Wednesday, December 13, 2023

गांधी के विचार को धूमिल करता युवा वर्ग नशाखोरी का गुलाम बन चुका है: Editorial

“ताकत शारीरिक क्षमता से नही आती है,एक-एक अदम्य इच्छा शक्ति से आता है”

“” जब भी आप किसी विरोधी से भिड़े, तो उसे प्यार से जीतें”

“ अगर मुझे विश्वास है कि मैं इसे कर सकता हूं, तो मैं निश्चित रुप से इसे करनें की क्षमता हासिल कर लूंगा”

“सभी धर्म एक ही शिक्षा देते हैं बस उसके दृष्टिकोण अलग-अलग हैं”

अपनें जीवनकाल में ऐसी बहुत से प्रेणादायक व ऊर्जावान विचार कहते हुए राष्ट्रपिता महात्मा गांधा नें न केवल अंग्रेज़ों बल्कि स्वंय से लड़नें की आत्मशक्ति लोगों को दी, जिसका परिणाम यह हुआ कि भारत को एक लंबी अंग्रेज़ी हुकूमत से आज़ादी मिली।

Gandhi ji

गांधीजी युवाओं को परिवर्तन का सबसे बड़ा औज़ार मानते थे

हर साल 2 अक्टूबर को गांधी जयंती और 30 जनवरी को गांधी जी की पुण्य तिथि के उपलक्ष्य में अनेकानेक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, गांधी जी के महान विचारों द्वारा देशवासियों को सत्य व अहिंसा के मार्ग पर चलनें की प्रेरणा दी जाती है। बतलाया जाता है कि किस प्रकार गांधीजी युवाओं को सामाजिक परिवर्तन का सबसे बड़ा औज़ार मानते हुए शोषणमुक्त, स्वावलंबी एंव परस्पर धार्मिक सामंजस्य के निर्माण में युवाओं की सक्रिय भूमिका पर ज़ोर दिया करते थे।

वर्तमान परिप्रेक्ष्य में गांधी जी के विचार

यदि हम आज के परिप्रेक्ष्य में सदैव आत्मनिरीक्षण के पक्षधर गांधी जी के विचारों को रखकर देखें तो – कहां हैं गांधी ?, किसमें हैं गांधी ?, कितना अनुसरित हो रहे हैं गांधी ? आज इंसान अंग्रेज़ों का गुलाम नही बल्कि स्वंय का गुलाम है, गलत मानसिकता का गुलाम है, बुरी आदतों का गुलाम है, व्यसन का गुलाम है, किसी और का विरोधी न होकर आत्मविरोधी है।

Alchole

व्यसन का गुलाम आज का युवा

गांधी जी के विचारों को जानते-परखते हुए भी आज का युवा व्यसन के पंक में दिन-ब-दिन ऐसे फंसता जा रहा है मानों जैसे व्यसन या धूम्रपान ही उसे तमाम मानसिक व शारिरीक शक्ति प्रदान कर रहा हो। कहना कहीं भी गलत न होगा कि जान-बूझकर समाज द्वारा ही आर्थिक मुनाफे के लिए युवाओं को नशाखोरी के अंधे कुएं में धकेला जा रहा है। जिसमें भले ही युवा धंसते अपनी इच्छा से न हों लेकिन निकलनें का प्रयास भी शायद ही करते होंगें। यूं तो हर साल गांधी जयंती के मौके पर भारत में राष्ट्रीय मादक पदार्थ विरोधी दिवस मनाया जाता है जिसका उद्देश्य युवाओं को मादक पदार्थों से मुक्त करना है लेकिन इसका कितना फायदा होता है इसकी चर्चा करना व्यर्थ है। यूनाईटेड नेशन(United Nation, UN) की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में हर साल तकरीबन 8 लाख लोग नशाखोरी से होनें वाली बीमारी का शिकार होते हैं

व्यसन की रोकथाम हेतु सरकार द्वारा चलाई गई अनेकानेक नीतियाँ

यूं तो, भारत सरकार नें देश में तंबाकू नियत्रंण के लिए कई पहल की गई हैं। व्यापक तंबाकू नियंत्रण कानून(60 PTA 2003) में सिगरेट, तंबाकू के उत्पादन, आपूर्ति, वितरण के विनिमय पर रोक लगा दी गई है। साथ ही, खाध अपमिश्रण निवारण अधिनियम( Prevention of Food Adultration , PFA -1954) में संशोधन 1990 के तहत तंबाकू, पान मसाला, सिगरेट व बीड़ी, चरस, गांजा , अफीम व अन्य किसी भी प्रकार के मादक पदार्थों के उपयोग से स्वास्थ्य पर पड़नें वाले हानिकारकों प्रभावों के मद्देनज़र वैधानिक चेतावनी जारी करते हुए उनके उत्पादन पर रोक लगा दी है। इसके अलावा, देश में मादक पदार्थों की रोकथाम के लिए नारकोटिक ड्रग एवं सायकोट्रोपिक सब्सटेंस अधिनियम -1985( Narcotic Drug and physchotropic Subtance Act- 1985) में 2014 में एक बार फिर संशोधन बिल लाकर प्रभावी बनानें की कोशिश की गई और भी बहुत से कानून लाकर सरकार द्वारा अनेक प्रयास किये गए।

Smoking

धूम्रपान व्यसन को लेकर हो चुके हैं कई अदालती मुकद्दमें

1997 से लेकर 2007 के बीच कई मुकद्दमें मसलन रामकृष्ण और अनर बनाम केरल राज्य और अन्य, मुरली देवड़ा बनाम भारत संघ को व्यक्ति को धूम्रपान मुक्त हवा मिलनें के अधिकार को लेकर दायर किया गया। यहां तक कि 2019 तक कई धूम्रपान विरोधी नीतियां लाकर और कानून बनाकर ई-सिगरेट की बिक्री से लेकर खरीद पर बैन लगा दिया गया। लेकिन जहां युवा दिमाग बेशक ही कईं क्षेत्रों में महारथ हासिल कर रहा है नशाखोरी करनें में भी पीछे नही रह रहा। सच तो यह है कि सरकार द्वारा इन प्रयासों व नीतियों को लागू करनें का लाभ तो तभी होगा न जब युवा वर्ग खुद इनका पालन करनें के लिए प्रतिबद्ध होगा।

ऐसे में युवाओं में गांधीजी की के अदम्य साहस, इच्छा शक्ति, शारिरीक क्षमता और स्वंय पर विश्वास जैसे महान विचार केवल किताबों में ही सिमटते नज़र आते हैं। इन परिस्थितियों में शायद गांधीजी की आत्मा भी सोचनें को मजबूर हो जाती हो कि वाकई इंसान दुनिया से जीत सकते है पर अपने आप से नही।

किया देश को एकजुट तूनें पानें को आज़ादी,

काश अभी तलक तू ज़िन्दा होता ………………. देखन को युवा की बर्बादी