कोरोना संकट के बारे में कौन नहीं जानता? यह समय हर व्यक्ति के लिए बहुत संकट का समय है। इस दौरान कई लोगों की नौकरी चली गई, ऐसे समय में गन्ना विभाग की पहल ग्रामीण महिलाओं के लिए वरदान साबित हुई है। इसके जरिए महिलाओं को रोज़गार भी मिला। गन्ने की उत्पादकता और गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए पंरपरागत तरीका छोड़ सिंगड बड एवं बड चिप के माध्यम से नर्सरी में पौधा तैयार कराया जा रहा है।
महिलाओं को मिला रोज़गार
सिंगड बड एवं बड चिप के माध्यम से बुयाई करने से किसानों को लाभ होगा। इस कार्य की पूरी ज़िम्मेदारी महिलाओं को दी गई है, जिसे ग्रामीण महिलाओं को रोज़गार भी मिल रहा है। मेरठ जिला के गन्ना अधिकारी डा. दुष्यंत कुमार (Dr. Dushyant Kumar) बताते हैं कि गन्ना विभाग की इस पहल को आगे बढ़ाने के लिए मेरठ ज़िले में कुल 130 समूह बनाए गए, जिसमें प्रत्येक समूह में 20 महिलाएं जुड़ी हुई हैं।
अच्छी गुणवत्ता के साथ-साथ महिलाओं को भी हुआ लाभ
आनुमान लगाया जा रहा है कि सितंबर 2020 से 31 मार्च 2021 तक इन 50 समूहों में लगभग 65 लाख की आमदनी हो सकती है। एक समूह को लगभग 1.30 लाख की आमदनी प्राप्त होगी। गन्ना विकास परिषद ने अपने बजट में इसका प्रावधान किया है। डा. दुष्यंत कुमार (Dr. Dushyant Kumar) का कहना है कि सीडलिंग उत्पादन के लिए गन्ने की एक पौधे पर कुल 3.50 रुपये की लागत लगती है। इसमें 1.50 रुपये प्रोत्साहन के तौर पर गन्ना विकास परिषद और शेष किसान खरीदने के समय महिलाओं को दी जाती है, जिसे महिलाओं की अच्छी आमदनी हो रही है।
मेरठ के गन्ने की नर्सरी के आंकड़ें
रिपोर्ट के अनुसार मेरठ में गन्ने की नर्सरी से जुड़े कुछ आंकड़ें बताए गए हैं, जिसमें मेरठ ज़िले में बनाए गए महिला समूह- 130, आमदनी करने वाले मुख्य समूह- 50, सितंबर 2020 से मार्च 2021 तक प्राप्त आय- 65 लाख, एक पौधे पर मिलने वाला अनुदान- 3.50 रुपये, गन्ना विकास परिषद से प्राप्त अनुदान का अंश- 1.50 रुपये, अनुदान का शेष अंश- 2 रुपये, एक समूह में जुड़ने वाली औसतन महिलाएं- 20 हैं।