभ किया जिसका सकारात्मक परिणाम मिला। हालांकि आगे इसे लेकर काफी जांच-पड़ताल हुआ और इसे मंजूरी मिली। इसके साथ ही ORS को 20वीं सदी की सर्वश्रेष्ठ रिसर्च माना जाता है। -Dr.Dilip Mahalnobis

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मिला है सम्मान

उन्होंने WHO के लिए अन्य देशों में कार्य किया। इसके अलावा वह अफगानिस्तान मिस्र तथा यमन जैसे देशों में डायरिया पर काबू पाया। डॉक्टर साहब इन सब के अतिरिक्त RSAS (Royal Swadesh Academy Of Sciences) के सदस्य थे। अपने बेहतरीन कार्य के लिए उन्हें Pollin Prize तथा Columbia University पुरस्कार से नवाजा गया है। -Dr.Dilip Mahalnobis

धन किया दान

वर्ष 2006 में उन्हें थाईलैंड की सरकार द्वारा Prince Mahidol Prize भी मिला है। आगे उन्होंने कई रिसर्च किया और सफलता हासिल की। वर्ष 2022 में उनका इंतकाल हो गया जिसका कारण फेफड़े में इंफेक्शन तथा कई बीमारियां थी। अपनी मृत्यु के कुछ वर्ष पूर्व उन्होंने अपना धन इंस्टीट्यूट ऑफ चाइल्ड हेल्थ को दान दिया। –Dr.Dilip Mahalnobis