Monday, December 11, 2023

वह मुसलमान जिसने इंसानियत के लिए रोजा छोड़ा, मुफ्त एम्बुलेंस सेवा देकर लाशों का अंतिम संस्कार करा रहे हैं फैज़ल

कोरोना वायरस ने पूरे भारत में तबाही मचा रखी है। चारो तरफ केवल तबाही का मंजर है। रोजाना देश के कई लोग इस बीमारी से अपनी जान गवां रहे है। ऐसे में कुछ ऐसे शख्स सामने आए है जिन्होंने यह साबित किया है कि इंसानियत आज भी जिंदा है। हम बात कर रहे है एक ऐसे ही शख्स की, जिन्होंने इतनी खतरनाक महामारी में भी एक इंसान होने का कर्तव्य निभाया है।

कौन है वह शख्स

प्रयागराज (Prayagraj) के अतरसुइया इलाके के रहने वाले फैजुल (Faijul) ने कोरोना काल में जरुरतमंदो के लिए फ्री में शव वाहन उपलब्ध तथा लापरवाह शवों के अर्थी को कंधा देकर उनका अंतिम संस्कार भी कर रहे हैं।

Faijul providing free ambulance service

पिछले 10 साल से फ्री में शव वाहन करा रहे मुहैया

फैजुल (Faijul) केवल कोरोनाकाल में ही नही बल्कि पिछले 10 वर्षों से जरुरतमंदो को अस्पताल या शमशान जाने के लिए फ्री में वाहन उपलब्ध करा रहे है लेकिन कोरोनकाल में उन्होंने अपना पूरा समय इंसानियत के लिए ही निकाला है। वह इस महामारी में लोगों को केवल फ्री में वाहन सेवा ही नही उपलब्ध करा रहे बल्कि लापरवाह शवों को कंधा देकर उनका अंतिम संस्कार भी कर रहे हैं।

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एक कॉल पर गाड़ी लेकर हो जाते तैयार

इस खतरनाक महामारी में लोग उनको जैसे ही कॉल करते है, वह अपना गाड़ी लेकर तुंरत तैयार हो जाते है।कभी भी किसी से पैसा नही मांगते अगर कोई पैसा दे भी देता है तो उस पैसा को गाड़ी की मेंटेनेंस और ड्राइवर की सैलरी में खर्च कर देते हैं।

Faijul providing free ambulance service

बिना रोजा रखे कर रहे हैं काम

पांच वक्त के नमाजी होते हुए भी फैजुल अपने काम के वजह से इस बार रमजान के महीने में भी वह रोजा नहीं रख रहे हैं क्योंकि वह नही चाहते कि उनके काम में किसी प्रकार की रुकावट नहीं आये। अल्लाह से इसलिए वह माफी भी मांग रहे हैं।

शवों को ढोने को ही बना ली अपनी जिंदगी

फैजुल ने अभी तक शादी भी नहीं किए हैं और न ही आगे करना चाहते हैं। उनका कहना है कि, ‘शवों को ढोने को ही मै अपनी जिंदगी बना लिया हूँ।’ जब उनके पास गाड़ी नही थी तब वह शवों को ट्राली पर रखकर सेवा करते थे लेकिन, बाद में कुछ संस्थाओं की मदद से पैसे इकट्ठे करके वाहन खरीद लिए हैं।