अभी के समय में जहां लोगो को रहने के लिए जगहों की कमी हो रही है, खेती तो दूर की बात। ऐसे में जो लोग खेती करना भी चाहते उनके पास खेती हेतु अलग से जमीन नहीं रहने से वे कुछ नहीं कर पाते। ऐसी परिस्थिति में उनलोगों के लिए किचन गार्डनिंग, टेरेस खेती बेहतर विकल्प है। इसमें लोग अपने घर के छतों पर ही आर्गेनिक तरीके से सब्जियों के बगीचे तैयार करते हैं। इसके लिए वाराणसी में स्थित भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान (IIVR) के वैज्ञानिकों ने ग्राफ्टिंग की नई तकनीक का खोज किया है।
एक खास पौधे का किया खोज
वैज्ञानिकों ने अपनी तकनीक के जरिए एक ऐसा पौधा विकसित (developed) किया है जिसमें आलू, टमाटर, बैगन अथवा मिर्च का पैदावार किया जा सकेगा। आपको बता दें कि इन पौधों को ब्रिमेटो और पोमैटो नाम दिया गया है। इतना हीं नहीं इसके लिए वैज्ञानिकों ने 5 साल रिसर्च करने के बाद एक ही पौधें में ग्राफ्टिंग के द्वारा इन दो सब्जियों को उगाने में सफलता पाई।
डॉ. अनंत ने क्या कहा?
वैज्ञानिक डॉ. अनंत कुमार का कहना है कि ग्राफ्टिंग तकनीक से तैयार किया गया यह पौधा किचन गार्डन और गमले के लिए काफी सही है। पौमैटो के प्रत्येक पौधे से 2 किग्रा टमाटर अथवा 600 ग्राम आलू तैयार किया जा सकता है। इस प्रोसेस में मिट्टी के निचले हिस्से में आलू अथवा ऊपरी भाग में टमाटर उगाया जाता है।
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ब्रिमेटो के बारे में क्या कहा जाता है?
ब्रिमेटो के प्रत्येक पौधे से करीब दो किग्रा टमाटर अथवा ढाई किग्रा तक बैंगन उगाया जा सकता है। इसके साथ हीं साथ एक हीं पौधें में टमाटर, मिर्च और तरोई के साथ लौकी, खीरा और करेला उगाया जा सकता है।
कैसे तैयार करें पोमैटो पौधे?
इन पौधों को तैयार करने के लिए आलू के पौधे मिट्टी के ऊपर कम से कम 6 इंच लंबा होने पर उसपर टमाटर के पौधें की ग्राफ्टिंग की जाती है। यह ध्यान रखें कि दोनों पौधों के तने की मोटाई बराबर होनी चाहिए। इसके बाद करीब 20 दिनों बाद जब दोनों वापस में जुड़ जाएं तो उसे खेत में छोड़ दे। इसके रोपाई के दो महीने बाद टमाटर तैयार हो जाएगा और फिर आप आलू की खुदाई करवा सकेंगे।
कितने दिनों में की जाती है ग्राफ्टिंग
ग्राफ्टिंग के लिए बैंगन के पौधें 25 दिन अथवा टमाटर के पौधे के लिए 22 दिन इंतजार करना होता है। इस प्रोसेस के साथ हीं एक पौधे से दूसरे पौधे का उत्पादन भी किया जा सकता है।