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बुजुर्ग पति- पत्नी ने पेश की मिसाल, 25 सालों की कड़ी मेहनत से चकोरी के पहाड़ों को बना दिया हरा-हरा

Elderly Couple Narayana Singh Mehra and Nanda Devi of uttarakhand turned Barren mountain Into a Green Forest

कहते हैं न, अगर हौसलें बुलंद हो तो नामुमकिन को भी मुमकिन किया जा सकता है। जी हां, अगर इंसान सच्चे मन से मेहनत करे तो पत्थर को भी पानी में तब्दील कर सकता है। इस बात को सच साबित किया है, उत्तराखंड के चकोड़ी में रहने वाले बुजुर्ग दंपति नारायण सिंह मेहरा और उनकी पत्नी नंदा देवी ने। इस दंपति ने अपने मेहनत और लगन के बदौलत बंजर जमीन को हरा-भरा जंगल में बदल दिया।

पहाड़ पर लगाए हजारों पेड़

उत्तराखंड के चकोड़ी के रहने वाले बुजुर्ग दंपति नारायण सिंह मेहरा और उनकी पत्नी नंदा देवी को हमेशा से प्रकृति से बेहद हीं लगाव थी, जिस कारण उन्होंने चकोड़ी पहाड़ियों पर रहना शुरू कर दिया। कुछ साल यहां रहने के बाद उनके मन में बंजर पड़े जमीन को हरा भरा करने का ख्याल आया और इसके बाद उन्होंने यहां धीरे धीरे पेड़ लगाना शुरू कर दिया। आज के समय में वो बंजर जमीन पूरा हरा भरा है।

उन्होंने बताया कि, जब वे इस पहाड़ पर रहने गए थे तो वहां खुला मैदान हुआ करता था लेकिन पेड़ लगाने की पहली शुरुआत उन्होंने सन 1996 से की थी यानी आज से 25 साल पहने उन्होंने वहां अपना पहला पेड़ लगाया था लेकिन आज के समय में वहां हजारों पेड़ लगे हुए हैं, जो अब हरा भरा जंगल का रूप ले लिया है।

कई साल लगातार मेहनत करने के बाद मिला पहाड़ को हरा भरा जंगल का रूप

बता दें कि, नारायण सिंह मेहरा होरिकल्चर विभाग से रिटायर्ड है, और इसलिए उन्हे पेड़-पौधों की ज्यादा पहचान है। दोनो पति पत्नी ने मिलकर कई साल लगातार मेहनत किया और आज उन्होंने बंजर जमीन पर हरा-भरा पेड़ लगाकर जंगल तैयार किया है।

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किया कई मुश्किलों का सामना

जब दोनो पति- पत्नी ने बंजर जमीन पर पेड़ों को लगाने की शुरुआत की थी उन्हे काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा था। पहाड़ों की मिट्टी ज्यादा कठोर होने के कारण खुदाई में ज्यादा परेशानियों का सामना करना पड़ा था। इसके अलावे जानवरों को लेकर एक अलग हीं परेशानी थी। कई पेड़ों को तो जानवर ऐसे हीं खा जाते थे तो कई पेड़ पानी की कमी के कारण सुख जाते थे।

बच्चों के तरह किया पेड़ों का पालन- पोषण

दोनो पति पत्नी ने मिलकर पेड़ों की सेवा अपने बच्चो के तरह की। इस घने जंगल में कई बार आग भी लगी लेकिन फिर भी दोनो ने खुद के जान की परवाह न करते हुए पेड़ो की रक्षा की। इसके अलावे भी कई तरह के परेशानियों का सामना करना पड़ा लेकिन इन्होंने हार नहीं मानी और निस्वार्थ भाव से पेड़ो की सेवा करते रहें। आज के समय में उन्होंने पहाड़ के बंजर जमीन पर एक हरा भरा जंगल तैयार कर दिया है।

लोगों के लिए बने मिसाल

आज के दौर में दोनो पति पत्नी लोगों के लिए एक मिसाल बने हुए हैं। इनके गांव के लोग इनको देखकर इतना प्रेरित हुए कि अब सभी प्रकृति को अपने आस पड़ोस रखने को कोशिश कर रहे हैं। सभी का झुकाव पेड़ पौधों को लगाने के तरफ है।

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