भारतीय नियमों के अनुसार 60 साल के बाद मनुष्य के काम करने की उम्र लगभग खत्म हो जाती है और उसे रिटायरमेंट दे दिया जाता है। ऐसे में वह व्यक्ति यह सोचने लगता है कि अब आगे क्या किया जाए। रिटायरमेंट के बाद कुछ लोग अपने शौक पूरे करते हैं तो कुछ अपनी नई हॉबी शुरु करते हैं और बाकी के लोग कम से कम मेहनत करके आराम की जिंदगी जीना चाहते है, लेकिन ऐसा शायद ही कोई होगा, जो रिटायरमेंट के बाद ऑर्गेनिक खेती शुरु करेगा लेकिन हमीर सिंह परमार उन लोगों में से एक है। – Hamir Singh Parmar is making good income through the cultivation of lemon in an organic way.
नींबू की खेती से 5 लाख की कमाई
गुजरात के जिला सुरेंद्रनगर के रहने वाले हमीर सिंह परमार 60 की उम्र में पारंपरिक खेती छोड़ ऑर्गेनिक खेती की शुरूआत किए। रिपोर्ट के अनुसार 10 साल पहले तकरीबन 3 एकड़ जमीन पर हमीर नींबू का पौधे लगाए थे। आज हमीर के खेत की नींबू गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश जैसे कई राज्यों में जा रहे है। नींबू के जरिए हमीर सालाना 5 लाख तक की सालाना कमाई कर रहे हैं।
रिटायर होने के बाद शुरू किए खेती
हमीर गुजरात स्टेट कोपरेटिव कॉटन फेडरेशन में बतौर पर्चेज ऑफिसर नौकरी करते थे। साल 2007-2008 के बीच रिटायर होने के बाद हमीर अपने 6 हेक्टेयर खेत को ऑर्गेनिक खेत में बदलने का फैसला किए। वह बताते हैं कि ‘मैं कपास और मूंगफली लगाता था, जिनके दाम घटते-बढ़ते रहते हैं इसलिए 25 साल पहले मैंने जमीन के एक हिस्से में नींबू के 220 पौधे लगाए।
केमिकल का इस्तेमाल कम से कम हो
नौकरी के दौरान हमीर अक्सर किसानों से मिला करते थे। दरअसल उनका काम ही था किसानों से मिलकर कपास लेना। हमीर बताते है कि केमिकल फर्टिलाइजर्स और पेस्टीसाइड्स के दाम बढ़ते रहते हैं, लेकिन उत्पाद में बढ़ोतरी नहीं होती इसलिए किसान अपनी फसल का दाम तय नहीं कर पाते है। हमीर का लक्ष्य अब इन दोनों सूरतों को बदलना था। हमीर इन-ऑर्गैनिक केमिकल का इस्तेमाल कम करना चाहते थे ताकि किसान अपने उत्पाद का दाम तय कर सके। – Hamir Singh Parmar is making good income through the cultivation of lemon in an organic way.
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इस तरह आया ऑर्गेनिक खेती करने का आइडिया
कुछ साल पहले हमीर सिंह बिहार गए थे, वहां वह अभिताप सिंह से मिले, जो नैचुरल फार्मिंग करते हैं। उनसे प्रेरित होकर हमीर ऑर्गेनिक तरीके से नींबू उगाने लगे। उन्होंने हमीर को पारंपरिक खेती छोड़कर ऑर्गनिक खेती करने को कहां और साथ ही इससे होने वाले फायदे के बारे में भी बताए। हमीर सिंह बताते है कि उन्हे पहले ही साल नींबू उगाने से काफी फायदा हुआ। हालांकि शुरुआत में स्थानीय बाजार में नींबू के अच्छे दाम नहीं मिलते थे, लेकिन धीरे-धीरे अच्छी कमाई होने लगी।
सालाना करते है 600-700 टन नींबू का उत्पादन
आपको बता दें कि अब हमीर सिंह हर साल 600-700 टन नींबू का उत्पादन करते हैं। वह खेत में ड्रिप इरीगेशन सिस्टम का इस्तमाल करते है ताकि पानी की कम से कम खपत हो। इसके अलावा वह खेत में गोबर, नींबू, नीम, रोज़ ऐप्पल, आम, ऐप्पल बेरी, चीकू के पत्तों, सब्जियों के डंठल से बना खाद डालते हैं। साथ ही पौधों को कीड़े-मकोड़ों से बचाने के लिए हमीर लेमन एक्सट्रैक्ट, मदार के पत्तों, गौमूत्र और बटर मिल्क से बने मिश्रण का इस्तमाल करते हैं।
सरदार पटेल कृषि संशोधन पुरस्कार से हो चुके है सम्मानित
हमीर के अनुसार वह खाद के 50 किलोग्राम के 1000 बोरे सालाना तैयार करते हैं, जिसके जरिए वह 1 लाख रुपये तक की कमाई कर रहे है। एक और जहां अन्य किसान के नींबू 80 रुपये प्रति किलो बिकते हैं तो वहीं हमीर सिंह के नींबू 100 रुपये प्रति किलो बिकते है। जानकारों के अनुसार नींबू का उत्पाद सबसे ज्यादा मानसून में होता है और उस समय नींबू की डिमांड कम होती है। ऐसे में हमीर नींबू का अचार बनाना शुरु किया, जिससे उन्हें ज्यादा मुनाफा हो रहा है। हमीर सिंह की काबिलियत को देखते हुए साल 2016-17 में गुजरात सरकार ने सरदार पटेल कृषि संशोधन पुरस्कार से उन्हें सम्मानित किया। – Hamir Singh Parmar is making good income through the cultivation of lemon in an organic way.