रक्षाबंधन का त्योहार भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का प्रतीक माना जाता है। इस दिन बहने अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधकर उनकी लंबी उम्र की कामना करती हैं, तो वहीं भाई ज़िंदगी भर बहनों की रक्षा करने का वचन देते हैं।
आपको बता दे कि हमारे देश में कुछ ऐसी भी महिलाएं हैं, जो प्रतिवर्ष सरहद पर जाकर भारतीय जवानों को राखी बांधती हैं क्योंकि उन्हें पता है देश की सेवा में लगे हमारे जवान उस दिन अपनी बहन को कितना याद करते होंगे। – Gauri Balapure from Madhya Pradesh ties Rakhi to Indian soldiers posted on the outskirts
आज हम देश की एक ऐसी बहन के बारे में बात करेंगे, जो पिछले 21 सालों से लगातार सहरद पर जाकर वीर जवानों को राखी बांध रही हैं।
राखी से गहरा हुआ रिश्ता
उनका नाम गौरी बालापुरे (Gauri Balapure) है, जो मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के बैतूल ज़िले की रहने वाली हैं। अब यह रिश्ता इतना गहरा हो चुका है कि जब छुट्टियां बिताने के लिए जवान अपने घर जाते हैं, तो अपनी बहन गौरी से मिलने भी जाते हैं।
कारगिल युद्ध के दौरान शहीदों से हुई प्रेरित
आप भी सोच रहे होंगे कि आख़िर गौरी को सरहद पर जाकर जवानों को राखी बांधने की प्रेरणा कैसे मिली? इस पर गौरी का कहना है कि कारगिल युद्ध के दौरान टाइगर हिल पर कब्ज़ा करने में 600 जवान शहीद हो गए थे।
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इस घटना के बाद लिया संकल्प
इसी घटना के बाद गौरी प्रतिवर्ष सीमा पर जाकर जवानों को राखी बांधने का फैसला कर लिया। अब तक वे चारों दिशाओं की सीमाओं पर तैनात कई सैनिकों को राखी बांध चुकी हैं। – Gauri Balapure from Madhya Pradesh ties Rakhi to Indian soldiers posted on the outskirts.
गौरी बैतूल सांस्कृतिक समिति का किया गठन
गौरी बालापुरे (Gauri Balapure) ने बैतूल ज़िले में 10 बहनों के साथ ‘बैतूल सांस्कृतिक समिति’ का गठन किया। साथ ही वह प्रतिवर्ष सरहद पर जाकर रक्षाबंधन का पर्व जवानों के साथ मनाने का भी फैसला किया।
बन चुका है गहरा नाता
जिन जवानों को गौरी राखी बांध चुकी हैं, उनके साथ उनका एक सगा रिश्ता बन गया है। सैनिक भाई गौरी को उपहार और पत्र भी भेजते हैं। इसके अलावा शादी या किसी अन्य समारोह के लिए गौरी के पास न्यौता भी आता है।
कोरोना संक्रमण के दौरान पोस्ट के ज़रिए भेजीं राखी
गौरी के सैनिक भाइयों की सूची में बड़े सैन्य अफ़सर से लेकर सामान्य सैनिक तक शामिल हैं। साल 2020 में कोरोना संक्रमण की वजह से गौरी रक्षाबंधन का त्योहार मनाने सरहद पर नहीं जा पाईं। ऐसे में गौरी अपने सैनिक भाइयों को राखियां पोस्ट के ज़रिए भेजीं।
मिशन से जुड़े अनेकों
गौरी बैतूल के ‘राष्ट्र रक्षा मिशन समिति’ की अध्यक्ष हैं और अब उनके इस मिशन से और भी कई सदस्य जुड़ चुके हैं। – Gauri Balapure from Madhya Pradesh ties Rakhi to Indian soldiers posted on the outskirts.