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गज़ब की खोज: मिट्टी में डालते ही गल जाएगा मास्क और निकलेगा पौधा

कोरोना वायरस महामारी के दौरान फेस मास्क जैसे आवश्यक वस्तुओं के व्यापक उपयोग ने पर्यावरणीय चुनौतियों को बढ़ावा दिया है। फेस मास्क प्राथमिक व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) रहे हैं और उसकी मांग में काफी वृद्धि हुई है।

इससे लोगों के लिए अपनी उपभोग की आदतों पर सर्वोत्तम तरीके और पर्यावरण को प्रभावित किए बिना ध्यान केंद्रित करना बहुत जरूरी है।- environment friendly mask

वास कंपनी पर्यावरण के अनुकूल बनाती है मास्क

हर कोई अच्छा और टिकाऊ मास्क चाहता है। रिपोर्ट के अनुसार मांंगलुरु स्थित एक कंपनी, पेपरसीड कंपनी, मास्क सहित बीज आधारित उत्पाद बनाकर पर्यावरण के मुद्दे को संबोधित कर रही है।

environment friendly mask

पर्यावरण के हो अनुकूल

इस कंपनी का लक्ष्य बाजार में उपलब्ध मास्क के लिए एक स्थायी और पर्यावरण के अनुकूल विकल्प प्रदान करना है। वास ने मार्च में पहला बायोडिग्रेडेबल मास्क पेश किया था।

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इस तरह बनता है मास्क

यह मास्क परिधान उद्योग से एकत्रित विभिन्न स्क्रैप सामग्री का उपयोग करके बाहरी आवरण कपास के गूदे से बनाया जाता है, जिसकी भीतरी अस्तर मुलायम सूती कपड़े से बने होते हैं। यह सुरक्षा प्रदान करने के लिए पर्याप्त मोटे भी होते हैं। कपड़े में बीज जड़े होते हैं, जिसका उपयोग केवल एक बार किया जाता है।

पानी देने से मास्क लेता है पौधे का रूप

एक बार उपयोग के बाद मास्क मिट्टी में फेंक देना चाहिए। कुछ दिन पानी देना के बाद यह एक पौधे में विकसित हो जाता है। वास कंपनी का कहना है कि हम पल्प बनाने और इसे शीट में बनाने से शुरू करते हैं, जिसमें लगभग आठ घंटे लगते हैं।

सूखने में लगते हैं कई घंटे

उसके बाद इसे सूखने में 12 घंटे लगते हैं। प्रत्येक मास्क को स्टैंसिल का उपयोग करके हाथ से काट कर सिला जाता है। यह काम ज्यादातर गांव की महिलाएं और युवा करते है।

ज्यादातर विदेशों से आते हैं ऑर्डर

वास कंपनी कच्चे माल से उत्पाद बनाता है। पहले कुछ समय तक यह मास्क मुफ्त में बांटे जाते थे, लेकिन बाद में यह 25 रुपये की लागत पर उपलब्ध है। वास का कहना है कि वह ग्रामीण लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा कर रहे थे।

होता है बीजों का उत्पादन

उनके पास भारत से ज्यादा विदेशों से ऑर्डर आते हैं। साल 2017 में स्थापित, कंपनी कई पुनर्नवीनीकरण और पौधे बीज उत्पादों का उत्पादन करती है। – environment friendly mask

बिहार के ग्रामीण परिवेश से निकलकर शहर की भागदौड़ के साथ तालमेल बनाने के साथ ही प्रियंका सकारात्मक पत्रकारिता में अपनी हाथ आजमा रही हैं। ह्यूमन स्टोरीज़, पर्यावरण, शिक्षा जैसे अनेकों मुद्दों पर लेख के माध्यम से प्रियंका अपने विचार प्रकट करती हैं !

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