कौन कहता है आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारो
अभी जहां हमारा देश कोरोना बीमारी और आर्थिक संकट से जूझ रहा है वहीं अचंभित कर देने वाली सुखद घटनाएं भी घटित हो रही हैं।ये चीजें ऐसी हैं जिससे हर इंसान प्रेरित हो सकता है।हम जहां छोटी-छोटी समस्याओं में उलझे रहते हैं वहीं मात्र 15 साल की उम्र में एक लड़की ने सफलता के झंडे गाड़ दिए है।आज बात उसी अद्भुत लड़की की।
सफलता और हुनर कभी भी उम्र की मोहताज नही होती।इस बात को साबित किया है भारतीय मूल की मात्र 15 साल की एक लड़की गीतांजली राव (Gitnajali Rao) ने। गीतांजली एक वैज्ञानिक और आविष्कारक होने के साथ-साथ एक अनोखे दृष्टिकोण की भी मालकिन है। हैं।इस लड़की की इसी हुनर प्रतिभा और दृष्टिकोण को पहचानते हुए विश्व स्तर की मशहूर पत्रिका टाइम ने उन्हें “किड ऑफ द ईयर 2020” के खिताब से नवाजा है।गीतांजलि को ये अवॉर्ड दूषित पेयजल और साइबर बुलिंग के क्षेत्र में टेक्नोलॉजी के बेहतरीन इस्तेमाल के लिए दिया गया है। पहली बार टाइम मैगज़ीन ने बच्चों को नॉमिनेट किया यह पहला मौका था जब टाइम पत्रिका ने बच्चों के लिए किसी नॉमिनेशन की प्रक्रिया की। इस नॉमिनेशन के लिए लगभग 5000 बच्चों का आवेदन आया था। लेकिन 15 वर्ष की गीतांजली ने अपनी प्रतिभा को साबित करते हुए 5 हजार बच्चों के बीच अपनी जगह को बनाया।इस तरह से इस खिताब को हासिल करने वाली वह पहली किड हो गई हैं।
और इसके साथ-साथ आपको यह भी बता दें कि टाइम स्पेशल के लिए उनका साक्षात्कार भी लिया गया।उनका ये साक्षात्कार लेने वाली कोई और नहीं बल्कि मशहूर अभिनेत्री और सामाजिक कार्यकर्ता एंजोलीना जोली थी। यह एक प्रकार का वर्चुअल इंटरव्यू था।इस साक्षात्कार के दौरान अपने नजरिये को साझा करते हुए गीतांजली ने बताया कि उन्होंने अपने कार्य-शैली में ऑब्जरवेशन, दिमागी कसरत, शोध, और संवाद को प्रमुखता दी है। इसके अलावा गीतांजली राव ने न्यूज एजेंसी एपी से जूम साक्षात्कार भी दिया और इस दौरान उन्होंने इस बात को कुबूल किया कि इनाम के बारे में उन्होंने कभी नहीं सोचा था। लेकिन इस इनाम को मिलने के बाद उन्होंने यह कहा कि अब वह बेहद उत्साहित और आभारी हैं कि अब दुनिया हमारी आने वाली पीढ़ी की तरफ देख रहे हैं।
गीतांजलि के लिए क्या कहा टाइम मैगज़ीन ने टाइम पत्रिका ने गीतांजली की भूरी-भूरी प्रशंसा करते हुए उन्हें प्रेरणा का स्रोत बताया।साथ ही पत्रिका ने गीतांजली को इस इस खिताब से नवाजते हुए कहा कि कोलेरेडो के स्टेम स्कूल हाईलैंड्स रेंच स्कूल की छात्रा राव ने युवा वैज्ञानिकों के सामने मिसाल कायम की है और वह उनके लिए प्रेरणास्त्रोत बनी हैं।
उपलब्धियों की लत है गीतांजली को मैंने जब गीतांजली के बारे में पढ़ा तो ऐसा लगा जैसे इन्हें उपलब्धियां प्राप्त करने की कोई लत हो।जी हां अगर आप इस गलतफहमी में हैं कि गीतांजली की यह कोई पहली उपलब्धि है तो ऐसा बिल्कुल भी नही है।इनकी उपलब्धियों की लिस्ट काफी लंबी है। गीतांजलि राव ने सिर्फ 12 साल की उम्र में पानी में सीसा का पता लगाने वाली एक पोर्टेबल डिवाइस विकसित की। अन्य खिताब भी कर चुकी हैं अपने नाम इसके अलावा मैं आपको यह भी बता दूं कि ये पहली बार नहीं है कि गीतांजलि को उनके काम के लिए बड़ा खिताब पहली बार मिला हो। इससे पहले 2019 में उन्हें फोर्ब्स की 30 अंडर 30 लिस्ट में जगह मिली थी। गीतांजलि को ईपीए प्रेजिडेंशियल अवॉर्ड, जॉर्ज स्टेफेनसन इनोवेशन अवॉर्ड 2020, कुमॉन 2019 स्टूडेंट इंसपाइरेशनल अवॉर्, टीसीएस इग्नाइट इनोवेशन टॉप हेल्थ पिलर अवॉर्ड समेत कई पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है।
यह भी पढ़े :- डॉक्टरी की पढ़ाई के बाद मात्र 24 की उम्र में बनी सरपंच, ग्रामीण विकास है मुख्य उद्देश्य
क्या रही प्रेरणा उपलब्धियों के पीछे अपने द्वारा दिए गए इंटरव्यू में राव ने इस बात को कहा कि मिशिगन में पेयजल के संकट ने उन्हें इस खोज के लिए प्रेरित किया।संकट की स्थिति ने ही उसे एक ऐसी खोज करने के लिए प्रेरित किया जिसमें पानी के भीतर दूषित पदार्थों का पता लगाकर उन परिणामों को मोबाइल फोन पर भेजा जा सके।आपको बता दें कि गीतांजलि ने मोबाइल की तरह दिखने वाले इस डिवाइस का नाम ‘टेथिस’ रखा। इस डिवाइस को पानी में सिर्फ कुछ सेकेंड तक रख देने के बाद यह पता चल जाता है कि पानी में सीसे की मात्रा कितनी है।
बचपन में ही रिसर्च करने की ठानी
गीतांजलि ने बताया कि उन्हें बचपन से ही रिसर्च के प्रति लगाव था।अपने इस रुझान के विषय में उन्होंने अपने माता-पिता को भी बताया था। जब वह महज 10 वर्ष की थीं तब उन्होंने अपने माता-पिता से कहा था कि वह कार्बन नैनो ट्यूब सेंसर टेक्नोलॉजी पर वाटर क्वॉलिटी रिसर्च लैब में रिसर्च करना चाहती हैं।उन्होंने कहा कि यह उनके लिए किसी चुनौती से कम नही था कि जब कोई इस दिशा में काम नहीं कर रहा है तो मैं इसे करना चाहती थी और यही मेरे जीवन के बदलाव की शुरुआत थी।गीतांजली के उसी सोच ने आज उसे एक आविष्कारक के रूप में स्थापित कर दिया है।आज उसने अपने उस सपने को साकार रूप में लाकर खड़ा कर दिया है जिससे मानव जाति लाभान्वित होगी।आज गीतांजली द्वारा आविष्कार की गई सेंसर की तकनीक पानी में शामिल दूषित तत्वों का पता लगाने में मदद करने को तैयार है। नशीले पदार्थों की लत छुड़ाने की डिवाइस बनाई गीतांजली ने मात्र 15 साल की अवस्था मे नशीले पदार्थ की लत को छुड़ाने की भी डिवाइस का निर्माण किया।इस कम उम्र की कमाल की वैज्ञानिक ने नशीले पदार्थ से छुटकारा पाने के लिए एपिऑन नामक डिवाइस बनाया है।
इसके अलावा इसने साइबर बुलिंग रोकने के लिए गीतांजलि ने किंडली (Kindly) नाम का एक एप बनाया। उन्होंने कहा कि यह एक ऐप और क्रोम एक्सटेंसन है। यह शुरुआत में ही साइबर बुलिंग को पकड़ने में सक्षम होगा। उन्होंने कहा कि मेरा मकसद सिर्फ अपनी डिवाइस बनाकर दुनिया की समस्याएं सुलझाने तक सीमित नहीं है, बल्कि अब मैं दूसरों को भी ऐसा करने के प्रेरित करना चाहती हूं। वैज्ञानिक और अविष्कारक के अलावा भी बहुत कुछ आपको बता दें कि वो सिर्फ अपने वैज्ञानिक शोध की दुनिया तक ही नही सीमित रहती बल्कि वो सामाजिक प्रक्रिया में भी भाग लेती हैं।उनका सपना है कि उनकी तरह बहुत सारे बच्चे विज्ञान की दुनिया से जुड़े,उसमे रुचि ले और वैज्ञानिक बनें।इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु गीतांजलि हजारों बच्चों के लिए इनोवेशन वर्कशॉप चलाने के उद्देश्य से कई ग्रामीण स्कूल, म्यूजियम, साइंस टेक्नोलॉजी इंजीनियरिंग संगठन से जुड़ी हैं। इसके अलावा वह किताबें भी लिख चुकी हैं।
The Logically, उनके इस शानदार सफलता पर उनका कोटि-कोटि अभिनंदन करता है।हम यह कामना करते हैं कि वो इसी तरह सफलता के पथ पर अग्रसर हों और लोगों के लिए प्रेरणास्रोत बनी रहें।उनके आने वाले भविष्य के लिए ढेरों शुभकामनाएं।