ऐसे बहुत सी बातें हैं, जिनके बारे में हम जानते तो हैं लेकिन उनके बारे में जानते नहीं हैं। अब खेती को ही ले लीजिए इससे जुड़े कार्य हम जानते हैं, लेकिन उसमें भी बहुत चीज़ों के नाम नहीं जानते हैं।
अधिकतर किसान परंपरागत खेती को छोड़कर अन्य प्रकार की पद्धति को अपनाकर खेती कर रहे हैं। हरियाणा के सभी किसान वर्टिकल फॉर्मिंग (Vertical Farming) को अपना रहे हैं, जिससे उन्हें अधिक मात्रा में लाभ मिल रहा है। हालांकि हरियाणा सरकार भी वर्टिकल फार्मिंग (Vertical Farming) को प्रमोट करने में लगी है। वहां के किसान जो वर्टिकल फार्मिंग (Vertical Farming) को अपना रहे हैं, उन्हें सरकार की तरफ से अनुदान प्राप्त हो रहा है। (Vertical Farming)
अगर आप वर्टिकल फार्मिंग (Vertical Farming) द्वारा 1 एकड़ भूमि में खेती कर रहे हैं, तो आपको 1,42,000 रुपये की लागत होगी लेकिन इस पर आपको अनुदान 72 हज़ार के करीब भी मिलेगा।
रोहतक ज़िले में बेल वाली सब्जी बांस-तार तरीके द्वारा बहुत अधिक प्रसिद्ध है। यहां के लगभग ढाई सौ हेक्टेयर एरिया में वर्टिकल फार्मिंग के जरिए किसान बेल वाली सब्जी उगा रहे हैं। (Vertical Farming)
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अगर हम खेती कर रहे हैं, तो इसमें सिंचाई के कारण अधिक पानी की आवश्यकता है, इसलिए किसानों को वर्टिकल फार्मिंग (Vertical Farming) को अपनाने में अधिक लाभ मिल रहा है। इसे लंबवत खेती के नाम से जाना जाता है। इसे बांस-तार के साथ ज़्यादातर मात्रा में बेल वाली सब्जियों को उगाया जाता है, क्योंकि यह अधिक मुनाफा दे रही है। बेल वाली सब्जियों से मतलब है कि वह सब्जियां जो गोलाकार और लम्बवत आकर में हो। जैसे- खीरा, तरबूज, खरबूज, करेला, टमाटर, लौकी और तोरी इत्यादि। इनके उत्पादन से किसानों को लाभ मिल रहा है। (Vertical Farming)
वर्टिकल फार्मिंग (Vertical Farming) खेती के लिए लगभग 1 एकड़ ज़मीन में 60 mm की आकृति के 560 बार 8 मीटर एरिया में लगाने पड़ते। वही बास की हाइट लगभग 8 फीट अनिवार्य है और बसों को 3 मम के तारों से बंधा जाता है ताकि उन्हें स्पोर्ट मिले। बांस के तार के अलावा लोहे के एंगल के उपयोग से ढांचे का निर्माण कर सब्जियों को उगाया जा सकता है। (Vertical Farming)