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Radhika Gupta: 25 लाख की शुरुआती इन्वेस्टमेंट से 20 हज़ार करोड़ की कम्पनी बनाने वाली महिला की कहानी

सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता, उसके लिए परिश्रम, लगन एवं सकारात्मक सोच का होना आवश्यक है। चुनौतियों से घबराना नहीं चाहिए, बल्कि उसका मुकाबला करना चाहिए। चुनौतियों को पार करके ही तो लोग अपने जीवन में आगे बढ़ते हैं। इस बात का प्रत्यक्ष उदाहरण हैं शारीरिक रूप से अक्षम होने के बावजूद बिज़नेस वुमन के रूप में अपनी खास पहचान बनाने वाली राधिका गुप्ता । 37 साल की राधिका गुप्ता आज एडलवाइज ग्लोबल एसेट मैनेजमेंट लिमिटेड (Edelweiss Asset Management Limited) की मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) हैं।

वह पहली भारतीय महिला हैं, जो किसी बड़ी एसेट मैनेजमेंट कंपनी में सीईओ के पद पर पहुंची हैं। राधिका गुप्ता ने अपने जीवन में कई उतार-चढ़ाव को देखा है। यही नहीं जन्म के समय से ही उनकी गर्दन में दिक्कत था जिसके कारण वो सामान्य लोगों से अलग थी। लेकिन इसके बावजूद उन्होंने अपनी कमजोरियों को कभी खुद पर हावी होने नहीं दिया। आइये जानते हैं उनके बारे में।

अपनी कमी को स्वीकारा (Edelweiss CEO Radhika Gupta)

पाकिस्तान में जन्मी राधिका गुप्ता जन्म से ही शारीरिक रूप से कमजोर थी। उनकी गर्दन सामान्य से अलग थी। पैदाइश के समय हुई दिक्कतों के कारण राधिका गुप्ता की गर्दन हमेशा के लिए टेढ़ी हो गई थी। राधिका के पिता पाकिस्तान में भारतीय राजनयिक के रूप में तैनात थे। इसलिए राधिका गुप्ता को नई संस्कृतियों और भाषाओं को सीखने में काफी कठिनाइयां होती थी। शुरूआत में तो राधिका अपनी गर्दन को लेकर आत्म सचेत थी, लेकिन समय के साथ उन्होंने अपनी इस कमी को स्वीकार कर लिया।

Edelweiss asset management ceo radhika gupta story
Radhika Gupta

पढ़ने में थी तेज राधिका (Edelweiss CEO Radhika Gupta)

राधिका बचपन से ही पढ़ाई में तेज थी। उनके घर में सभी लोगों ने उच्च शिक्षा प्राप्त की थी इसलिए राधिका पर भी इस चीज़ का बहुत दबाव था। पिता के देश-विदेश ट्रांसफर के कारण राधिका को नए माहौल में ढलने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ता। फिर उनके परिवार ने उन्हें इंटरनेशनल अमेरिकी स्कूल भेजने का फैसला किया गया। वहां बड़े घरानों के बच्चे पढ़ते थे। राधिका ने 13 साल की उम्र में ही कई चीजों की जानकार हो गई थीं।

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कई बार असफल हुईं (Edelweiss CEO Radhika Gupta)

विश्वविद्यालय में हमेशा अव्वल आने वाली राधिका के सामने जब कैंपस रिक्रूटमेंट की बात आई, तो उन्हें बार-बार असफलता का सामना करना पड़ा। एक समय तो ऐसा आया जब उन्होंने आत्महत्या पर भी विचार किया। लेकिन उन्होंने खुद को संभाला।आत्महत्या के विचार को त्याग कर राधिका गुप्ता ने खुद की पहचान बनाने की ठानी। आखिरकार उन्हें मैकिंसी एंड कंपनी में काम काम करने का अवसर मिला। साल 2006 में एक्यूआर ग्लोबल एसेट अलोकेशन टीम के साथ भी उन्होंने काम किया। 2008 में जब वैश्विक मंदी का दौर था, तब राधिका ने अपने दो पार्टनर के साथ भारत आकर फाइनेंशियल बिजनेस सर्विस शुरू करने का फैसला किया। वह अपने पति के साथ भारत वापस लौटीं और अपनी बचत (25 लाख रुपये) से अपनी कंपनी ‘फोरफ्रंट कैपिटल’ शुरू की।

करोड़ों की कंपनी बनी (Edelweiss CEO Radhika Gupta)

मात्र 25 लाख रूपये से शुरू की गई राधिका गुप्ता की कंपनी एक साल के अंदर ही दो करोड़ तक पहुंच गई। जब उन्होंने अपना बिजनेस एडलवाइज को बेचा, तो वह 200 करोड़ रुपये तक पहुंच गया था। जिसके बाद 2017 में राधिका गुप्ता एडलवाइज की सीईओ बनीं और इस कंपनी का बिजनेस 20,000 करोड़ तक पहुंचा दिया। उनका लक्ष्य 2025 तक कंपनी के कारोबार को दो लाख करोड़ करना है। एचडीएफसी एसेट मैनेजमेंट कंपनी और आईसीआईसीYYआई प्रूडेंशियल एसेट मैनेजमेंट कंपनी जैसे बड़े प्रतिद्वंद्वियो के होने के बावजूद बाजार में उनकी कंपनी एडलवाइस ऐसेट मैनेजमेंट ने अपनी धाक जमा रखी है।

आज वह उन महिलाओं के लिए प्रेरणा हैं जो मुश्किलों से डरकर हिम्मत हार जाती है। राधिका गुप्ता से लोगों को सीखने की आवश्यक्ता है।

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Shubham वर्तमान में पटना विश्वविद्यालय (Patna University) में स्नात्तकोत्तर के छात्र हैं। पढ़ाई के साथ-साथ शुभम अपनी लेखनी के माध्यम से दुनिया में बदलाव लाने की ख्वाहिश रखते हैं। इसके अलावे शुभम कॉलेज के गैर-शैक्षणिक क्रियाकलापों में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं।

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