किसी ने बहुत ही खुबसूरत बात कही है कि यदि किसी चीज को पूरी शिद्दत से चाहा जाये तो वह जरुर मिलती है। यह बात बिल्कुल हीं सत्य है। चाहत और लक्ष्य को पाने हेतु निरन्तर और सटीक प्रयास किए जाएं तो सफलता कदम चूमती है।
आज बात एक ऐसे हीं शख्स की जिन्होंने सबको आश्चर्यचकित किया। यह बात जानकर हैरानी होगी कि एक ऐसे बच्चे ने प्रशासनिक परीक्षा में सफलता ही नहीं बल्कि उसमें 46वां रैंक हासिल किया जिसका बचपन एक अनाथ आश्रम में गुजरा हो। मात्र ढाई वर्ष के उम्र में उस बच्चे के सर से पिता का साया छिन गया जिसके कारण जीवन के मुश्किल परिस्थितयों का सामना करते हुए उसने जिस तरह प्रशासनिक सेवा के परीक्षा में कामयाबी हासिल की वह बेहद हीं प्रेरणादायक मिसाल है। हम बात कर रहें हैं कश्मीर प्रशासनिक सेवा परीक्षा में 46वां रैंक हासिल करके देश के युवाओं के लिये बहुत ही अनोखी मिसाल पेश करने वाले गाजी अब्दुल्ला की। आइये जानते है गाजी अब्दुल्ला की कामयाबी के पीछे छुपी संघर्ष की कहानी…
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गाजी अब्दुल्ला (Gazi Abdullah) जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) के डोडा जिला के रहनेवाले हैं। गाजी अब्दुल्ला जब ढाई वर्ष के थे तब इनके सर से पिता का साया छिन गया। इतने कम उम्र में अपने पिता को खोने के बाद वह श्रीनगर (Srinagar) के एक अनाथालय में रहने लगे और उसी अनाथालय में गाजी अब्दुल्ला का बचपन व्यतीत हुआ। जब एक बच्चे ने अपना होश भी नहीं संभाला हो और ऐसे में उसके पिता उससे छिन जाए तो उसके दुखों का अनुभव हम सभी कर सकते हैं। उस परिस्थिति में उन्होंने जीवन में कठिन चुनौतियों का सामना करते हुए कश्मीर प्रशासनिक परीक्षा में 46वां रैंक हासिल किया है। आज उनकी सफलता सभी युवाओं के लिए एक प्रेरणा बन गई है।
सफलता का श्रेय माता को दिया
गाजी अब्दुल्ला (Gazi Abdullah) ने अपनी सफलता के बारे में बताते हुए कहा कि, “अनाथालय में रहने की वजह से उनके अन्दर अनुशासन पैदा हुआ। वे अपनी कामयाबी का श्रेय अपनी माता को देते है।” उन्होंने आगे कहा कि उनकी माता अशिक्षित थीं इसलिए वह अच्छी शिक्षा और उसके लिये कड़ी मेहनत का मह्त्व क्या होता है वह बहुत हीं अच्छी तरह से जानती थी। गाजी अब्दुल्ला ने आगे बताया कि उन्होंने कभी भी प्रशासनिक सेवा की परीक्षा के लिये किसी भी कोचिंग संस्थान की सहायता नहीं लिया। गाजी अब्दुल्ला ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय(AMU) स्नातकोत्तर किया है।
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गाजी अब्दुल्ला ने ऐसे की परीक्षा की तैयारी
उन्होंने बताया कि वह कश्मीर प्रशासनिक परीक्षा की तैयारी बहुत हीं निचले स्तर से शुरु किया। उन्होंने NCERT की किताबें पढ़ी उसके बाद उन्होंने कुछ लोकप्रिय सिविल सर्विसेज की किताबों को पढ़ना शुरु किया। उन्होंने बताया कि इसके अलावा शाम के समय वे एक आदिवासी हॉस्टल में रहने वाले छात्रों से मुलाकात करने हेतु हॉस्टल भी जाते थे।
आपकी जानकारी के लिये बता दें कि जम्मू और कश्मीर प्रशासनिक सेवा जम्मू और कश्मीर राज्य की सिविल सर्विस है। जम्मू और कश्मीर लोक सेवा आयोग के द्वारा आयोजित परीक्षा के तहत इस पद के लिये अधिकारियों की भर्ती की जाती है। इस परीक्षा को JKAS (Jammu Kashmir Administrative Service) के रूप में जाना जाता है।
The Logically गाजी अब्दुल्ला को जीवन में तमाम कठिन परिस्थितयों से लड़ते हुए कश्मीर प्रशासनिक सेवा में 46वां रैंक हासिल करने के लिए बहुत बहुत बधाई देता है और मुश्किल हालातों से लड़कर जिस तरह उन्होंने सफलता पाई है उसके लिए उन्हें नमन भी करता है।
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