Wednesday, December 13, 2023

बाजारू सब्जी से भरोसा उठा तो 65 वर्षीय दादी ने घर मे लगा दिए 250 तरह के फल-सब्जियां: बेकार पड़े सामानों का इस्तेमाल किया

जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, ज्यादातर लोगों में आलसपन देखने को मिलता है। उस आलसपन के कारण लोगों को उम्र के साथ कई बीमारियां हो जाती है। लेकिन कुछ ऐसे भी लोग है जो उस बढ़ती उम्र में भी अपने आलसपन को दूर कर अपने स्वास्थ्य पर पूरा ध्यान देते है। आज हम आपको चेन्नई की रहने वाली 65 वर्षीय “जयंती वैद्यनाथन” (Jayanti vaidhnathan) नामक एक ऐसी ही महिला के बारे में बताने जा रहे है, जिन्होंने अपनी विटामिन डी की कमी को पूरा किया, अपने घर पर ही एक जैविक गार्डन तैयार करके। 

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विटामिन डी की कमी को पूरा करने के लिए लगा दी घर मे शानदार बगिया

65 वर्षीय जयंती वैद्यनाथन (Jayanti vaidhnathan) का कहना है कि, एक समय उनकी तबियत बहुत खराब हो गई थी, जब उन्होंने डॉक्टर को दिखाया तो जांच के बाद विटामिन डी की कमी के बारे में पता चला। उसके बाद डॉक्टर ने कुछ दवाई के साथ ताजा फल-सब्जी तथा आधा घंटा धूप में रहने को बोला। उसके बाद इनके दिमाग मे जैविक गार्डन बनाने का ख्याल आया और जयंती ने अपने ही घर मे इस शानदार बगिया तैयार करना शुरू कर दिया। आज इनके गार्डन में 250 से भी ज्यादा हरी-भरी फल,सब्जी तथा फूल के पौधे लगे है।

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पालक के दो प्रजातियों से की शुरुआत

65 वर्षीया जयंती वैद्यनाथन का कहना है कि डॉक्टर के द्वारा बताए गए दवाइयों के अलावा उन्होंने अपने आहार में पालक शामिल करने का निर्णय लिया। इसके लिए सबसे पहले उन्होंने पालक की दो किस्में मुलई किरई (चौलाई) और पसलई किरई (पालक) को एक ग्रो बैग में उगाया था। उस पालक की दो किस्में को वह नर्सरी से खरीद करके लाई थी। अच्छे से देखभाल और सिंचाई के बाद पालक 1 सप्ताह बाद हरी हरी पत्तियां देना शुरू किया जिससे वह अपने आहार में शामिल की तथा खुद को अच्छा महसूस करने लगी। इसके बाद उन्होंने तय किया कि वह घर बैठे बैठे खुद को बेकार नहीं बैठने देंगी तथा वह जड़ी बूटियों के अलावे हर तरह के सब्जियों का वैसे ही अपने छत पर एक विशेष तरीके से खेती करेंगी।

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जैविक पॉटिंग मिक्स और पुराने फ्रिज

पालक की फसल के बाद उन्होंने अपने भविष्य के सफलता को देखते हुए सब्जी,जड़ी बूटियों के पौधे तथा फल और फूल के पौधे लगाने को सोचा। इसके लिए उन्होंने अपने घर के पुराने बर्तन बाल्टी तथा बोकेट का जुगाड़ कि तथा उन्होंने पॉटिंग मिक्स के तौर पर अपने आँगन की मिट्टी का उपयोग किया। उन्होंने चेन्नई के एक अनुभवी टेरेस गार्डनर द्वारा आयोजित एक वर्कशॉप में हिस्सा लिया था । जिसमें उन्होंने जैविक पॉटिंग मिक्स बनाने के बारे में बहुत कुछ सीखा। उन्होंने इन्हे पॉटिंग मिक्स बनाने के लिए, सूखी पत्तियों और कोकोपीट के इस्तेमाल के बारे में सिखाया था। साल 2014 में, उन्होंने कुछ अन्य प्रकार की फल-सब्जियां उगाने के लिए और अधिक ग्रो बैग खरीदे। वे गूगल तथा यूट्यूब पर देख कर के अपने सब्जी तथा फलों की खेती के बारे में हमेशा से कुछ न कुछ नया चीज करने को सोचती थी। वह बताती हैं कि “मैंने कबाड़ीवालों से 10 सिंगल डोर वाले फ्रिज और बाथ-टब खरीद कर, इन्हें रिसायकल किया। इसके बाद, मैंने इनमें सूखे पत्तों की एक परत बिछा कर, जैविक पॉटिंग मिक्स से भर दिया। जिनमें मैंने गोभी, मक्का, गन्ना आदि उगाये हैं और मोरिंगा तथा नींबू जैसे पेड़ भी इन फ्रिज में उगा रही हूँ।” जयंती का कहना है कि वे टमाटर, मिर्च, भिंडी और नींबू उगाने से शुरुआत की। व्हाट्सऐप ग्रुप के माध्यम से जुड़े कई गार्डनर से उनहोंने फल-सब्जियों के बीजों को खरीदा। उन्होंने ह इन्हें लगाने के तरीकों के बारे में भी उनको बताया। लौकी, मोरिंगा और नींबू आदि उगाने के लिए भी उनहोंने विशेष इंतजाम किया। वे पुराने फ्रिज और बाथ-टब को बेड बनाने के लिए रिसायकल किया। फ्रिज से दरवाजों को हटाकर उनहोंने पानी के रिसाव के लिए उनमें छेद किया गया , जिससे सिंचाई अच्छे से हो सके।

Home gardening by jayanti vaidhnathan

घर पर ही खुद से तैयार करती है कीटनाशक और उर्वरक

सुबह शाम अपने छत के उपर के बगीचों में समय बिताने वाली जयंती अपने फसलों की सिंचाई पर विशेष ध्यान देती है। इसके लिए वे अपने घर के किचन से निकले गीले कचरे को इस्तेमाल करके उर्वरक बनाने का काम करती है। साथ ही साथ वे सब्जियों के छिलके और केले के पत्तों तथा छिलकों से उर्वरक बनाने का काम करती है। दो साल पहले, उन्होंने ‘नेशनल सेंटर फॉर ऑर्गेनिक फार्मिंग’ (NCOF) द्वारा नवाचार किए गए ‘वेस्ट डीकंपोजर’ (WDC) घोल के बारे में सीखा था। वे गिले कचरो को अच्छे से मिक्सी में पीस कर उसे डीकंपोज़ होने के लिए 1 सप्ताह के लिए रख देती है तथा बाद में उसे उर्वरक के रूप में अपने सब्जियों के गमले में डालने का काम करती हैं। उनका कहना है की वे दो किलो गुड़ और 200 लीटर पानी मिलाकर एक जैविक उर्वरक तैयार करती हैं। इसके बाद वे इस मिश्रण के एक हिस्से में पाँच हिस्सा पानी मिलाती हैं और पोषण के रूप में इन्हें अपने सभी पौधों में डाल देती हैं। कीटनाशक के बारे में उन्होंने कहा कि वे वह छोटी-छोटी प्याज को रात भर भिगोती हैं और उन्हें अपने प्रत्येक गमले में लगा देती हैं। प्याज से निकलने वाली तीखी गंध और अन्य एसिड के कारण, कीड़े-मकौड़े पौधों से दूर हो जाते हैं। उन्होंने बताया कि कीटों को दूर करने के लिए, वह इसी प्रकार लहसुन की कलियाँ भी लगाती हैं।