Wednesday, December 13, 2023

मध्यप्रदेश, भोपाल के रहने वाले मिश्रीलाल राजपूत ने अपने खेती के कारनामों से सबको चकित कर दिया है, वह एक ही पौधे में टमाटर और बैगन उंगा रहे हैं

अपना देश भारत हमेशा से कृषि प्रधान देश रहा है। यहां के लगभग 70% लोग कृषि पर आधारित हैं। लेकिन समय के साथ ही साथ कुछ बदलाव देखने को मिल रहे हैं। आज के समय में नई पीढ़ी का कृषि संबंधित कार्य से मोह भंग होता हुआ दिखाई दे रहा है। इस सबके बावजूद हमारे यहाँ कुछ ऐसे भी हिम्मती लोग हैं, जो कृषि के लिए हुए विषम परिस्थिति के बावजूद भी नई तकनीक का प्रयोग करके आधुनिक खेती के तरफ ध्यान दे रहे हैं। आज हम बात करेंगे, एक ऐसे ही शख्स की, जिन्होंने कुछ अलग करने की चाह में करिश्मा करके दिखाया है, और आधुनिक खेती करके वे समाज के लिए मिशाल बने हुए हैं। उनकी इस पहल से निश्चित रूप से कृषि क्षेत्र में एक क्रांतिकारी पहल की शुरुआत हुई है।

कौन है वह शख्स ?

हम बात कर रहे हैं, मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के भोपाल (Bhopal) के रहने वाले कृषक मिश्रीलाल राजपुत (Mishrilal Rajput) की, जिन्होनें कृषि के क्षेत्र में अपने प्रयास के बदौलत आधुनिक खेती के समाज का ध्यान अपने तरफ आकर्षित करवाया है। खास बात यह है कि, मिश्रीलाल राजपुत ने जंगली पौधों के सहायता से ग्राफ्टिंग के उपयोग से एक नई तकनीकों के सहारे एक ही पौधों से एक से ज्यादा किस्म के सब्जीयों का उत्पादन करते हैं। ―Mishrilal Rajput, a resident of Bhopal, Madhya Pradesh, produces more than one variety of vegetables from the same plants with the help of a new technique using grafting with the help of wild plants.

bhopal farmer produced  several vegetables from a single plant

आखिर कैसे तैयार होता है पौधा?

अपने खास कृषि के आधुनिक तकनीकों के बारे में बात करते हुए मिश्रीलाल (Mishrilal Rajput) बताते हैं कि, एक ट्रे में जंगली पौधा और दूसरे में टमाटर, भटा आदि का पौधा लगाया जाता है। जब जंगली पौधा करीब 6 इंच तक लंबा हो जाता है और टमाटर, भटा का पौधा 15 दिन का हो जाता है, तभी ग्राफ्टिंग का सबसे सही समय होता है। जंगली पौधे की जड़ के ऊपर तने में कट लगाकर संबंधित सब्जी के पौधे को ग्राफ्ट कर दिया जाता है। इस दौरान करीब 15 दिन तक पौधे को छांव में ही रहने दिया जाता है। इसके बाद वह खुले खेत में रोपने के लिए तैयार हो जाता है।

यह भी पढ़ें :- गया स्थित सर्वोदय नगर में 80 एकड़ जमीन में फैला है फलों का बगीचा, लोग उठा रहे मौसमी फलों का लुत्फ

मिश्रीलाल (Mishrilal Rajput) ने दी ग्राफ्टिंग तकनीक से जुड़ी जानकारीयां

ग्राफ्टिंग तकनीक से जुड़ी जानकारियों के बारे में बात करते हुए मिश्रीलाल राजपुत (Mishrilal Rajput) बताते हैं कि, ‘ग्राफ्टिंग तकनीक में जैविक खाद का मुख्य तौर पर इस्तमाल किया जाता है। इस तकनीक की सबसे खास बात ये है कि ये इसमे लगाए गए पौधे हर मौसम की प्रहार को आसानी से झेल सकती है। खेत में पानी की समस्या तथा अन्य विपरीत परिस्थितियों में भी ग्राफ्टिंग पौधों पर ज्यादा असर नहीं पड़ता। खासबात यह है कि ग्राफ्टिंग तकनीक से उगाए गए पौधों का जड़ जंगली पौधे के जैसे रहते हैं, जिसकी वजह से वह कम पानी और विपरीत परिस्थितियों में भी तेजी से बढ़ता है। इस नई तकनीकों का प्रयोग करके एक साथ कई तरह के वैरायटी की खेती किया जा सकता हैं। यह खास तरह की खेती से आधुनिक खेती के लिए समाज में एक नई क्रान्तिकारी बदलाव आएगा। ―A farmer from Madhya Pradesh produced several vegetables from a single plant through his grafting experiment.

bhopal farmer produced  several vegetables from a single plant

कृषि वैज्ञानिकों ने भी की मिश्रीलाल राजपुत (Mishrilal Rajput) की मदद

मिश्रीलाल (Mishrilal Rajput) ने ये प्रयोग कृषि वैज्ञानिकों के मदद से किया। वह बताते हैं कि, इस तकनीक से वो जंगली पौधे में कई स्थानों पर ग्राफ्टिंग करके एक हीं पौधे से सब्जी के कई वैरायटी की पैदावार कर लेते हैं। यह तकनीक कई तरह की बीमारियों को दूर भगाने में भी कारगर है। ―A farmer from Madhya Pradesh produced several vegetables from a single plant through his grafting experiment.

समाज के लिए मिशाल बने कृषक मिश्रीलाल राजपुत

मिश्रीलाल राजपूत (Mishrilal Rajput) के द्वारा की गई ग्राफ्टिंग तकनीकी की आधुनिक खेती समाज में एक प्रेरणा बनी हुई है। ड्राफ्टिंग तकनीकी के द्वारा विभिन्न तरह के फलों तथा सब्जियों को एक ही पौधे में उगाने वाली यह विधि निश्चित ही तौर पर कृषि के क्षेत्र में लायी गयी एक क्रांतिकारी कदम है। कृषक मिश्रीलाल राजपूत (Mishrilal Rajput) के इस कदम की समाज में बहुत सराहना हो रही है तथा समाज के लोग जो खेती से दूरी बना चुके थे वह इस आधुनिक खेती के तरफ ध्यान देते हुए कृषि के क्षेत्र में ध्यान दे रहे हैं। उनकी यह सराहनीय कदम समाज के लिए प्रेरणा बनी हुई है।