Wednesday, December 13, 2023

कुदरत का करिश्मा: स्टील और सीमेंट से नहीं बल्कि पेङ की जङों से बना है यह अनोखा पुल

विश्व में मानव ने अपने इंजीनियरिंग से बहुत से अचंभित कारनामे किए हैं। पुल भी मानव कारीगरी का बेहद खूबसूरत नमूना है। विश्व में ऐसे पुलों का निर्माण हुआ है जिसे देख लोग आश्चयचकित हो जाते हैं। परन्तु आज के इस लेख में हम आपको ऐसे पुल के विषय में जानकारी देंगे जिन्हें मानव ने अपनी इंजीनियरिंग द्वारा नहीं किया बल्कि यह कुदरत द्वारा निर्मित हुआ है। अगर आप कुदरत के इस करिश्में को देखें तो आप दांतों तले उंगली दबाने लगेंगे। ये पुल सीमेंट या स्टील का नहीं बल्कि पेड़ों की जड़ों से बना है।

प्रकृति का इंजीनियरिंग

चाहे इंसान कितना भी इंजीनियरिंग क्यों ना कर ले लेकिन प्रकृति के सामने हर चीज फीकी पड़ जाती है। आपको इसका उदाहरण मेघालय के इस अनोखे पुल को देखकर मिल जाएगा। इसकी खासियत की वजह से ही यूनेस्को ने इसे अपनी हेरिटेज सूची में स्थान दिया है। यह पुल लिविंग रूट ब्रिज के नाम से काफी फेमस है। यह पुल पेड़ों की जड़ों से बनते हैं। इस पुल पर एक साथ लगभग 50 लोग चल सकते हैं। यह पुल लगभग 500 सालों तक चलते हैं। यह मेघालय में पर्यटकों के लिए आकर्षक का केंद्र बना हुआ है। स्थानीय भाषा में लोग इसे जिंगकिएंग जरी कहते हैं।

हुआ है यूनेस्को लिस्ट में शामिल

Root Bridge

मेघालय के सीएम कोएनराड़ संगमा ने इसे यूनेस्को की लिस्ट में मौजूद होने के बारे में जानकारी दी। उन्होंने अपने ट्विटर पर पोस्ट में ये लिखा है कि मैं यह घोषणा करते हुए रोमांचित हूं कि हमारे जिंगकिएंग जरी लिविंग रूट ब्रिज कल्चरल लैंडस्केप ऑफ मेघालय को यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल की सूची में शामिल किया गया है। उन्होंने आगे लिखा कि जीवित जड़ों का ये पुल केवल अपने अनुकरणीय मानव-पर्यावरण सहजीवी संबंधों के लिए खड़े हैं, बल्कि कनेक्टिविटी के लिए उनके और अग्रणी इस्तेमाल एवं अर्थव्यवस्था तथा पारिस्थितिकी को संतुलित करने के लिए स्थाई उपयोगों को अपनाने की आवश्यकता पर भी ध्यान केंद्रित करते हैं।

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कैसे हुआ इसका निर्माण

जब मेघालय में भारी वर्षा होती है तो यहां पहाड़ी नदियों में जलस्तर काफी तेजी से बढ़ जाता है इस दौरान लोग नदियों को पार करने के लिए इसका उपयोग करते हैं। मेघालय के दो इलाकों खासी तथा जयंती पहाड़ियों के 70 गांव में यह पुल आपको अधिक मात्रा में देखने को मिलेंगे। यहां 100 ज्ञात लिविंग रूट ब्रिज मौजूद है। इस एरिया के लोग 180 साल से उन पुलों का उपयोग कर रहे हैं हालांकि इस बात का कोई प्रमाण नहीं है कि इसका विकास कब हुआ है।

निर्माण और मेंटनेंस में लागत नहीं

पुल को बनाने में किसी भी प्रकार की लागत नहीं लगती और ना ही इसके मेंटेनेंस में आपको कोई पैसे खर्च करने पड़ते हैं। नदी के किनारे लगे बरगद की जड़ों को किसी सहारे से दूसरे किनारे में बांधा जाता है और फिर धीरे-धीरे बढ़कर यह आगे फैल जाते हैं। इन जड़ों को इसी तरह बांधा जाता है ताकि यह पुल के आकार में बन जाए। जब ये निर्मित हो जाते हैं तो इस पर चलने के लिए पत्थर डाल दिए जाते हैं।

Root Bridge

ये पुल 50 वर्षों तक चलते हैं

आप ये पुल डबल डेकर एवं सिंगल डेकर दोनों तरह के देख सकते हैं। डबल डेकर पुल में एक पुल के ऊपर दूसरा पुल बना होता है। जिसके निर्माण में लगभग 10 से 15 वर्षों का वक्त लगता है जो एक बार तैयार होने के बाद 500 वर्षों तक काम करता है। इसमें जैसे-जैसे जड़े बढ़ती है वैसे ही यह पुल काफी मजबूत होते जाता है।

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वही लिविंग रूट ब्रिज 15 से लेकर 250 फीट तक फैला होता है। जो अचानक आई बाढ़ एवं तूफान से बचता है। ये एक गांव को दूसरे गांव तथा उनको जोड़ने वाली नदियों में फैले होते हैं।।